चुनाव में चंदा नहीं होना ऐसा है जैसे
पूनम की रात में चाँद न हो । चाँद खिले, तारे
हँसे तभी रात मतवारी है, समझने वाले समझ गए, ना समझे वो अनाड़ी है । पोपसिंग जादो भिया के पास अपनी एक चंदा केबिनेट है, जिसके ऑफिस इंचार्ज साले साब हैं । उन्हें सब चंदा मामा कहते हैं । भाभी जी केबिनेट हेड हैं, वे सागर की तरह गहरी और विशाल हैं
और अगर ठीक से बांधी जाएँ तो आठ मीटर साड़ी
में वन पीस समेटी जा सकती हैं । सारा चंदा अंत में उन्हीं की खाड़ी में जा कर गिरता
है । भाभी जी के बन्दरगाह पर सिर्फ पेटियाँ ही उतरती हैं । हिसाब भी केवल पेटियों का
रखा जाता है । जो पेटीदार हैं वही सूची में दर्ज है । शहर में पच्चीस पचास पेटियों
वाले भी हैं और दो चार पेटियों वाले भी । पच्चीस पचास पेटियों वाले मध्य रात्री में
उड़ते हुए आते हैं और सीधे खड़ी के खाड़े में अपनी पेटियाँ डाल कर लौट जाते हैं । चंदा
केबिनेट दिनरात धनसंपर्क में व्यस्त रहता है । जिस तरह बूंद बूंद से घड़ा भरता है उसी तरह थैली थैली से पेटी भी भरती है । थैली वाले निराश न हों इसलिए राज्यमंत्री का
दर्जा प्राप्त दो तीन लोग चंदा मामा के नीचे इस काम में भी लगे हुए हैं ।
तेरह चुनाव देख चुके तजुर्बेकार बाप
ने समझाया कि बेटा जमाना लोकतंत्र का है । पानी में अगर इज्जत से बने रहना है तो
बड़े मगरमच्छों को भी छोटे मगरमच्छों से बैर नहीं करना चाहिए । ये सारे छोटेलाल
मौसमी होते हैं, आते हैं और जाते हैं । जैसे
जिन्न चिराग में रहता है वैसे ही ये लोग पेटी में रहते हैं । जब भी पेटी रगड़ो ये ‘जो
हुकम मेरे आका’ कहते सेवा में हाजिर हो जाते हैं । कहने को
जनता के हैं लेकिन असल में होते हमारे हैं । और कुछ नहीं तो शादी ब्याह में खड़े कर
दो तो शान बढ़ जाती है । दे दो, देने में घाटा नहीं है । इनके
होने से अपन भी मनमर्जी से काम कर लेते हैं, वरना कानून किसी
का सगा होता है !?”
बेटा समझा तो सही , लेकिन अभी भी उसके मन में सवाल थे –“ किस किस को देंगे बाबूजी ! तमाम लोग खड़े हैं चुनाव
में । “
“ हर पार्टी वाले को दो बेटा, कौन कैसे सरकार में आ जाए इसका भरोसा नहीं । हम वणिक बुद्धि के है, थैली दे कर पेटी बनाते हैं और पेटी दे कर खोखे । सिस्टम को समझो बेटा ।
किसान बीज फैकता है तो फसल मिलती है । तो पेटी फैको, पेटी की फसल उगाओ । “
“ ठीक है, पेटी में हजार और पाँच सौ के पुराने नोट रख कर दे दूँ ? खप जाएंगे अभी । वो तो सिर्फ पेटियाँ गिनते होंगे ।... इसी बहाने पुराने नोट
अगर सरकार फिर से चला दे । “
“ सब जगह बेईमानी कर लेना बेटा, लेकिन यहाँ नहीं । हमारा उनका परंपरागत संबंध है । सदियों से हम उनके काम
आए हैं और वो हमारे । हमारा चोली दामन का साथ है , वे हमारी ढँकते
हैं और हम उनकी । नए नोट दो, गुलाबी । समझे । “
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