मंगलवार, 20 दिसंबर 2022

जन्मकुंडली में पुरस्कार-योग


 

घर अस्त व्यस्त है, अलमारियां उथल पुथल । ना.दा.पंचमुखे यानी नारायण दामोदर पंचमुखे को अपनी जन्मपत्री नहीं मिल रही है । सुबह से परेशान हैं , आखिर कहाँ रख दी ! शादी पर इसकी जरुरत पड़ी थी अब नहीं मिल रही है, हालाँकि बाद में भी बार बार देखना पड़ता ही रहा है कि ग्रह अनुकूल हैं या नहीं ! सुबह तक अनुकूल थे तो शाम को कौन कुत्ता भौंक गया ! भौंक का जमाना है भाई । कुत्ते गली के हों या राजधानी के, खानदानी हों या लावारिस, भौंक कर अपना काम बना ले जाते हैं । पैमाने बदल गए, जिनकी भौंक दमदार होती है वही सफल माने जाते हैं । अब विदेशों में, और अपने देश में भी, कुत्ते को फैमिली मेंबर का दर्जा मिलने लगा है । अभी वे मनुष्यों की फेमिली में शामिल हैं, जैसे जैसे विकास होगा मनुष्य उनकी फेमिली में शामिल हो जायेंगे । कुत्तों के पंजों में कोई रेखा नहीं होती है लेकिन भाग्य में होती है । पिछले दिनों एक विदेशी महिला ने अपने कुत्ते से ईर्ष्या रखने वाले पति से तलाक ले लिया ।क्यों न ले, आखिर कुत्ते के पास वफ़ा और दुम होती है । कुत्ते और पति में इन दिनों खासी प्रतिस्पर्धा चल रही है । दो घर छोड़ कर अग्रवाल साहब रहते हैं । उन्होंने अपने लेब्राडोर की जन्मपत्री बनवा रखी है । पिछली बार बता रहे थे कि पंडितजी का कहना है कि इस कुत्ते के भाग्य में राजयोग है, यह एक दिन दुनिया पर राज करेगा । उन्हें भरोसा है कि ऐसा समय आयेगा जब चौपाये भी चुनाव लड़ सकेंगे और देश की जनता उन्हें भी बिना ज्यादा सोच-विचार, मीनमेख निकाले चुन लेगी ।

खैर, ना.दा.पंचमुखे जी जन्मपत्री की महाखोज में लगे हैं और पूरे घर को अपने चिकने सर पर उठा रखा है । आखिर गृहमंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा । बोलीं – “क्या इतने बूढ़े हो गए हो कि जन्म तारीख भी याद नहीं आ रही है !? इसके लिए भी जन्मपत्री चाहिए !’’

ना.दा.पंचमुखे हताश बैठ गए । जब भी गृहमंत्री एक्शन में आती हैं उन्हें हताश बैठने की आदत है । “मुझसे पूछ लेते, मैं बता देती । तुम्हारे राहू-केतु, शनि-शुक्र सब जानती हूँ अच्छे से ।‘’ कहते हुए उन्होंने इस बार कमर पर हाथ भी रख लिया और अपने कान्फिडेंस को व्यक्त किया ।

“अरे मैडम, जन्मपत्री इसलिए चाहिए कि सनातन साहित्य समिति ने पुरस्कार और सम्मान के लिए आवेदन मंगवाए हैं । आखरी तारीख के पहले पहुँचाना जरुरी है ।“

“साहित्यिक पुरस्कार है तो किताब भेजिए ना ! कुंडली क्यों खोज रहे हैं !?” वे बोलीं । 

“पुरस्कार समिति ने इस बार किताब नहीं कुंडली मंगवाई है । जिनके ग्रह अनुकूल होंगे उन्हें दे देंगे, नहीं तो छुट्टी । “

“ कुंडली कम्पेटीशन होगी क्या ! ग्रह अनुकूल होंगे का क्या मतलब !!?

“मतलब गुरु बलवान हो, बुध के साथ युति हो, साढ़ेसाती नहीं चल रही हो, धन-मान प्राप्ति के योग हों, वगैरह वगैरह, तो देंगे ।“ ना.दा.पंचमुखे ने केलेंडर में चौघडिया देखते हुए बताया ।

“कवियों की कुंडली में योग नहीं वियोग होता है । ध्यान नहीं दिया तुमने, ‘वियोगी होगा पहला कवि, आह से निकला होगा गान’ ।

“सारे कवि वियोगी नहीं होते हैं कुछ योगी भी होते हैं । अच्छा समय आ गया है, अब कुंडली दिखा कर सम्मान प्राप्त किया जा सकता है । साहित्य सेवा के लिए और क्या चाहिए, हमें तो खुश होना चाहिए । लेकिन जन्मपत्री नहीं मिल रही है ! पता नहीं कहाँ रखा गयी !”

“नयी बनवा लो । तारीख तो याद है ही ।“

“अरे !! ये आइडिया मुझे क्यों नहीं आया !” ना.दा.पंचमुखे दौड़े अपनी नयी कुंडली बनवाने ।  पीछे से आवाज आई “थोड़ा आगे पीछे करवा के गुरु-बुध की स्थिति बदल देना और कुंडली पुरस्कार वाली बनवा लेना ।”

ना.दा.पंचमुखे सोच रहे हैं कि ये आइडिया भी मुझे क्यों नहीं आया !

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