गुरुवार, 19 दिसंबर 2019

पीठ खुजाइए सरकार


अपने नए स्टाफ के साथ वे पहुंचे, -“आपके समर्थन की वजह से सरकार बन गई है । अब हमारी कोशिश है कि कामकाज अच्छे से हो । बताइये कि सबसे पहले सरकार क्या करे ?” उन्होने फूलों का गुच्छा हाथ में पकड़ाया और उतनी मुस्कान खेंची जितनी कि उनके खनदान में किसी ने नहीं खेंची थी ।
“जरा मेरी पीठ खुजाइए तो । बड़ी खुजली चल रही है । सुना है आपके नाखून बहुत तेज हैं ।“ पार्टी प्रमुख ने पीठ उनकी ओर करते हुए कहा ।
“पीठ तो आप अपने किसी चपरासी से खुजवा लीजिए ना । हमसे क्यों ! ... हम सरकार हैं !!”
“आप सरकार हैं ... क्योंकि हम हैं । ... इतना मत सोचिए सरकार, पीठ खुजाइए ।“
वे सोचने लगे कि राजनीति में सब करना पड़ता है यह तो सुना था लेकिन पीठ खुजाने के बारे में पहली बार पता चल रहा हैं ! डर मीडिया वालों का बहुत है ।  पता नहीं कहाँ कहाँ से देख लेते हैं ! कल अगर हेड लाइन बन गई कि सरकार ने समर्थन के बदले पीठ खुजाई तो प्रतिष्ठित नाखून बदनाम हो जाएंगे । बहुत सोच कर सरकार घिघियाए, -- “देखिए ... मैं अपने पीए को कह देता हूँ वो आपकी पीठ खुजा देगा । अगर हमने खुजाई तो एक समर्थक दल और है । उसको भी खुजली चलने में देर नहीं लगेगी । ... आखिर सरकार को दूसरे काम भी करना हैं ।“
“पीए तो हमारे पास भी हैं जी । उसी से पीठ खुजवाना होती तो आपको समर्थन क्यों देते !!”
“लेकिन जरा सोचिए, जनता के बीच मैसेज क्या जाएगा !”
“हम खुजवा रहे हैं तो मैसेज हमारे हक में जाएगा । लोगों को पता तो चले कि हमारी हैसियत क्या है, वरना सरकार तो आप हैं , जैकारे आपके लगते हैं । “
“तो ऐसा कराते हैं ... यहाँ नहीं ... अकेले में खुजवा लें ... दूसरी पार्टी को पता चलेगा तो वो भी ... “
“दूसरी पार्टी वाले पीठ नहीं खुजवाएंगे । उनका इरादा तो डायपर बदलवाने का है । ... उनके यहाँ गुड्डू, पप्पू, छोटू  वगैरह हैं ... राजनीति में आदमी को बहुत कुछ करना पड़ता है । खुजाने और डायपर बदलने पर सरकार चलती है तो सौदा सस्ता है ।“
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