पार्टी कार्यालय के पास जय भवानी टी
स्टाल पर इन दिनों राजनीति का क्रेश कोर्स सा चल रहा है । कोई गुरु है कोई उस्ताद
और कोई फ्रेंड, फ़िलासफ़र,
गाइड है । नए पुरानों से और पुराने नयों से सीख रहे हैं । इसी चक्कर में पुराने टी
शर्ट में और नये आधी बांह के कुर्ते में
नजर आ रहे हैं । पचहत्तर पार वाले टी शर्ट, हेयर डाइ और काले
चश्में के सहारे अपने को ‘युवा हृदय सम्राट’ की पटरी पर घसीट रहे हैं । छोटों का दावा ये कि वे बड़ों के रेले जानते
हैं और बड़े छोटों कि नस नस से वाकिफ हैं । वोटरों के पैर छू छू के जिनकी आत्मा पर
छाले पड़ गए हैं वे अब नयों से घुटने छुलवा कर चन्दन सा कुछ लगवा रहे हैं । यहाँ चाय का
मतलब कट चाय है और भिया का मतलब तो आप जानते ही हैं । साधारण लोग जिसे लोकतंत्र
समझते हैं दरअसल वो भियातन्त्र है । भिया इसलिए लीडर हैं क्योंकि वे सपने दिखाना
जानते हैं । लोगों के हाथ में काम नहीं है लेकिन आँखों में सपना है, वो भी भिया बनने का ।
महापुरुष कह गए हैं कि सपने देखना बंद मत करो । पूरे हो ना हों सपने देखते रहने से
टाइम अच्छा पास होता है । पाँच साल कब निकल जाते हैं पता ही नहीं चलता है । एक
जमाना था जब नौजवान लोग भगतसिंग-आज़ाद बनने का सपना देखा करते थे । लेकिन नयी पीढ़ी
गलतियाँ ढ़ोने की बजाए सुधारने की हामी हैं । वे मानते हैं कि पुराने लोगों से
सीखेंगे तो कुछ हासिल नहीं होगा । जमाना बादल गया है, हासिल
करना ही सफलता है । इसलिए राजनीति के इस स्कूल में भिया-दर्शन, भियावाद, भियाचिंतन,
भिया-एक्शन, भिया-रिएक्शन,
भिया-कलेक्शन सिलेबस में हैं । जिसने समझ लिया, रास्ते उसके
लिए खुल्ले हैं । चाय बेचो या शराब, इरादे मजबूत होना चिए । दुनिया करमचंदों की है शरमचंदों की नहीं ।
“देखो पेलवान, क्या हे कि हर किसी को अपना अपना काम ठीक से
करना चिए । सास्त्रों में लिखा है कि काम
कोई भी छोटा नहीं होता है । अपन नोकरी के भरोसे बैठे रहते तो आज भी बैठे ही रहते ।
अपन जग्गा बापू हैं क्या । नाम तो सुनाई होगा ? आज जग्गा
बापू का नाम चलता है ऊपर से नीचे तलक तो ऐसई नहीं । “
“ जग्गा बापू !!! आप तो
......च च !”
“हाँ , चोरी का बिजनेस है अपना । क्या हे कोई काम छोटा नहीं होता है और कोई काम
बुरा भी नहीं होता है । भावना अच्छी होना चिए बस । पर लोग होन जो काम कर नहीं पाते
हैं उसको बुरा बोलने लगते हैं । अब माल्या लोन लेके भाग गया तो हर कोई उसको गाली
दे रहा है । इनमें से किसी को भी हजार करोड़ दे दो फिर देखो ये कहाँ मिलते हैं ।
... तुम क्या करते हो ? “
जग्गा बापू ने पूछा ।
“ अभी तो असिस्टेंट भीड़ मेनेजर हूँ
। पोपसिंग यादो भिया ने बोला है कि चुनाव का टाइम है, भीड़ बनो बनाओ, नारे-वारे भी लगाना । ... पर पता
नहीं पेमेंट देंगे या नहीं । “
“ पढे लिखे हो क्या !?” बापू ने धीरे
से पूछा ।
“ हाँ, इंजीनियर हूँ । घरों के नक्शे बना सकता हूँ ....लेकिन....ये करना पड़ रहा
है ।“
“ सही रास्ते पर हो । काम कोई छोटा
बड़ा या अच्छा बुरा नहीं होता है । पोपसिंग यदो ने ठीक किया, लोकतंत्र से कुछ हासिल करना है तो सबसे पहले भीड़ बनना चिए । सरकार पर भीड़
का कर्ज होता है । इसलिए हर मौके पर वो भीड़ के समर्थन में होती है । भीड़ को छोटा
मत समझो, जो काम कानून से नहीं हो सकता है वो भीड़ से हो जाता
है । और ये बात भी ध्यान रखो कि बिना भीड़ के नेता नहीं होता है ।“
“ लेकिन चुनाव के बाद क्या करूंगा
बापू ?”
“ ये पोपसिंग यदो भिया का हेडेक है
तुम्हारा नहीं । तुम बस भीड़ बने रहो । शेर के साथ लगे रहने वाले को हड्डी का टोटा
नहीं रहता है । .... चाहो तो मेरे साथ लग जाना । अपने हाथ के नीचे भी चार आदमी काम
करते हैं । आजकल पासवर्ड के मार्फत चोरी होती है, तुम पढे लिखे हो तो अपनी कंपनी बड़ी हो जाएगी ।“
“अरे बापू !! में ये नहीं कर पाऊँगा
। पकड़े गए तो जिंदगी बर्बाद हो जाएगी । “
“ऐसे कैसे पकड़े जाएंगे !! भिया का
काम नई कर रये ! भिया का हाथ है अपने उपर । फिर पुलिस, वो सब जानती है, और मानती भी है । सब एक दूसरे के
लिए जरूरी हैं और सारे एक ही हम्माम में खड़े हैं ।“
बापू मानते हैं कि पुलिस डाइरेक्ट
जनता की सेवक है और उनके जैसे लोग इंडाइरेक्ट सेवक है । पिछली बार भिया को फंड की
जरूरत पड़ी थी तो बापू ने बैंक के तीन एटीएम तोड़े थे । लोकतन्त्र की रक्षा के लिए
हर किसी योगदान देना पड़ता है ।
अभी देखो,
भिया ने बोला है कि बापू एक महिना चोरी बंद, बस पार्टी का
काम करो । जैसे पुलिस ड्यूटी करती है वैसी अपनी भी है । पहले सरकार बन जाए, विभाग तय हो जाएँ, भिया लोग काम सम्हाल लें उसके
बाद व्यवस्था बहाल हो जाएगी ।
----
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें