मंगलवार, 31 जनवरी 2023

करो प्रदर्शन म्यान का, पड़ी रहन दो तलवार






 

                तय था कि हाथी जिसके गले में माला डाल देगा वही रतनद्वीप का अगला शिक्षा मंत्री होगा । हाथी ने सड़क किनारे बैठी हुई कुतिया के गले में माला डाल दी । हाथी को पता था कि परसाई ने शिक्षा को सड़क किनारे पड़ी कुतिया बताया था जिसे हर कोई लतिया कर चला जाता है । कुतिया रतनद्वीप की शिक्षा मंत्री हो गयी । रतनद्वीप सरकार यों भी दुम पर ज्यादा गौर करती है योग्यता पर कम । लेकिन लात मारने वालों को कोई फर्क नहीं पड़ना था । उनकी टांगे फड़क रही हैं । जो शिक्षा के बारे में नहीं जानते हैं और नहीं जानते हैं कि वे नहीं जानते हैं, उन्होंने शिक्षा मंत्री के गले में सबसे पहले माला पहनाई और उसे अपने प्रभाव में लिया । दूसरे दिन अख़बार में खबर लगी कि ‘वे’ व्यवस्था का प्रतीक तो पहले से ही थीं अब जिम्मेदारी भी मिल गयी है ।

               विभाग में सबसे पहले भाषा को ले कर उठापटक शुरू हुई । मंत्रालयों में उठापटक को चिंतन कहने की आदर्श परंपरा है । रतनद्वीप में अफसरों की भाषा और आम नागरिक की भाषा अलग अलग है । लोग भाषा के बल पर कट मरते हुए आगे निकल जाते हैं । अंग्रेजी फर्राने वाला वकील देसी जज को हलुवा समझते हुए खा जाता है । बहस के दौरान जज मुद्दों से कम भाषा से अधिक जूझता है । शिक्षा व्यवस्था पर सबसे पहले यही सवाल आया कि भाषा का ये हथियार कैसे जब्त किया जाये । क्योंकि मंत्रालय में भी बड़ी दिक्कत होती है । अफसर भाषा के बल पर अपनी सरकार चलाते हैं । मंत्री बेचारा मात्र सरकारी लेटरपेड बन कर रह जाता है । तो सुझाव आया कि सरकार हिंदी में चले । हालाँकि सवाल ये उछले कि क्या नेताओं को सही हिंदी आती है । जवाब गया कि अफसरों को हिंदी में समझाने लायक तो आती है । सरकार के लिए इतना ही काफी था । अब सारे जरुरी काम हिंदी में होंगे । अंग्रेजी के अख़बार भी हिंदी में छपेंगे । शिक्षा मंत्री ने फरमान जारी किया कि स्कूल कालेजों में पढ़ाई हिंदी में होगी । जो ज्ञान-विज्ञान अंग्रेजी में है उसे फ़िलहाल देशभक्त दीमकों के लिए अलमारियों के हवाले करें ।

                   लोकतान्त्रिक व्यवस्था में युद्ध म्यान से लड़े जाते हैं तलवार से नहीं । कबीर होते तो उन्हें कहना पड़ता ‘प्रदर्शन करो म्यान का, पड़ी रहन दो तलवार’ । जनता शत्रु नहीं है, यहाँ तलवार का क्या काम । अशिक्षा और गरीबी दो अनमोल रतन हैं रतनद्वीप के । अशिक्षा से गरीबी लिंक है, गरीबी से वोट और वोट से सत्ता । जुमलों में बोल भले ही दें कि हटायेंगे लेकिन जिस डाली पर बैठते हैं उसे कौन हटाता है भला ! अशिक्षा तो डर का घर भी है । जो डर गया वो सरकार का हो गया । कुछ थे जो कभी गरीबों के हक़ की बात किया करते थे । पता नहीं किस नागाभूमि  में जा बसे हैं । वो भी थे जो बाबासाहब  की बातों पर गौर किया करते थे । उनके शिष्य अब बाबाजीओं को झूमते सुन रहे हैं । अन्धविश्वासी और भक्त यूँ ही नहीं हो जाते हैं लोग । चमत्कारों के बिना यह संभव नहीं है । और सत्ता के समर्थन से बड़ा कोई चमत्कार क्या हो सकता है ? ज्ञान-विज्ञान और बाबाओं के बीच सरकार म्यान ले कर खड़ी है । घोषणाओं-भाषणों की म्यान, उद्घाटनों-शिलान्यासों की म्यान, नारों-विज्ञापनों की म्यान । इन हवाओं में म्यानों से पूरा युद्ध लड़ा जाएगा । आप क्या कहेंगे ! क्या कह सकते हैं ! आपको कहना पड़ेगा – ‘विजयी भव’ ।            

