बुधवार, 29 जुलाई 2020

सोच बदलें और आगे बढ़ें

देखो रे, एक बात साफ साफ समझ लो ... क्राइम व्राइम कुछ नहीं होता है, जो होता है वो समाज सेवा होती है । पुलिस जनता की सेवा के लिए है, नेता और सरकार भी सब लोगों की सेवा के लिए हैं तो अपुन भी जनता की सेवा के लिए हैं । इसमें कोई पर्सनल दिक्कत क्या  ?  अगर हो तो बताओ अब्बी ठीक कर देते हैं । सब मीडिया वालों का टीआरपी का चक्कर है और कुछ नहीं । अपोजीशन का फैलाया भ्रम है कि क्राइम से जनता परेशान है । जनता का कुछ मत पूछो, वो तो वोट दे के भी परेशान है । सच्ची बात ये है कि क्राइम को बदनाम कर रखा है । आप लोग डिक्शनरी के अर्थ पे मत जाओ, प्रिंटिंग मिस्टेक हो जाती है । अबकी डिक्शनरी वाले हाथ लग गए तो करेक्ट करवा देंगे । दरअसल क्राइम भी एक तरह का प्रोफेशन है । अपनी सोच बदलो और आगे बढ़ो । जिसने क्राइम के साथ जीना लिया समझो विकास कर लिया । वो लंबी रेस का घोड़ा है । जो सोच में पिछड़ गया वो गया काम से ।

लोकतन्त्र के नाम पे सब लोग छाती चौड़ी करते हैं पर सोचा कभी कि हम नहीं होंगे तो क्या होगा । चुनाव कौन करवाता है, नेता किसके दम  पे हूल मारते हैं ! नींव का पत्थर हैं अपन तो काय के लिए ! ... समाज सेवा के लिए ही ना । अभी आप एनकाउंटर के बारे में सोच रहे होगे, ...  तो होता है, समाज सेवा में जोखिम होतई है । महान लोग को अपने काम में हमेशा खतरा रहता है । गांधी जी को भी जान से इसकी कीमत चुकानी पड़ी तो अपन क्या चीज हैं । सब लोग जनता के लिए पाप पुण्य देखे बगैर लगे हैं सेवा में तो हम भी लगे हैं । कोई नया काम तो कर नहीं रहे, बस तरीका थोड़ा अलग है । आपने किसी अस्पताल से पूछा कि भईया इत्ता सारा बिल किस लूट का हिस्सा है !? किसी स्कूल वाले से पूछा कि मोटी फीस लेने के बाद भी किताब-कपड़ा जूता-मोजा के अंदर दीमक से लगे क्यों चाट रहे हो हमें !? मॉल में जाते हो और तीन मोसम्बी का ज्यूस दो सौ में पी कर जेब कटवाते हो और वो भी राजी खुशी ! तब कोई आवाज नहीं निकलती है !! ये सब लोग सेवा कर रहे हैं ! और हमने जरा सा हप्ता मांग लिया तो ततैया काट गई कान पे !! अभी समझो हम टांग तोड़ दें तुम्हारी तो हमारा कुछ बिगड़ेगा ? सरकार या देश का कुछ बिगड़ेगा ? बीवी बच्चों के अलावा कोई नोटिस लेगा ? नहीं ना । तुम अस्पताल जाओगे और वहाँ पैसा दोगे या नहीं दोगे ? तुम्हारी टांग नहीं तोड़ रहे हैं तो तुम्हारे दो लाख बचा रहे हैं । और मांग क्या रहे हैं हफ्ते का हजार ! हजार भारी पड़ रहा है तुमको ! तुमने बीमा करा रखा है ना ? सोचते हो पैसा मिल जाएगा, ... नहीं मिलेगा । बीमा वाले बीमारी के इलाज का पैसा देते हैं । वो भी क्राइम को बीमारी नहीं मानते हैं । क्राइम को बीमारी कोई नहीं मानता है । क्राइम संस्कृति के अंतर्गत आता है । परंपरा है हमारी । लोग रिपोर्ट लिखवाते हैं थाने में । लिखवाना ही चाहिए, इससे क्राइम लाइम लाइट में आता है । सेवक की फोटू छ्पती है फ्रंट पेज पर । लोग अपने सेवक को पहचानने लगते हैं । एक जरूरी मेसेज जाता है लोगों में कि सोच बदलें और आगे बढ़ें । तुम भी चलो, हम भी चलें, चलती रहे जिंदगी । ... तो अपनी जेब में खुद हाथ डालोगे या फिर ये काम भी सेवक को करना पड़ेगा ?

-----


शनिवार, 4 जुलाई 2020

वैक्सीन आ रहा है !

