शुक्रवार, 29 मार्च 2019

सांभा के सवाल



सब जानते हैं कि सांभा सरदार का मुंहलगा है । कहते हैं कि उससे पूछे बगैर सरदार कोई काम नहीं करता है । सरदार का चलता फिरता गूगल है सांभा । नई फिल्म गोले में सांभा का नाम शैम है । जो श को स बोलते हैं वे उसे सैम भी कहते हैं । तो बात ये हैं कि शैम को अचानक बयान देने की सूझी । उसने पिछले अखबार उठाए और मीडिया पर एक बयान दाग दिया । बालाकोट में हुई एयर स्ट्राइक पर सवाल उठा दिये कि स्ट्राइक की भी या नहीं ? अगर की तो मारे क्या ? मारे तो कितने मारे ? अगर मारे तो क्यों मारे ? कुछ लोगों की छोटी सी हरकत की सजा बेचारे पूरे देश को क्यों देना चाहिए ? वो नादान लोग तो आदतन अपराधी हैं । कोई अनोखी बात नहीं हुई है । वे सीमा में घुसते रहे हैं, चालीस पचास लोगों को मारते रहे हैं और शांति से चले जाते रहे हैं । इससे हमें कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ता है । हमारे इस महान देश में पैंतीस बच्चे हर मिनिट और प्रतिदिन पचास हजार बच्चे पैदा होते हैं । आतंकवादियों को देश की कर्मठ जनता रचनात्मक तरीके से करारा जवाब दे रही है । थोड़े से बाल तोड़ने से रीछ के बदन पर बालों का टोटा होता है क्या !? लेकिन सरकार जनता की इस अपूर्व अहिंसात्मक क्षमता और सामर्थ्य की उपेक्षा कर रही है ।  हम लोग गांधीवादी हैं, देश गांधी का मुल्क हैं । अहिंसा हमारा सबसे बड़ा हथियार है । गोले बरसाना हमारी संस्कृति नहीं है और न ही नीति रही है । जब मुंबई पर 26/11 को हमला हुआ था तब भी सेना तैयार थी लेकिन सरकार ने गांधीवाद की रक्षा का बड़ा निर्णय लिया । नजरिया साफ होना चाहिए । अगर उनके देश में जनसंख्या वृद्धि की समस्या होगी तो वे अपने तरीके से हल करेंगे । हमें उनके फटे में गोले फोड़ने की क्या जरूरत है  ! अगर कोई एक थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल आगे कर देना हमारी रक्षा नीति में शामिल है ।  वो चालीस मर कर गए .... तो आगे क्या आप समझ गए होंगे ।
बयान दे कर असर देखने के लिए शैम टीवी खोल कर बैठ गया । सोचा सरदार देखेगा तो खुस्स होगा, सब्बासी देगा । पहली चपेट में सरदार खुश हुआ भी । लेकिन पता चला कि राजनीति के बाज़ार में मचमच मचने लगी है । ऐन चुनाव के पहले अगर देश थू-थू करने लगे तो पार्टी उस थुक्के में ही डूब सकती है । खतरे को भाँप फौरन से पेश्तर यू टर्न मार के सरदार ने खुद ही आक थू कर दिया । कहा कि ये बयान शैम का निजी विचार है और पार्टी का इससे कोई लेना देना नहीं है । किसी एक आदमी के बयान की सजा पूरी पार्टी को नहीं दी जा सकती है । राजनीति में ऊलजूलूल बकने की स्वस्थ परंपरा रही है । शैम शैम के बयान को भी इस परंपरा का हिस्सा समझा जाना चाहिए । जैसे कभी एक बयान के बाद बड़े नोट कागज का टुकड़ा रह गए थे उसी तरह देश के सामने शैम नाम के ही पितर रह गए थे । शैम ने सफाई देते हुये साफ किया कि मैंने तो एक नागरिक के तौर पर सवाल किया था । सवाल करना हर नगरिक का अधिकार है और जरूरी नहीं कि वैज्ञानिक होने के बावजूद किसी का हर सवाल बुद्धिमत्ता पूर्ण ही हो ।
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मंगलवार, 19 मार्च 2019