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शुक्रवार, 13 जनवरी 2023

नेचरल-काल है, कभी भी आ सकता है


 




              अभी तक ये बकवास खबर मिडिया में चल रही है कि एक सभ्य हवाई-यात्री ने चलते विमान में एक इन्सान पर पेशाब कर दिया ! सोचने वाली बात है कि कोई अपनी इच्छा से, जानबूझ के तो करता नहीं । हो गयी तो हो गयी, नेचरल काल है जी कभी भी आ सकता है । इसमें कौन सा पहाड़ टूट पड़ा ! शराब पी कर किसी को होश रह जाये तो काहे की शराब ! एं !? शराब अमीरों का शौक है । चार पैग के बाद तो जमीन पर खड़ा आदमी उड़ने लगता है । जो आदमी आलरेडी उड़ रहा हो उसका तो कहना ही क्या ! डबल उड़ान यानी डबल इंजन । बोले तो पवार शहंशाई, मन आएगा वहां करेगा । पोल्टिक्स और उड़न में कोई खास अंतर नहीं है । नीचे देखो तो सब छोटे लगते हैं, चींटियों के समान । क्या आदमी क्या औरत । समुद्र भी घर का टब नजर आता है । कानून का डर जमीन पर होता है । जो जमीन पर है ही नहीं उसके लिए कौन सा नियम-कानून और कैसी नैतिकता । अभी सुना होगा कि रुपया कमजोर नहीं हुआ, डॉलर मजबूत हुआ । मान लिया था ना सबने ? इसी तरह किसी कुत्ते ने खम्बे पर नहीं मूता, खम्बा ही धार के बीच में आ गया, मान लो । ऐसे में समझदार लेब्राडोर क्या करे बेचारा । समझ रहे हैं ना आप ? कोई सीरियस मैटर नहीं है । बड़े बड़े लोगों के जीवन में ऐसी छोटी छोटी बातें होती रहती हैं ।

                        भले आदमियों का भी पक्ष देखना चाहिए मिडिया को । एक तो बेचारा महंगा टिकिट ले कर यात्रा कर रहा था । कुछ पैसा वसूल हो जाये इसलिए पीना पड़ी । मूल रूप से तो वह देश का गौरव बढ़ाने की कोशिश में था कि ये घटना हो गयी । देखिये साहब नागरिक अधिकारों का यह मतलब तो नहीं कि शरीफ आदमी की विवशता के बीच कोई आ जाये और हफ़्तों तक सुर्ख़ियों में बना रहे ! देश इस समय आत्मनिर्भरता के प्रति गंभीर है । जो जहाँ है वहीँ से आत्मनिर्भर हो लेने का अधिकारी है । बस या ट्रेन में हो या फिर प्लेन में ही क्यों न हो उसकी निष्ठा में कोई कमी नहीं आना चाहिए । आपदा में अवसर का मन्त्र है हमारे पास तो फिर सोचना क्या ! बड़े लोगों की बगलगीरी कुछ सावधानियों की मांग करती है । अगले को चाहिए था कि रेनकोट पहन कर बैठे । तरल पदार्थ किसी के भी ऊपर गिरेगा तो कपड़े गीले होंगे ही । हाँ शिकायत यह हो सकती है कि गीले कपड़ों में सफर कैसे करे कोई ! तब सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि यात्री को सूखे कपड़े तुरंत मुहैया करवाए । कोर्ट को भी इसका संज्ञान लेना चाहिए और निर्देश देना चाहिए कि हर टिकिट पर वैधानिक चेतावनी लिखवाये कि ‘पड़ौसी के किये पर विमान और शराब कंपनी जिम्मेदारी नहीं होगी’ ।

