आगे वाला यानी लल्लू कप्तान चिल्ला
कर बोला – “ देश का नेता कैसा हो ......”
पीछे से आवाज आई – “ आलू पूरी जैसा
हो । “
“अबे ओ !!! ये क्या बोले रे !! ... ‘पोपसिंग भिया जैसा हो’ बोलना चाइए था ना । ... ये
आलू पूरी जैसा क्या होता है !!?”
“लल्लू भिया, आठ दिन से दोनों टेम आलू पूरी खा रहे हैं तो मुंह से यही निकलेगा ना ।
इसमे हम क्या करें ?” फिल्मी व्यक्तित्व सा राजा मिसरा बोला
जो पिछले कई दिनों से चुनाव प्रचार में नाश्ते-खाने और एक पौवे के लिए लगा हुआ है
। यहाँ इसलिए कि दूसरी जगह कहीं इसकी दाल नहीं गल पाई है ।
“ये कोई बात है बे !! अगर लड्डू-बाफले
खाओगे तो क्या ‘देश का नेता लड्डू-बाफले जैसा हो’ बोलोगे !! ... खाने का नारे से
से क्या लेना देना है ? जानते हो जब संघर्ष का मौका आया तो महाराणा प्रताप ने घास की रोटी खाई थी । और यहाँ अपन मजे में पूरी-पटेटो खा रहे हैं । कितना
विकास हो गया देश में, कुछ पता भी है ?”
अभी घंटा भर के नारे हुए थे कि लंच
का रिक्शा आ गया । इंचार्ज ने हाँका लगाया – चलो भिया लंच ले लो ।
राजा ने उम्मीद के साथ पूछा – आज
क्या है ?
“ मंगलवार है । “ इंचार्ज ने आँख
मारते हुये कहा ।
“ अरे भिया खाने में क्या है ये पूछ
रहा हूँ । “
“ खाने में !! ....चिकन-मसाला, चिकन-कढ़ाई, चिकन-तंदूरी, वेज
में मेथी-मटर-मलाई, पालक-पनीर, शाही-मटर-पनीर , दाल-मखनी, दाल-फ्राई ....... “
“ चल बस कर यार ..... निकाल
आलू-पूरी के पेकेट ।“
" आलू पूरी नहीं , पूरी पटेटो बोल भाई । देश तरक्की कर रहा है । "
सारे कार्यकर्ता पेकेट ले कर बैठ गए खाने । लेकिन राजा का मन कूढ़ रहा था ।
साथ वाले से बोला – “यार रोज रोज अपने
से आलू-पूरी खाते नी बनती है । छे पूरी और आलू की सूखी भाजी ! साला कारकरता नी हुआ
बाइक हो गया, रोज ढक्कन खोल के एक लीटर पेट्रोल कूड़ दो हो गया
!!”
“सब दूर येई चल रा हे रे । ... खा ले यार , आज तली हुई मिर्ची भी है । “
“ अरे गेस भोत होती हे , हजम नी होती है आलू-पूरी । “
“ पुलिस वाले भी यही खाते हैं, और बेचारे कितनी लंबी ड्यूटी करते हैं । पंचायत चुनाव से ले कर प्रधान
मंत्री चुनाव तक आलू पूरी ही चलती है । “
“नीचे के लेबल पे चलती होगी । “
“अरे तो यार अपन कब से ऊपर के लेबल में
आ गए ?”
“ ऐसा नहीं है यार, अपने मोटभाई को टिकिट नी मिला इस बार नहीं तो देखते तुम । उनके यहाँ तो
समझो कि शादी का रिसेपसन चलता रेता हे वोटिंग के दिन तक । गए साल तो महिना भर
दोनों टाइम जम के सूता अपन ने । “
“ और क्वाटर ?”
“ क्वाटर आखरी के सात दिन । वो भी ब्लेक
डॉग इंडियन । “
“ पता है मोटा भाई कभी कोई चुनाव क्यों
नहीं जीत पाया ? .... इसलिए कि उसके कारकरता खा खा
के लद्दड हो जाते हैं । पर्ची तक नहीं बाँट पाता था कोई । “
“ पर आलू कोई चीज है !! कभी छोले पनीर
भी तो बन सकते हैं । “
“ आलू से तुमको न जाने क्या है !! वरना
आजकल तो च्यवनप्राश में भी आलू पड़ता है । कोई महिना भर च्यवनप्राश खा ले तो गाल आलू
जैसे निकल आते हैं । समोसे से ले कर डोसे तक पूरे देश में आलू का राज है । सही बात
तो ये है कि आलू के दम पे प्रजातन्त्र है । इसलिए आलू खाओ देश को आगे बढ़ाओ । “
“किसी ने मेंगों-मेन कहा, किसी ने केटल-क्लास बोला, लेकिन असल में हम पूरे आलू
भी नहीं हैं, आलू-चिप्स हैं । हर अवसर पर, हर प्लेट में एक जरूरी आइटम । “ राजा मिसरा ने पेकेट खोल कर आलू-पूरी गाय को खिला दी । बोला – लो माते , चुनाव में तुम्हारा भी बड़ा योगदान चल रहा है, तुम भी
खाओ और पोपसिंग भिया को जिताओ । “
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