बादलों, कई
दिनों से तुम्हारे आने की खबर मिडिया में महक रही है। तुम्हें तो पता है पेड़ कम हो
चले हैं, चौतरफा विकास है। मई जून में आदमी ऐसा तपता है मानो
अंगार पर रखा भुट्टा हो। हर आत्मा पानी पानी पुकारती है, हर
आँख बादल देखना चाहती है। तुम्हें देख कर मोर यूँ ही नहीं नाच उठते हैं । फूल अभी
खिले नहीं हैं, झूले अभी पड़े नहीं हैं लेकिन तुम्हारे आने की
खबर से मन मोर हुआ जाना चाहता है । लोग कहते हैं तुम पानी से भरे हो, नहीं जी ... तुम जिंदगी से भरे हो । बरसते हो इसलिए बाकायदा गरजने के
हक़दार हो । अच्छा है कि तुम जुमलों की तरह दनादन नहीं बरस पाते हो, बरसते तो शायद बादल नहीं रहते। देखो तुम बादल ही रहना, बदलना मत। तुम्हें नहीं पता तुम्हारी पहली बूंदें प्रेम और उम्मीद से
कितना भर देती हैं तपती धरती को। और हाँ, इस बार ठीक से
बरसना, सभ्यता बारूद पर बैठी है। बारूद क्या है समझो आग ही है
। जमाना तरक्की कर रहा है ना ! हम प्रेम के खिलाफ़ हुए, प्रकृति
के खिलाफ़ हुए अब अपने ही खिलाफ़ होते जा रहे हैं। सभ्य हैं ना, अब एक दूसरे के भरोसे लायक नहीं रहे। तुम्हारी भी सम्पूर्ण आईडी मांगी जा
सकती है। युद्ध के बादल भी तो आकाश में घूम रहे हैं। इस फेक फेक जमाने में तुम पर
चट से विश्वास कौन करेगा ! लेकिन तुम बादल हो, तुम बरसो,
यही तुम्हारी आईडी है।
चाँद छुप रहा है बार बार। लग
रहा है तुम शहर की सीमा तक आ गए हो ! चले आओ कि झट से द्वारचार की रस्म भी कर लें।
एक झड़ी से तोरण मार कर तुम भी अपनी आमद दर्ज करना। लाड़ली बहनों पासबुक रख दो तकिये
के नीचे और निकलो घर से, गाओ मंगलगान, बादल सरकार आए हैं । जिम्मेदारियों
से भरे हैं बादल, आज बरसेंगे सारी रात। ध्यान रहे, उनकी आगवानी में कोई कमी न रह जाए।
इधर स्वागत में बिजली विभाग
मेंटेनन्स का नाम ले कर पेड़ काट रहा है। नगर निगम ने गड्ढे गिन लिए हैं। इस बार वर्ल्ड
रेकार्ड बन जाने की उम्मीद है । जल भराव का तो तभी पता चलेगा जब तुम झूम के बरस
लोगे। झुग्गी बस्तियां बहुत बन गई हैं । इन्हें भी उजाड़ना है । बादलों ऊपर से तुम आओ नीचे से बुलडोजर आएंगे । बहुत
कट्ठी जान होते हैं गरीब । यही लोकतंत्र की ताकत भी हैं । इन्हें उखाड़ते बसाते रहना
लोकतंत्र को मजबूती देता है । इसमें तुम्हारा योगदान कम नहीं है बादलों ।
बड़े लोग जागरूक है इनदिनों। कुछ
ने इन्वर्टर खरीद लिए हैं बाकी ने मोमबत्तीयां। नदी नाले उफ़नेंगे,
बस्तीयां भी डूबेंगी, लेकिन आपदा में अवसर की
नाव हाकिमों को पार लगाएगी। बाकी के लिए भगवान हैं ही, प्रभु
ने पर्वत उठा लिया था अपने भक्तों के लिए। जिम्मेदारी समझेंगे तो आएंगे, नहीं आए तो
उनकी मर्जी । तुम तो बिंदास फट लो, सुना है बादल फटते भी हैं
!! फट लेना, डरना मत। बहुत से लोग मेंढक मछली की तरह जी रहे
हैं। आ जाओ स्वागत है तुम्हारा बादलों ।
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