                            सब जानते हैं ग्राहक भगवान होता है । हवा में उड़ने वाले यानी वायु भ्रमण करने वाले तो होते ही हैं, आज से नहीं अनंतकाल से । रावण साहब को देखिये, सीताहरण के लिए विमान ले कर आये थे । तो जोर जबरदस्ती, अनैतिकता, मनमर्जी कोई नयी बात नहीं है । हाँ, इस बात से कोई आपत्ति नहीं है कि विमान में दारू परोसने से पहले प्रभारी अधिकारी यह सुनिश्चित कर ले कि ग्राहक देव ने डायपर पहना है या नहीं । नहीं पहना हो तो पहले पहना दे । इसके साथ यह भी ध्यान रखे कि ब्लेक डॉग नहीं दे कोई कुत्ता छाप दे ताकि वह भला आदमी पी कर बेहोश पड़ा रहे । जो भी सम्बंधित हो आगे से ध्यान रखना आप लोग । तो गलती आपकी है, चलो सॉरी बोलो फटाफट ।

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शनिवार, 7 जनवरी 2023

इंजिनियर भुट्टे वाला






 


               जो मीठा बोलता है वही मिट्ठू होता है । कहते हैं आदमी नहीं चलता है उसके बोल चलते हैं । मीठा बोलने वाले की मिर्ची भी बिक जाती है । लेकिन अपने लोकतंत्र में ऐसा नहीं है । नेता मीठा भले ही नहीं बोले झूठ बोलने में माहिर होना चाहिए । यह बात अलग है कि झूठ अक्सर मीठा होता है । लेकिन अति सब जगह वर्जित है । झूठ के मामले में भी । शुरुवाती झूठ रंक को राजा बना सकता है लेकिन लगातार झूठ राजा को रंक बना देता है । यह सच है इसलिए यहाँ लिखा जा रहा है किसी होर्डिंग पर नहीं । होर्डिंग पर प्रायः झूठ ही जंचता है । जैसे आजादी के बाद का सबसे बड़ा झूठ है ‘युवा हृदय-सम्राट’ । अगला न युवा होता है न सम्राट । मिडिया पूछे तो कहता है मैं सेवक हूँ ! असल में वो सेवक भी नहीं होता है । ये झूठ लोकतंत्र की देन है । इसमें असल खेल चमचे कर जाते हैं । उन्हें मालूम है कि भियाजी को ऊपर उठाने के लिए कितने फुग्गे लगते हैं ।

              एक सम्राट छाप कटआउट के नीचे भुट्टे वाला खड़ा है । उसके गले में कार्ड लटका है, परिचय-पत्र की तरह । उस पर लिखा है इंजिनियर भुट्टे वाला । उसके भुट्टों में कुछ जरासे छिले हुए भी हैं । अन्दर से पीले सफ़ेद दाने चमक रहे हैं ।  लग रहा है जैसे भुट्टे दांत दिखाते हंस रहे हैं । बोला – “ले लीजिये सर, बहुत मीठा है । मुंह में घुल जाएगी इसकी मिठास ।“

           “भुट्टा कहाँ इतना मीठा होता है ! सच भी बोला करो जरा ।“

           “झूठ बोल सकते तो क्या भुट्टा बेचते सर  ! कटआउट न हो गए होते । ये देखिये सच, ढो रहे हैं ।“ उसने गले में लटका कार्ड दिखा दिया ।

          “इंजीनियर होकर भुट्टा क्यों बेच रहे हो !?”

           “मजा आ रहा है इसलिए बेच रहे हैं भुट्टा । दुनिया ग्लोबल बाजार है । सब बेचने में लगे हैं । मौका है, आप भी कुछ बेच लो ।“  

           “बाजार में सब बेचने ही निकलते हैं क्या ? मेरे पास बेचने को कुछ भी नहीं है ।“

          “कुछ नहीं है तो ये कटआउट बेच दो । पंछी बीट कर रहे हैं उसके ऊपर ।“

           “ये मेरा नहीं है ... मतलब मैं इसका मालिक नहीं हूँ । न इसे मैंने बनाया है, फिर इसे कैसे बेच सकता हूँ !!”

           “जब तक कोई आपत्ति नहीं लेता आप तो बेच के निकल लो फटाफट झोला दबाके ।“

           “राम नाम जपना, पराया माल अपना ।  ये अपना काम नहीं है इंजीनियर साहब । आखिर ऊपर जा कर भगवान को मुंह दिखाना है ।“

          “ऊपर अब कोई नहीं है । भगवान नीचे आ गए हैं ।“

           “छोड़ो इंजीनियर साहब, आप तो भुट्टा देदो ।“

            “ले जाइये, अमेरिकन है ।“

            “देसी नहीं है ! वो बालों वाला । देसी ... अच्छा होता है ।“

            “जब से नेता दाढ़ी वाले हुए लोग भुट्टा क्लीन शेव्ड पसंद करने लगे हैं । ... किस के काम बढ़िया आता है, ये मीठा भी है । “

            “हम लोग पुराने ज़माने के हैं भाई । हर चीज देसी पसंद करते रहे हैं । आप नए लोग, नया जमाना । हर बात में अमेरिका से नीचे कुछ देखते सोचते नहीं हो ।“

            “तब तो जरुर ले जाइये । आखिर वक्त में ही सही, कुछ तो अमेरिका हो जाएगा जीवन में ।“ कहते हुए उसने दो भुट्टे पकड़ा दिए । बोला –“ अकेले खाइयेगा ? आंटी जी को नहीं दीजियेगा ? आपके लिए एक के साथ एक फ्री । ”

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गुरुवार, 5 जनवरी 2023

बिल्लोरानी ... कहो तो अभी जान ले लूँ !


 



               जंग और मोहब्बत में सब जायज है बिल्लोरानी । जानती हो ना ? देखो, तुम न जानो तो यह तुम्हारा प्राब्लम है, हम तो जानते हैं ... और मानते भी हैं । इतिहास उठा कर देख लो, हमारी जंगों और मोहब्बत की दस्तानों से भरा पड़ा है । पर तुम इतिहास मत देखना, बल्कि मैं तो कहूँगा कुछ भी मत देखना । मोहब्बत अंधी होती है, मतलब मोहब्बत में अंधापन बहुत जरुरी है । देखभाल कर की जाये तो मोहब्बत नहीं सौदा होता है । और साहेबा ... प्यार में सौदा नहीं ।

                मोहब्बत में जान देने वाले अमर हो जाते हैं । तुम्हें अमर प्रेम करना है और देर सबेर अमर होना है । अपनी अम्मा-बापू से पूछ लेना वो बतायेंगे कि आत्मा अमर होती है । पंडित लोग बताते हैं कि उसे किसी शस्त्र से काटा नहीं जा सकता है, न अग्नि उसे जला सकती है, न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है । आत्मा केवल शरीर बदलती है, और शरीर जो है नाशवान है । कोई न भी करे तो भी वह नष्ट होता ही है । लेकिन बिल्लो जान, तुम चिंता नहीं करना । मैं तुम्हारी मदद करूँगा । तुम सच्चा प्रेम करती हो, बार बार जनम लोगी । मिडिया तुम्हें हमेशा याद रखेगा और अपनी टीआरपी बढ़ाएगा । मर के भी किसी का पेट भर सको यह छोटी बात नहीं है ।

