कहीं एक बड़ा देश है चिकामिका । उसके मुखिया का नाम डूडू है । लोग कहते
हैं डूडू समझदार है और समझदार नहीं भी। वह आँखें बंद करके हँसता है और मुँह बंद
करके आँखों से अंगार बरसाता है । वह वह सूट
टाई पहनता है लेकिन दुनिया को नंगा दिखता है। वह ताल ठोक कर दावा करता है और बाद
में मुकर जाता है । वो जो है वह नहीं है, और जो नहीं है वो
है । लोगों का भी ऐसा ही है, वे उससे नफरत नहीं करते हैं और करते
भी हैं । वह जिसका दोस्त होता है उसी का दुश्मन भी हो जाता है। वह डिनर पर अपने
साथ पालतू कुत्तों को खिलाता है और साथ में किसी विदेशी मेहमान को भी बैठा लेता
है। उसे हिंसा पसंद है और शांति का नोबेल भी। वह मानता है कि बातचीत से शांति
स्थापित हो जाती है लेकिन जो लोग ऐसा करना चाहते हैं उन्हें वह मूर्ख मानता है।
समय बदल गया है सोच बदल गई है इसलिए वह समय और सोच के साथ चलना चाहता है। वह मानता
है कि एक बड़ा बम डाल दो तो चौतरफा शांति हो जाती है। उसके बम शांति का संदेश लेकर
आते हैं। वह चाहता है कि दुनिया वाले उसके बम को देखते रहें, शांति अंदर से पैदा
हो जाएगी ।
बम गोदाम में शांत पड़े हैं लेकिन डूडू दुनियाभर में धमाके करता रहता है ।
उसकी चाल बम चाल है । टीवी पर दुनिया वाले जब बड़े से जहाज से उसे उतरते देखते हैं
तो लगता है एटम बम उतर रहा है । अगर नोबल वाले जाग नहीं रहे हों तो वह कहीं भी फट
सकता है । बहुत समय से उसका मन फटूँ फटूँ कर रहा था । एक देश ने कहा कि दोस्ती की
खातिर सामने वाले देश की जमीन पर जा कर फट लो । बिना देर किये वह फट लिया । खबर आ
रही है कि रेडियशन के कारण फटा हुआ बम ज्यादा खतरनाक होता है । डूडू मानता है कि
पहले शक्ति आती है उसके बाद शांति । अगर नोबल देने वालों ने देर की तो वह पूरी
दुनिया मे शांति कायम करने से पीछे नहीं हटेगा । डूडू किसी बात को दिल पर ले लेता
है तो ठान लेता है। संयोग देखिए, यह जो बड़े-बड़े बम बना कर रखे हुए हैं उनकी
एक्सपायरी डेट भी करीब आ रही है। डूडू को इस बात का अफसोस है कि वह सब बदल सकता है
लेकिन किसी चीज की एक्सपायरी डेट नहीं। एक्सपायरी डेट एक बार तय हो गई तो फिर तय
हो गई। बड़े आदमी को अपने बड़प्पन की रक्षा हर कीमत पर करना होती है। नोबल वाले
इतना तो समझते होंगे । और अगर वे नहीं समझते हैं तो उन्हे कोई हक नहीं बनता है नोबल
से खिलवाड़ करने का । जरूरी हो गया है कि वहाँ कुछ समझदार और ‘शरीफ’ लोगों को बैठया
जाए । डूडू मानता है कि ‘शरीफ’ समझदार होते हैं । उसकी ख्वाहिश है कि जितनी जल्दी
हो सके दुनिया भर में उसकी पूजा शुरू हो जानी चाहिए। डूडू के चर्च बनें, डूडू की चर्चा होती रहे । लोग मानें कि डूडू इंसान की पैदाइश नहीं है । वह अवतार है, जीवन
मृत्यु से परे । डूडू को इंडिया बहुत पसंद है। यहां के लोग बहुत समझदार हैं, किसी
भी ऐरे गैरे को पूजने लगते हैं। यहाँ लोग स्कूटर लाते हैं और सबसे पहले उसकी पूजा
करते हैं, फिर वो तो डूडू है, फट सकता है । इधर वाले बड़े आराम से डूडूचालीसा का
पाठ कर सकते हैं । डूडूकथा, डूडूभंडारा, डूडूभजन; क्या नहीं हो सकता है । एक नजर इधर भी है डूडू
की ।
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