सोमवार, 14 अप्रैल 2025

कला से खौफ


 

               मंत्री ने कहा कि "अपने राज्य में यह एक बड़े कलाकार हैं चित्र बनाते हैं..... "

               राजा ने प्रश्न किया -"चित्र क्यों बनाते हैं!? क्या होता है चित्र बनाने से? अगर कल युद्ध हुआ तो हमारे सिपाही क्या चित्र लेकर मैदान में उतरेंगे!! तुम हथियार बनाओ। राज्य अंदरूनी और बाहरी खतरों से घिरा हुआ है, हमें हथियारों की जरूरत है। तुम जानते हो अच्छा हथियार बनाने और चलने वाला सबसे बड़ा कलाकार और देशभक्त होता है। "
              " महाराज की कीर्ति चांद सितारों तक पहुंचे मलिक। किंतु निवेदन करता हूं कि मुझे हथियार बनाना नहीं आता है। मैं  चित्रों की प्रदर्शनी लग रहा हूं । आप उद्घाटन कर देते और एक नजर डाल लेते तो कला का सम्मान बढ़ जाता। " चित्रकार ने विनम्रता से हाथ जोड़ दिए।
             " हथियार नहीं बना सकते तो गाना तो गा सकते हो। गाना तो कला है कोई भी कर सकता है। चलो गाओ जरा और दरबार का मनोरंजन करो।"
              " गाने वाले कलाकार दूसरे होते हैं महाराज। "
              " सच्चे कलाकार को सब आना चाहिए। इसमें पहला दूसरा तीसरा कलाकार क्या होता है! "
             मामला बिगड़ता देख मंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा। " महाराज यह राज्य का श्रेष्ठ चित्रकार है इसके प्रशंसक भी बहुत है यदि आप प्रदर्शनी का उद्घाटन और अवलोकन कर लेंगे तो कला के लिए यह अच्छी बात होगी। "
               " लेकिन इसके चित्रों से राज्य को क्या लाभ होगा। "
               " राजन इसके चित्र देखकर प्रजा के मन में प्रसन्नता होगी। "
               " ठीक है पर प्रजा की प्रसन्नता से राज्य को क्या लाभ होगा? "
               " महाराज अगले माह आपके लिए राज-कीर्ति पंचकोटि यज्ञ होना है। यदि प्रजा प्रसन्न हुई तो हम उससे यज्ञ कर वसूल सकेंगे। प्रसन्न प्रजा घी और हवन सामग्री का ढेर लगा देगी। इसलिए हे राजन, चित्रकार को सहयोग करने की कृपा करें।"
              " महामंत्री, यदि इसके चित्र देखकर लोग प्रसन्न नहीं हुए, कर और हवन सामग्री नहीं दी तो इससे भरपाई कैसे की जा सकेगी?” महाराज ने सोच कर प्रश्न रखा।
              " चित्रकार तुम्हारे पास कितनी संपत्ति है? "
            " संपत्ति नहीं है भगवान । किराए के घर में रहता हूं, रुखा सूखा खाता हूं। लेकिन मुझे विश्वास है कि  महाराज पधारेंगे तो प्रजा अवश्य प्रसन्न होगी। " चित्रकार ने निवेदन किया।
             " राज कीर्ति यज्ञ की सफलता के लिए आपको चलना चाहिए महाराज। करों के बोझ से दबी प्रजा से एक और कर लेने के लिए चित्रकला प्रदर्शनी दिखाने का प्रयोग बुरा नहीं है। " मंत्री ने समझाया।
              महाराज राजी हो गए और तय स्थान पर अपने मंत्रियों के साथ पहुंचे।
              " यह क्या! लाल रिबन!! ... लाल हटा दो हरी रिबन लओ और इसे हम कैंची से नहीं तलवार से काटेंगे। "
              तुरंत व्यवस्था की गई और उद्घाटन हो गया। अंदर बहुत सारी पेंटिंग्स लगी थी। महाराज एक पेंटिंग के सामने खड़े हो गए और चित्रकार से पूछा - यह क्या है?
               " यह सूर्योदय का दृश्य है महाराज फूल खिले हैं चिड़िया चहक रही है उमंग उत्साह का वातावरण दिखाया है। "
                " लेकिन सूर्य लाल है! उसके प्रकाश से आकाश लाल है! फूल भी लाल खिल रहे हैं! चिड़ियों की चोंच भी लाल है!! एक एक पेंटिंग में इतना इतना लाल!! ... कम्युनिस्ट हो क्या?!" महाराज नाराज लगे।
                " नहीं महाराज । " चित्रकार ने हाथ जोड़ दिए।
                " प्रजा को क्या संदेश जाएगा इससे!! महामंत्री, आप तो कह रहे थे कि लोग कर देंगे। मुझे तो लगता है इसे देखकर बगावत कर देंगे। "
                " महाराज, कम्युनिस्ट अब हैं कहां!! जो बचे हैं वे बीपी और कोलेस्ट्रॉल की गोलियां खाते पड़े हैं कहीं। उनके सारे लाल झंडों को प्रजा ने धर्मग्रंथो को बाँधने के काम में ले लिया है। आप चिंता ना करें राजन, अब लाल से कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला है। "मंत्री ने समझाया।
               "अरे महामंत्री! चित्रकार की दाढ़ी देखो ! खद्दर के कपड़े देखो ! पांव में जूतियां भी नहीं है ! यह जरूर कामरेड है। हम कोई जोखिम नहीं उठा सकते हैं। सारे चित्र जप्त करें और चित्रकार को मरने के लिए जंगली जानवरों के सामने छोड़ दें। " कह कर वो चले गए।
                चित्रकार समझता रहा कि ऐसा नहीं है, लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी। भाग्य से मंत्री को दया आ गई। जान बचाने के लिए उसने चित्रकार को राज्य से बाहर कहीं भगा दिया।