               ऐसा वैसा सोचते मत बैठो, आगे भी कुछ सोचना मत । सोचने से खतरों का आभास होता है । डर जाता है सोचने वाला । सुना है ना, ‘आगे भी जाने न तू, पीछे भी जाने न तू , जो भी है बस यही एक पल है’ । और यह एक पल तुम्हारा अपना है बिल्लो डियर । इस पर सिर्फ तुम्हारा अधिकार है । जिंदगी तुम्हारी है । इस पर माँ-बाप का कोई अधिकार नहीं है । अठारह साल से उपर की हो सो कानून भी तुम्हें रोक नहीं सकता है । मैं नहीं हूँ लेकिन तुम तो पढ़ी लिखी हो । तुम्हारे पास डिग्रियां हैं । कमाती हो, अपने पैरों पर खड़ी हो । और क्या चाहिए एक औरत को आज़ाद-औरत होने के लिए !!

             मोहब्बत के मामले में तुम नयी हो । लेकिन मैं हूँ ना, मुझे काफी तजुर्बा है । यह अच्छी बात है । इससे तुम्हारा भरोसा और आत्विश्वास बढ़ना चाहिए । छोटी सी नौकरी में भी एक्सपीरियंस को महत्त्व दिया जाता है । फिर ये तो तुम्हारी जिंदगी का सवाल है । मुझे एक्सपीरियंस है और हम दोनों एक होने जा रहे हैं । दूसरे जब तक ये सीखते हैं कि औरत से प्रेम कैसे करें तब तक हम एक से कर चुकते हैं और दूसरी पर नजर भी रखने लगते  हैं ।  समझदार लोग ज़माने के साथ चलते हैं और तुम्हें तो पता है कि जमाना बहुत तेजी से बदल रहा है ।

             और तुम्हें मालूम है बिल्लो रानी, बोलने बतलाने से टोक लग जाती है । बनता काम बिगड़ जाता है । इसलिए किसी को कुछ भी बोलना बतलाना मत । चुप रहना और चले आना । हालाँकि चुप रहना कठिन होता है औरत के लिए । लेकिन मेरे साथ रहोगी तो अपने आप सीख जाओगी । कोई दिक्कत होगी तो मैं सिखा दूंगा । तुम बस मोहब्बत करती चलाना । जब तक मोहब्बत चलेगी तभी तक जिंदगी चलेगी । बिना मोहब्बत के जिंदगी का क्या मायना । ठीक है ना बिल्लो ? मैं कुछ गलत तो नहीं बोल रहा हूँ । बड़ी बड़ी बातें हैं, कहने सुनने में कितनी अच्छी लगती हैं । किताबें तो पढ़ नहीं सका, पिच्चरें देख देख कर सीखी हैं । नालेज कहीं से भी मिले लेना चाहिए ।

               तो क्या तय किया बिल्लो बिंदास ? देखो ना मत कहना वरना ..... मेरी जान निकल जाएगी । तुम्हें पाप लग जायेगा । तुम जानती हो ना कि औरत एक ही बार प्यार करती है ? तो अब तुम किसी और से प्यार कर सकती हो ऐसा सोचना भी मत । तुम्हारी रजामंदी मांग रहा हूँ इससे ज्यादा शराफत का सबूत क्या  हो सकता है । अच्छा ऐसा करते है कि काउंट करते हैं, तुम रजामंदी देना ओके । एक ... दो... तीन ... पर ध्यान रखना बिल्लो, मुझे पैंतीस के आगे गिनती नहीं आती है ।