यह खबर सुनते ही कि कोविड-19 का वैक्सीन दरवाजे पर दस्तक देने वाला है देशभर के अमीरों ने आश्वस्ति की अंगड़ाई ली । आने दो,  किसी भी भाव में मिलेगा लगवा लेंगे । सस्ता हुआ तो दो दो लगवा लेंगे और मौका मिला तो स्टाक भी कर लेंगे । हो सकता है सरकार महाराष्ट्र, केरल, बंगाल और छ्त्तीसगढ़ जैसे राज्यों को वैक्सीन-ड्राय मान ले तो सप्लाय का मौका मिलेगा । दवाओं के धंधे में यह अच्छा है कि मुनाफा लागत के हिसाब से नहीं मौके के हिसाब से तय होता है । इधर अच्छा यह है कि जनता भी मानती हैं कि मौके पे जो काम आ जाए वो भगवान होता है मुनाफाखोर नहीं । मुनाफे के साथ भगवान होने का सुख इतना दिव्य होता है कि लगता है अपन विष्णु हैं और स्वयं लक्ष्मी चरण दबा रही है ।

इधर लड्डू फूट कर बिखर रहे थे और उधर तमाम बाहुबली फोन पर उँगलियाँ नचा रहे थे कि स्टाटिंग में पहले भाई लोग को वैक्सीन होना । भाई बचेंगे तोई सब बचेंगे नई तो कोविड से पहले भाई माड्डलेंगे सबको तो क्या कल्लोगे । भाई के बाद भाई के शूटर लोग को भी वैक्सीन होना एकदम ताजा, बोले तो गरम गरम । बिकौज उन लोगों को फील्ड में रेना पड़ता है, झोपड़ पट्टी में ऐसी वैसी जगो में छुपना पड़ता है । सरकार की मॉरल ड्यूटी है कि भाई लोगो की जित्ती भी कंपनी है, ए बी सी डी ई एफ जी, सबको प्रोयरटी पे रखे । बिकौज कंपनी रहेगी तोई सरकार रहेगी । भाई ने जिस किसी भी नेतु को भिडू बोल दिया फिर उसको हमेशा भिडू समझा । बरोबर टाइम पे पर्सेंटेज दिया, टुकड़ा डाला । इसलिए अपुन का हक्क बनाता है पहले वैक्सीन लेने का । इज्जत का सवाल है, पहले भाई लोग उसके बाद पिच्छू से भिडू लोग । और देख लो रे समझ लो अच्छी तरा से कि पब्लिक को परसाद की तरा वैक्सीन नहीं बाँट देने का । एक पालीसी बनाने का बढ़िया सी । जिनके तीन से ज्यादा बच्चे हैं उनको वैक्सीन नहीं । जिनकी एक से ज्यादा ब्याहता हों उनको भी नहीं । वैक्सीन पहले उधर जिधर चुनाव सिर पर हैं । बंगाल में दीदी लंबे समय से नेगेटिव चल रही है । उधर वैक्सीन नहीं भेजा जाएगा जब तक कि वो पॉज़िटिव नहीं हो जाती । ज्यादा सोचने का नहीं, सबको पता है कि जंग, मोहब्बत और सियासत में सब जायज है ।

चर्चा है कि संगठन ने सीधे कान में फुसफुसा दिया है कि कोई कितना ही बड़ा वीआईपी क्यों न हो वह ये न सोचे कि उसे तुरंत वैक्सीन मिल जाएगा । पहले संगठन वालों को लगेगा, यहाँ तक कि उसे भी पहले लगेगा जो बांसुरी और ड्रम बजाने के काम में लगे हुए हैं । चिंता नहीं करें, पार्टी के सभी लोगों को वैक्सीन लगेगा । लेकिन जो कांग्रेसी झुंड के रूप में यानि अपने टिड्डी दल के साथ आ रहे हैं उन्हें हमेशा की तरह प्राथमिकता दी जाएगी । उनको इंजेक्शन लगेगा पर उसमें वैक्सीन नहीं विटामिन बी भरा जाएगा । सरकार तजुर्बे से चलती है । पिछले दिनों फ्री राशन खूब बांटाना पड़ा । अब सावधानी रखें, हर घर में पहले कमाने वाले को वैक्सीन दें और आराम से अपने हाथ ऊंचे कर दें । स्वस्थ रहो और कमाओ खाओ मजे में । जो काम नहीं करेगा उसे कोरोना के साथ जीना पड़ेगा । इस काम को करते हुए बहुत सावधानी और पड़ताल करना होगी । क्योंकि वोटर पट्ठे बहुत चालक हो गए हैं । हरमी साड़ी बोतल लेने के बाद भी वोट नहीं देते हैं । सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द भ्रष्टाचार का वैक्सीन बनाए और सबसे पहले इन साड़ी बोतल वाले कमीनों को लगवाए । सुधरें तो सही ये भ्रष्ट, बेईमान, कलंक कहीं के ।

