बुधवार, 19 मई 2021

लांग लिव सुल्तान

 


   शिकार से लौटने के फ़ौरन बाद सुल्तान ने मारे गए जानवरों के लिए शोक व्यक्त किया . दरबारियों ने कहा जो मर गए वो तो मुक्त हो गए लेकिन जो बचे हैं सुल्तान का शोक उनके लिए एक भरोसा है . राजनीति में भरोसा गले में  बंधा ताबीज होता है जिसमें चूहे की लेंडी भरी हो तो भी सुरक्षा का भाव पैदा हो जाता है . सुल्तान जब भी किसी को मारते हैं या मरने के लिए छोड़ देते हैं, बाकायदा शोक व्यक्त करते हैं . उन्हें पता है कि शोक व्यक्त करने से रियाया में उनके प्रति आदर बढ़ जाता है . इसलिए एक अन्तराल से शोक व्यक्त करते रहना उनकी सियासी जरुरत है . अपने शोक को रियाया तक मुकम्मल तरीके से पहुँचाने का उनका पुख्ता इंतजाम है  . कैमरा मेन से लगाकर चैनल मालिक तक उनके शोर-संचार माध्यम हैं  . वे सुल्तान के शोक को मुल्क के लिए हर बार गैर मामूली घटना की तरह पूरे चिल्ला-चिल्ली  के साथ पेश करते हैं . कई बार महज शोक व्यक्त करने के लिए सुल्तान को जानें लेना पड़तीं हैं . बिना किसी के मरे या मारे शोक व्यक्त करना व्यावहारिक भी तो नहीं है . आज उन्होंने अपने शोक सन्देश में कहा कि जान इन्सान की जाए या जानवर की, उनके लिए एक बराबर है . सुल्तान का दिल बहुत बड़ा और मिज़ाज बहुत नरम है, वह इन्सान और जानवर में कोई फर्क नहीं करता है . जब कभी भी जानवर मारे गए उन्होंने समझा जैसे कि इन्सान मारे गए हों . और जब जब इन्सान मारे गए उन्होंने माना कि जानवर मारे गए . चाहने वाले सब सुल्तान से इत्तफाक रखते हैं, लेकिन उनके खानसामा की राय कुछ अलग है . वह रसोई में सिर्फ और सिर्फ जानवरों को ही पकाता है . इस वक्त भी जब सुल्तान शोक व्यक्त कर रहे हैं खानसामा अपने काम में व्यस्त है .

सुल्तान के दिल की बात कोई नहीं जानता है . जब भी मुल्क से ‘दिल की बात’ के नाम पर वह कुछ कहता है तो दिल अपनी सेक्रेटरी के पास मंथली मेंटेनेंस के लिए छोड़ आता है . बात अपनी जगह, दिल अपनी जगह . दिल के जरिये मोहब्बत की जा सकती है, राजनीति अच्छे बुरे दिमाग का मामला हैं . फिर भी मिडिया के मार्फ़त समझाया गया कि जब जब सुल्तान दिल की बात करते हैं तो इसका मतलब रियाया यह माने कि वे मोहब्बत कर रहे हैं . ऐसे में रियाया को चाहिए कि मोहब्बत में सच-झूठ, सही-गलत, वादा-सौदा वगैरह कुछ नहीं देखे . दुनिया जानती है कि जंग और मोहब्बत में सब जायज होता है . सुल्तान अगर मोहब्बत में कोड़े भी लगवाए तो रियाया को इसमें दर्द नहीं मजा महसूसना चाहिए . यही सुल्तान प्रेम है और सुल्तान प्रेम ही देश प्रेम है .  शायर जिगर मुरादाबादी ने कहा है – “ये इश्क नहीं आसां इतना समझ लीजै ; एक आग का दरिया है और डूब के जाना है “. इधर इश्क में जब सुल्तान मुकाबिल है तो आग का दरिया नहीं, आग का समन्दर है . सुल्तान मादक बांसुरी बजा रहा है और मुल्क में उसके प्रति इश्क उफान पर है . रियाया इतनी बड़ी तादाद में कुर्बान हो रही है कि दफन के लिए सवा गज जमीं भी नसीब नहीं है . एक कब्र में दो दो मुर्दे नामालूम पड़ौसी बने दफ़न पड़े हैं. जो कभी शिकायत करते थे कि पैर फैलाओ तो सर टकराता है उन्हें मालूम पड़ गया कि सिस्टम में मुर्दे फोल्ड भी किये जा सकते हैं . सुल्तान की मोहब्बत के ये बीमार जांनिसार हैं . महंगाई से, बेकारी से, कंगाली से, कर्ज से, मर्ज से या लाठी-डंडे-गोली से चाहे मर जाएँ मगर जब भी दुआ करनी हो हाथ उठा कर यही कहेंगे ‘लॉन्ग लिव सुल्तान’ .



             

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