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बुधवार, 4 जनवरी 2023

मेरे पास भावना माँ है


 




“मेरे पास मुद्दे हैं, सवाल हैं, गवाह हैं, तुम्हारे झूठ हैं, तुम्हारे फर्जी काम हैं । तुम्हारे पास क्या है ? क्या है तुम्हारे पास ?” विजय ने पूछा ।

“मेरे पास भावना माँ  है ।“ रवि ने कहा । “और भाई एक बार भावना माँ आहात हो गयी ना तो तुम अपने मुद्दों को भोंगली बना के कहाँ रखोगे यह भी तुम्हें नहीं सूझेगा ।“

सीन कट हुआ । लोगों ने ताली बजा दी । तमाम रवि खुश हुए । पैसा वसूल ।

अगले सीन में भावना माँ इफ़्तेख़ार साहब के सामने है ।

“अच्छा, तो आप भावना हैं ! ... क्या करती हैं भावना जी ? मतलब कोई काम धंधा ?” साहब ने पूछा ।

“माँ हूँ, माँ के हजार काम होते हैं साहब ।“

“फिर भी, कुछ तो करती होंगी ?” साहब ने सिगार जलाते हुए पूछा ।

“पार्ट टाइम काम है साहब । बेटों से जब इशारा मिलता है आहत हो लेती हूँ । बस ।“ दुखी मन से वह बोली ।

“आहत होना कोई काम तो नहीं है । आप आहत क्यों होती हो !? ”

“माँ हूँ ना, माँ का काम ही आहत होना है । लोगों के चाल-चलन, बोल-बचन, रंग-रूप वगैरह देख कर मुझे आहत होना होता है । यही मेरी ड्यूटी है । वरना तो आप देखिये समाज भावनाहीन होता जा रहा है । प्रेम में भी तीस-पैंतीस टुकड़े कर देते हैं लोग । कोई सड़क पर घायल पड़ा हो, नदी में डूब रहा हो, भावनाहीन लोग वडियो बनाने लगते हैं । अपने बूढ़े माँ-बाप मेले में छोड़ जाते हैं और पलट कर भी नहीं देखते हैं ।“ कुछ पुराने अख़बार टटोलते हुए उसने कहा ।

“तुम क्या सोयी रहती हो ऐसे समय ? तुम्हें जागृत होना चाहिए । तुम अपना काम ठीक से करो तो लोग जाहिलपन से बचे रह सकते हैं । समाज को भावनाप्रधान बनाना तुम्हारी जिम्मेदारी है । लगता है गलती तुम्हारी है भावना माँ । लगता है तुम्हें ही आहत होने में मजा आता है ।“

“बेटों की दया पर जी रही हूँ । भावना का मजे से क्या लेन-देना साहब ! लोगों ने ही सोचना समझना बंद कर दिया है । पता नहीं किसके भक्त हैं ! रोबोट होते जा रहे हैं लोग । उनकी प्रोग्रामिंग कहीं और से होती है । किसी अदृश्य रिमोट से संचालित होते हैं । आप जानते होंगे कि रोबोट में सिर्फ हरकत होती है भावना नहीं ।“

“चलो माना रोबोटों का जीवन प्रोग्रामिंग से होता है भावना से नहीं । लेकिन लोगों को रोबोट मानोगी तो तुम्हारा उनका सम्बन्ध बनेगा कैसे !” समझाइश देते हुए साहब बोले ।

“यही तो दिक्कत है साहब । समाज का रोबोटीकरण होता जा रहा है तो ऐसे में मेरे लिए जगह कहाँ बचती है । आम आदमी संज्ञा शून्य होता जा रहा है, उससे जब चाहो थाली बजवा लो जब चाहो ताली बजवा लो । हर आदमी गुरु बना हुआ है और दूसरों को ज्ञान फॉरवर्ड कर रहा है । किसी और को सुनने देखने की फुरसत किसी के पास नहीं है ! और मैं तो समझो कुछ हूँ ही नहीं । जब चाहा मुझसे खेला, जब चाहा मेरे नाम से खेल किया । बेटों के आगे माँ कितनी लाचार होती है साहब आप शायद नहीं जानते हैं ।“

