जो मीठा बोलता है वही मिट्ठू होता
है । कहते हैं आदमी नहीं चलता है उसके बोल चलते हैं । मीठा बोलने वाले की मिर्ची
भी बिक जाती है । लेकिन अपने लोकतंत्र में ऐसा नहीं है । नेता मीठा भले ही नहीं
बोले झूठ बोलने में माहिर होना चाहिए । यह बात अलग है कि झूठ अक्सर मीठा होता है ।
लेकिन अति सब जगह वर्जित है । झूठ के मामले में भी । शुरुवाती झूठ रंक को राजा बना
सकता है लेकिन लगातार झूठ राजा को रंक बना देता है । यह सच है इसलिए यहाँ लिखा जा
रहा है किसी होर्डिंग पर नहीं । होर्डिंग पर प्रायः झूठ ही जंचता है । जैसे आजादी
के बाद का सबसे बड़ा झूठ है ‘युवा हृदय-सम्राट’ । अगला न युवा होता है न सम्राट । मिडिया
पूछे तो कहता है मैं सेवक हूँ ! असल में वो सेवक भी नहीं होता है । ये झूठ
लोकतंत्र की देन है । इसमें असल खेल चमचे कर जाते हैं । उन्हें मालूम है कि भियाजी
को ऊपर उठाने के लिए कितने फुग्गे लगते हैं ।
एक सम्राट छाप कटआउट के नीचे भुट्टे
वाला खड़ा है । उसके गले में कार्ड लटका है, परिचय-पत्र की तरह । उस पर लिखा है
इंजिनियर भुट्टे वाला । उसके भुट्टों में कुछ जरासे छिले हुए भी हैं । अन्दर से
पीले सफ़ेद दाने चमक रहे हैं । लग रहा है
जैसे भुट्टे दांत दिखाते हंस रहे हैं । बोला – “ले लीजिये सर, बहुत मीठा है । मुंह
में घुल जाएगी इसकी मिठास ।“
“भुट्टा कहाँ इतना मीठा होता है !
सच भी बोला करो जरा ।“
“झूठ बोल सकते तो क्या भुट्टा बेचते
सर ! कटआउट न हो गए होते । ये देखिये सच,
ढो रहे हैं ।“ उसने गले में लटका कार्ड दिखा दिया ।
“इंजीनियर होकर भुट्टा क्यों बेच
रहे हो !?”
“मजा आ रहा है इसलिए बेच रहे हैं
भुट्टा । दुनिया ग्लोबल बाजार है । सब बेचने में लगे हैं । मौका है, आप भी कुछ बेच
लो ।“
“बाजार में सब बेचने ही निकलते हैं
क्या ? मेरे पास बेचने को कुछ भी नहीं है ।“
“कुछ नहीं है तो ये कटआउट बेच दो ।
पंछी बीट कर रहे हैं उसके ऊपर ।“
“ये मेरा नहीं है ... मतलब मैं इसका
मालिक नहीं हूँ । न इसे मैंने बनाया है, फिर इसे कैसे बेच सकता हूँ !!”
“जब तक कोई आपत्ति नहीं लेता आप तो
बेच के निकल लो फटाफट झोला दबाके ।“
“राम नाम जपना, पराया माल अपना
। ये अपना काम नहीं है इंजीनियर साहब ।
आखिर ऊपर जा कर भगवान को मुंह दिखाना है ।“
“ऊपर अब कोई नहीं है । भगवान नीचे आ
गए हैं ।“
“छोड़ो इंजीनियर साहब, आप तो भुट्टा
देदो ।“
“ले जाइये, अमेरिकन है ।“
“देसी नहीं है ! वो बालों वाला ।
देसी ... अच्छा होता है ।“
“जब से नेता दाढ़ी वाले हुए लोग भुट्टा
क्लीन शेव्ड पसंद करने लगे हैं । ... किस के काम बढ़िया आता है, ये मीठा भी है । “
“हम लोग पुराने ज़माने के हैं भाई ।
हर चीज देसी पसंद करते रहे हैं । आप नए लोग, नया जमाना । हर बात में अमेरिका से
नीचे कुछ देखते सोचते नहीं हो ।“
“तब तो जरुर ले जाइये । आखिर वक्त
में ही सही, कुछ तो अमेरिका हो जाएगा जीवन में ।“ कहते हुए उसने दो भुट्टे पकड़ा
दिए । बोला –“ अकेले खाइयेगा ? आंटी जी को नहीं दीजियेगा ? आपके लिए एक के साथ एक फ्री
। ”
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