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सोमवार, 7 अप्रैल 2025

केटवाक और कदमश्री सम्मान

 




               “नहीं नहीं श्रीमान, कैटवॉक कीजिए। कैटवॉक समझते हैं ना? नहीं समझते हैं तो पहले सीख कर आइये, समझ कर आइये। योग्यता वोग्यता को भूल जाइए, इनके मुगलते में मत रहिये । कदमश्री सम्मान कोई मामूली चीज नहीं है। ड्राइविंग लाइसेंस लेने के लिए भी दस तरह के टेस्ट देना पड़ते हैं तो यहां क्या दिक्कत है! लेने वाले एक ढूंढो तो हजार मिल जाते हैं। यूं कहो कि गले पड़ जाते हैं। कवि प्रतिदिन-पचास का नाम सुना होगा। हिम्मत वाले हैं, जिद्दी हैं, पचासों टेस्ट दे चुके हैं लेकिन नहीं मिला। कैटवॉक करो और मिल ही जाए इसकी कोई गारंटी नहीं है। टेस्ट परफेक्ट होना चाहिए। बिल्ली चूहा दिखाए और मलाई के मामले में मुंह छुपा ले तो कैसे काम चलेगा। कंप्लीट केट-पन होगा तभी उम्मीद की जा सकती है। अगली बार आओ तो मलाई लेकर आना। मलाई खिलाना शुभ होता है। कदमश्री सम्मान जैसे मामले में शुभ अशुभ का ख्याल तो रखना जरूरी है। इस तरह के बड़े दरबारी सम्मान का मामला मात्र योग संयोग का नहीं होता है। नेपथ्य लीला हमेशा सम्मान से बड़ी होती है। अंतर केवल इतना है कि सम्मान दिखता है । कहने वाले का गए हैं फल की चिंता मत करो कैटवॉक किए जाओ। समझने वाले समझ गए ना समझे वह अनाड़ी है।“ वे एक साँस में बोल गए । उनके पास समय कहाँ, राजधानी देशभर की बिल्लियों से भरी पड़ी है  

                खुद केट भी माँ के पेट से कैटवॉक सीख कर नहीं आती है। कवि प्रतिदिन-पचास अपने मोटापे के बावजूद अभी भी लगे हुए हैं। उन्होंने देखा है कि कोशिश करता रहे तो हाथी भी कैटवॉक कर सकता है। पिछला रिकॉर्ड खंगालोगे तो पता चलेगा कि राजधानी में कई हाथी कैटवॉक कर गए हैं। उनसे ही सीखना चाहिए ।  चलिए कुछ पूछते हैं ।
" गजराज जी आपको पिछली बार कदमश्री सम्मान मिला है तो उसके बारे में कुछ बताइए। "

“कदमश्री मिलता नहीं है लेना पड़ता है। किसी शायर ने कहा है ना, बढ़ा कर हाथ जो उठा ले जाम उसका है।"
" लेकिन वो तो कैटवॉक करने के लिए कह रहे हैं!! हाथ कहां बढ़ाएं । क्या करना पड़ता है?"
" क्या नहीं, यह पूछिए कि क्या-क्या करना पड़ता है। समझिए तनी हुई रस्सी पर चलना होता है।"
" चल लूँगा, कितना दस बीस फुट रस्सी पर? "
" नहीं अपने शहर से राजधानी तक। खूब बैलेंस बनाकर रखना जरूरी है। हाथ में एक बड़ा डंडा हो चिकना, सिफारिश का। उसके दोनों छोरों पर ठीक-ठाक वजन हो, तकि जरूरत पड़ने पर संतुलन बना रहे। इस मामले में आदमी को सुस्ती नहीं रखना चाहिये। कदमश्री का सीजन होता है जैसे आम का होता है। उसके बाद चल जाता है । "
" ठीक है राजधानी पहुंचते ही काम तो हो जाएगा ना? "
" वहां पहुंचोगे तो तुम्हें असली कैट भी मिलेंगी। तुम देखोगे कि वहां मेंढक, खरगोश, कंगारू वगैरह सब कैटवाक कर रहे है !  कुछ डंकी मंकी भी कोशिश में लगे हैं । बहुत कठिन है ।“

“फिर आपने कैसे ले लिया गजराज !?”

“गणेश जी ने दिलवाया ।“

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