और हाँ , सबसे महत्वपूर्ण बात तो रह ही गई । कम्युनिस्टों को वैक्सीन नहीं लगाया जाएगा । क्योंकि उन्हें कोविड 19 का खतरा बिलकुल नहीं है । वे वर्षों से आलरेडी कोरंटाइन चल रहे हैं । देश के लोग भूल गए हैं कि कम्युनिस्ट कौन कौन है !! कम्युनिस्ट भी भूल गए होंगे कि वे किस देश में हैं । अगर कोविड हुआ भी तो उन्हें अपना अपना सा लगेगा । उसे एक बार लाल सलाम बोल देंगे तो रात को वह भी चीयर्स करने लगेगा । .... सो, टेक केयर .... वैक्सीन आ रहा है ।

----


शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

कृपा-कारोबार और राम मोहन रास्तेवाला

इस मार्केट में कृपा को लेकर बड़ी ले-दे मची हुई है । मंत्री-वंत्री को छोड़िए कृपा के मामले में चपरासी भी हाथ तंग किये घूम रहे हैं । कृपा ऐसे नहीं मिलती जैसे बाज़ार में ठंडा पानी मिलता है । दस/बीस का नोट फेंका और फट्ट से ढक्कन खोल कर गट्ट से पी गए । कुछ का मानना है कि कृपा का दिव्य मोल होता है । बाज़ार भाव से लो तो हर चीज मिल सकती है । ज्यादा मोलभाव करने वालों को वैसे भी नरक की एक्सपायरी डेटेड सीट मिलती है । कृपादाता कोई भोले शंकर नहीं हैं कि एक लोटा जल चढ़ा कर घंटा ठोंक दिया और हो गए प्रभु प्रसन्न । कारोबार में यह सब नहीं चलता है । कृपा का बाज़ार बहुत बड़ा है । मंडियाँ लगती हैं और दलाल भी भिड़े रहते हैं । दुनिया में यही एक ऐसी मंडी है जो होती है पर दिखाई नहीं देती है । जो मार्ग जानता है उसे ही प्रभु मिलते हैं । जो नहीं जानता वह कृपा की कुंजी दीवार पर लटके केलेण्डर में ढूँढता है, लेकिन नहीं मिलती है । केलेण्डर सिर्फ कृपा का विज्ञापन होते हैं कृपा नहीं ।

कृपा-कारोबार भारतीय संस्कृति का पारंपरिक उद्यम है । कहते हैं कि तथास्तु की कुंजी से इसका द्वार खुलता है । इस कुंजी को प्राप्त करने के लिए दीनहीन जनों की बड़ी फजीहत हुआ करती है । उन्हें प्रायः बहुत कठिन तप और परिश्रम से गुजरना पड़ता है । कहते हैं कि चप्पलें घिसनी पड़ती हैं । तथास्तु अक्सर भगवान या उनके प्रतिनिधि बोला करते हैं । जैसे जैसे जनसंख्या संक्रामण की तरह फैलने लगी भगवान ज़िम्मेदारी से बचने लगे । पहले ज़िम्मेदारी ले लेना, फिर उससे बच निकालना भक्तों के सामने भी धर्मसंकट खड़ा कर देती है । ये तो अच्छा है कि भक्तों के पास भगवान का कोई विकल्प नहीं है और न ही उनके पास अन्य कोई रोजगार है । इसलिए  कीर्तन में बराबर बने रहना उनकी ऐसी मजबूरी है जिसे लोग श्रद्धा के नाम से ज्यादा जानते हैं । कीर्तन की खासियत यह है कि यह भगवान और भक्त दोनों की जरूरत है । कीर्तन के कारण ही भगवान भगवान हैं और भक्त भक्त । आप पूछ सकते हैं कि पहले कौन आया ?  भगवान, भक्त या फिर कीर्तन ? तो मैं कहूँगा कीर्तन । कीर्तन ने ही पहले आ कर भगवान और भक्त बनाए । अगर लोग आपका कीर्तन करने लगें तो भगवान बनाने में आपको देर नहीं लगेगी । और अगर लोगों के साथ मैं कीर्तन करूँ तो भक्त हुआ ही । भक्त और भगवान का रिश्ता कीर्तन के कच्चे सूत से बंधा होता है । दोनों में से कोई भी इस रिश्ते से खींचतान नहीं कर सकता है ।

राम मोहन रास्तेवाला बरसों कृपा के चक्कर में रहा । कहीं कृपा नहीं मिली इसलिए आजतक कुँवारा है । लेकिन हठयोगी है, उसने किसी से नहीं मानने की कसम खा रखी है । एक की कृपा नहीं मिली तो हजार की लेंगे । कोई टिकिट नहीं देगा तो निर्दलीय लड़ेंगे । कहते हैं जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान होता है । और जिसका भगवान होता है वो कुछ भी हो हमेशा पहलवान ही  होता है । आज राम मोहन रास्तेवाला बड़े नेता हैं और खुद कृपा के सुपर स्टाकिस्ट भी । कृपा कारोबार बढ़ गया है, और लोग देने वाले को श्रीभगवान मानते हैं । दाता एक .... भिखारी सारी दुनिया । जय हो ।

 

----