“फिर भी तुम इंकार कर सकती हो आहत होने से । आखिर तुम भावना माँ हो, अभी भी तुम्हारा सम्मान करने वाले हैं समाज में ।“ साहब ने सांत्वना दी ।

“भावना के लिए विवेक का साथ जरुरी है । रोबोट में विवेक कहाँ होता है साहब । टीवी और सोशल मिडिया ने विवेक को पता नहीं कहाँ फ्लश कर दिया है । घोर भक्ति का दौर है, मुफ्त का राशन खाओ  और भजन करो । ईश्वर ने हाथ दे कर भेजा था कि इज्जत से मेहनत की खायेंगे, लेकिन भीख से ही खुश है जनता ।“ भावना ने शिकायती सुर में कहा ।

“ऐसे कैसे चलेगा भावना, कुछ करो, समझाओ लोगों को । आखिर तुम स्वाभिमान रखने वाली भावना माँ भी तो हो । जनता के बारे में सोचो । कल अगर मुफ्त का राशन बंद हो गया तो क्या एक भिखारी दूसरे भिखारी से भीख मांग सकेगा ! और क्या उसे मिलेगी !?”

“लोग कहते हैं जब सरकार ही उधार ले ले कर घी पी रही है तो हमें नसीहत देने का अधिकार किसी को नहीं है ।“ भावना माँ चिंतित हो चली ।

“फिर भी तुम्हारा मजबूत होना जरुरी है भावना । बताओ मैं क्या मदद कर सकता हूँ तुम्हारी ?” साहब ने सांत्वना देते हुए कहा ।

“रोक सको तो रोको साहब, भावना माँ को अंधभक्तों ने कब्जे में ले लिया है । जिधर देखो भक्त ही भक्त हैं । मैं कमजोर हो गयी हूँ । किसी दिन जिन्दा नहीं रही तो डर ये है कि ये भक्त आपस में लड़ मरेंगे ।“

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रविवार, 1 जनवरी 2023

शांतिपुरम जाग रहा है !


 


              प्राचीन देश शांतिपुरम में दो तरह के लोग रहते हैं ।  एक जो जागे हुए हैं और दूसरे जो जागे हुए नहीं हैं ।  इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती है कि ऐसे में शांतिपुरम सरकार के पास दो ही प्राथमिक काम हैं एक यह कि जागे हुए लगातार जागते रहें और दूसरा जो जागे हुए नहीं हैं उन्हें ‘जागो जागो’ कहते हुए जगाया जाये ।  प्राथमिकता है इसलिए बहुत सारे संगठनों और उनकी तमाम शाखाओं को इस काम में लगाया गया है ।  उनका काम है कि एक एक आदमी के पास पहुंचें और पड़ताल करें कि वह कायदे से जागा हुआ है या कि जागा हुआ नहीं है ।  आदेश यह भी हुआ है कि जागने वालों और नहीं जागने वालों की जनगणना की जाये ।  ताकि शांतिपुरम की जागरण सम्बन्धी सरकारी योजनाओं का पूरा पूरा लाभ सरकार को मिले ।  जो लोग गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई जैसी घिसीपिटी समस्याओं को रोते मिलेंगे उन्हें सुप्त दर्ज किया जायेगा ।  जिन्हें चारों और भ्रष्टाचार बेईमानी, चोरी-डकैती दीख रही हो उन्हें सुपर-सुप्त श्रेणी में दर्ज किया जायेगा ।  जो शांतिपुरम सरकार के काम को संदेह से देखेंगे, नेतृत्व पर सवाल करेंगे या जो राइट टू इन्फार्मेशन यानी सूचना के अधिकार के तहत नेतृत्व का खाना खर्चा, कपड़ा-लत्ता और तोतों-कबूतरों के दाना-पानी का हिसाब पूछेंगे उन्हें अचेत श्रेणी मिलेगी ।  विशेष प्रकरणों में इन्हें एडवांस में मृत भी मान लिया जा सकता है ।  जो लोग धर्म-जाति, पूजा-प्रार्थना, ऊँच-नीच, अगड़ा-पिछड़ा को लेकर अतिसंवेदनशील हैं केवल वही जागे हुए माने जायेंगे ।