पशुबंदी और एटीएम से गोबर




किसी जमाने में वे अबे ओ बच्चा थे, फिर बच्चा बाबू कहलाये. सरकार में आ गए तो श्रीमंत बच्चा बाबू हो गए, स्मार्ट सिटी बनाने का हल्ला हुआ तो अब सर बी.बी. हैं. स्मार्ट सिटी बनाने की जिम्मेदारी सर बी.बी. पर भी है सो होली के ठीक पन्द्रह दिन पहले उन्होंने प्रजा के लिए दो आदेश निकाले कि  रात बारह बजे के बाद से नगर में पशुबंदी लागू की जा रही है, चौपाये पशुओं को नगर में रखना गैरकानूनी माना जायेगा, सारे चौपाये पशु तुरंत बाहर किये जायें. नगर चोर-उचक्कों, गुंडे-बदमाशों, हत्यारों-लुटेरों, भ्रष्टाचारियों, बलात्कारियों, झूटे-बेईमानों, लम्पट-पाखंडियों आदि दो-पाये पशुओं के रहने की जगह है. चौपाये अक्सर उनके काम में बाधा बनते हैं और यहाँ वहाँ गंदा करते रहते  हैं, इनसे नगर की शोभा प्रभावित होती है. बहुत सारे लोग सरकार की कल्याण योजनाओं का लाभ लेते हैं और पशुओं को चारा खिला कर श्रेय उनको दिया करते हैं ! इस पर तुरंत रोक लगाने का निर्णय लिया गया है. लेकिन उन नस्ली और पालतू कुत्तों को पशुबंदी से छूट रहेगी जिनके आधार कार्ड बनें होंगे. उन कुत्तों को भी छूट का लाभ मिलेगा जो भवन या प्लाट के मालिक हैं और अग्रिम संपत्ति कर जमा कर रहे हैं. उन सभी  गधों को भी स्मार्ट सिटी में रहने की छूट रहेगी जिनके नाम वोटर लिस्ट में आलरेडी दर्ज हैं  और जो  हर चुनाव में सरकार के हाथ मजबूत करते आये हैं.
दूसरा आदेश यह कि सारे लोग गोबर के कन्डो से होली बनाएंगे, कोई लकड़ी नहीं जलाएगा. कंडे बनाने के लिए केवल चौपाये पशुओं के गोबर का उपयोग किया जायेगा. इस मामले में कोई समझौता या छूट नहीं दी जायेगी. जिनके पास पुराने कंडे जमा हैं वे सक्षम अधिकारी के समक्ष घोषणा पत्र भर कर होली बना सकते हैं. बिना घोषणा वाले काले-कंडों से होली बनाना और जलाना गैरकानूनी होगा. कुछ आदेश प्रशासन को भी दिए कि वो काले-कंडों के मामले में सतर्क रहें और देखें  कि कौन लोग काले-कंडों से होली बना रहे हैं. इस बात की निगरानी रखें कि जब उनके पास चौपाये पशु नहीं हैं तो कंडे किसके गोबर से बनाये गए हैं ! गोबर में किसी और गोबर की मिलावट वाले कंडों पर सख्त कार्रवाई की जाये. प्रजा यदि गोबर के उदगम का संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाये तो उस पर गोबर तस्करी और मिलावट का केस बनाएँ.
जो सभ्य और सुसंस्कृत लोग गोबर से होली खेलते आये हैं उनके लिए प्रशासन जल्द से जल्द हर मोहल्ले में गोबर-एटीएम की व्यवस्था करे ताकि प्रजा अपने उपयोग के लिए मान्य-गोबर प्राप्त कर सके. इस बार की होली के लिए एटीएम से सीमित मात्र में गोबर निकाला जा सकेगा. भविष्य में जैसे जैसे गोबर की व्यवस्था होती जायेगी एटीएम चौबीस घंटे काम करने लगेंगे और भरपूर गोबर देने लगेंगे. इसी के साथ सर बी.बी. ने प्रजा को होली और स्मार्ट सिटी की बधाई दी.
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