“जो जागे हुए नहीं हैं उनका क्या करें साहेब जी?” जागरण सचेतक ने पूछा ।

“सबसे पहले उन्हें चिन्हित करो, सूचि बनाओ, नजर में रखो, समझाओ, लालच दो, डराओ पहले शाब्दिक फिर सोंटा-दर्शन से, बौद्धिक दो कि छापा पड़ सकता है ।  उन्हें जागरण-शक्ति द्वारा भेजे गए वीडियो दिखाओ, वाट्स एप मेसेज भेजो, लड़ाई झगड़ों के पुराने प्रसंग याद दिलाओ, दिन दिन भर ‘जागो-जागो’ बोलो ।  पूरा मौका दो उन्हें, अपनी तरफ से पूरा प्रयास करो कि वे जाग जाएँ ।  उन्हें जागना ही पड़ेगा । ” साहब ‘जी’ बोले।

“आदरणीय महोदय फंड की कमी है ।  कोई प्रावधान कर दें तो काम को गति मिले । ” सचेतक ने अपनी समस्या बताई ।

“फंड की कमी है तो पुलिस से संपर्क करें ।  वे बिना बात चालान बनाते ही हैं, शांतिपुरम के हित में उसे दुगना करें ।  सक्षम विभागों से कहो कि सुप्तों और सुपर सुप्तों पर छापा मारी करें ।  इससे या तो वे जाग जायेंगे या फिर आपकी फंड व्यवस्था करेंगे ।  हर हाल में पूरा शांतिपुरम हमें जागृत करना है । ”

“हम पूरी कोशिश कर रहे हैं साहेब जी ।  किन्तु हमारे सामने सवाल यह भी है कि बहुत से लोग हैं जो इससे भी नहीं जागे तो ?”

“उन्हें बताओ कि पुरस्कार देंगे, ईनाम मिलेगा, नगद भी मिलेगा, उधार भी मिलेगा।   हवाई जहाज में बैठाएंगे और पूरे शांतिपुरम का चक्कर लगवाएंगे, पद-वद भी मिल सकता है । ”

“महोदय क्षमा करें, न जागना भी एक तरह की कट्टरता है ।  कुछ लोग कट्टरता की हद तक नहीं जागे हुए हैं ।  हमारी कोशिशों के बाद भी वे नहीं मानेंगे । ”

“ऐसों को बताओ कि नहीं जागे तो शांतिपुरम में दंगा हो सकता है ।  तुम नहीं जागे तो जागे हुओं के हाथों मारे जा सकते हो ।  बताओ कि सुप्तजनों को स्वर्ग में जगह नहीं मिलती है ।  और इसके बाद भी नहीं मानें तो ...  तो आप लोग ईश प्रेरणा से अपना काम कर सकते हैं । ”

“ठीक है साहेब, इन्हें मृतक सूचि में ही रखना पड़ेगा ।  लेकिन इतने सारे लोगों को ठिकाने कहाँ लगाया जा सकता है ?”

“चिंता नहीं करें, देवनदी माँ है ।  देवनदी की क्षमता बहुत है, देवनदी शांतिपुरम के पक्ष में हमेशा तत्पर है ।  ...  जाओ अब समय नष्ट मत करो देवनदी प्रतीक्षा कर रही है । ”

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