शुक्रवार, 13 दिसंबर 2019

शेर के नाखूनों पर नेलपॉलिश


“आप ठीक कह रहे हैं ... आप जंगल के राजा हैं । सरकार आपकी ही होना चाहिए । इसके लिए पहले पाँव आगे कीजिए .... नेलपॉलिश लगा दें आपको । “ कहते हुए दादू ने पंजे पकड़ कर नाखून रंग दिए । फिर बोले – “देखिए शेर साहब, लाल लाल चमकते नाखून कितने सुंदर लगते हैं । अब चलते फिरते ध्यान रखिएगा कि पॉलिश खराब न हो । और हाँ , किसी पर हमला नहीं करना है । नाखूनो का ध्यान रखो न रखो पॉलिश का ध्यान रखना जरूरी है ।“
समय के साथ हरेक को बदलना पड़ता है । शेर समय से बड़ा नहीं होता है । आज मौका है, और मौका समय की देन है । कुछ देर नाखूनों को देखने के बाद शेर ने अपना सिर झटका और खुद को समझाया कि मान लो कि पॉलिश अच्छी लग रही है ।  इसके बाद मौन सहमति के संकेत दिए ।
दादू नाखून पकड़ कर दांत पकड़ने में माहिर है । उसने कहा – “हे राजन, लोकतन्त्र में शेर वही होता है जो दहाड़ते रहने के बजाए मुस्कराता रहता है और हमला करने के अवसरों पर हाथ जोड़ता है ।“
“ये मुझसे नहीं होगा .... आप कुछ ज्यादा ही उम्मीद कर रहे हैं मुझसे ....” शेर नाराज हुआ ।
“सरकार बनानी है या नहीं ? ... जंगल आपके हाथ से निकाल जाएगा .... शेर के लिए सरकार होना जरूरी है वरना महकमों में आधार कार्ड दिखाने पर ही इंट्री मिलेगी ।“
शेर ने अपने को संयत किया । पूछ “क्या करना होगा !”
“कुछ नहीं ... आप मुसकराना सीखिए, हम लिपिस्टिक लगा देते हैं ।“ कहते हुए दादू ने शेर के होठ रंग दिए ।
लाल नाखून और लाल होठ देख कर शेर का दिमाग राउंड राउंड होने लगा, - “दादू !! कितना गलत मैसेज जाएगा जंगल में ! लोग कहेंगे कि शेर कामरेड हो रहा है ! क्या मुझे अपने ही खिलाफ धरने प्रदर्शन करने होंगे !?”
“राजन ... राजनीति में मैसेज का नहीं .... मैसेज में राजनीति का महत्व होता है । आप अगर शेर के अलावा कुछ समझे गए तो सीटें बढ़ेंगी । ... सीटों के चक्कर में ही हमें एक और पार्टी का समर्थन लेना पड़ रहा है .... उनकी भी कुछ मामूली शर्तें हैं ।“ दादू अगले मुद्दे पर आए ।
“सरकार बननी चाहिए ... शर्तें अगर मामूली हैं तो हमें दिक्कत नहीं है, बताइये ।“
“उनका कहना है कि आपको डायपर पहनना होगा और खादी भी ।“ दादू बोले ।
“ खादी पहनी नहीं हमने आजतक ... वैसे भी खादी पहनना हमारे उसूलों के खिलाफ है । और डायपर क्यों !?  हमारे अपना जंगल है ... हमारी अपनी मर्जी है ...
“नंगा शेर अच्छा नहीं लगता है ... विकास का प्रतीक है डायपर । और अभी भी करोड़ों लोग खादी को देख कर ही वोट देते हैं ।“
“लेकिन दादू, अगर खादी पहनेंगे तो हमारी पहचान खो जाएगी ।“
“शेर की पहचान सत्ता से होती है ... सूरत का इस्तेमाल तो सिर्फ बच्चों की पिक्चर बुक में होता है ।“
“चलो ठीक है, पहन लूँगा । ... अब सरकार बनवाइए फटाफट ।“
“अब तो बन ही जाएगी, कोई दिक्कत नहीं है । समझिए कि हाथी निकाल गया है बस पूंछ  बाकी है ।“
“अभी भी पूंछ बाकी है !! “ शेर चौंका ।
“ कभी कभी मैडम हाथ में रिंग ले कर दिखाएंगी । बस आपको उसमें से कूदते रहना है । ... कोई बहुत बड़ा काम नहीं है । एक दो बार कुछ लगेगा फिर आदत पड़ जाएगी । बाद में तो मजा भी आने लगेगा । ... सोचिए सरकार बनाने जा रहे हैं आप ।“
“ठीक है, यह भी कर लेंगे । ... अब तो सरकार बनाने में कोई बाधा नहीं है ?” शेर ने नेलपॉलिश देखते हुए पूछा ।
“अब भला क्या बाधा हो सकती है ! इतना कर लेंगे तो दुम अपने आप हिलने लगेगी । हो गया काम, बनेगी सरकार, ... बल्कि यों समझिए कि बन गई सरकार ।.... अपना सब कुछ को सरकार में और सरकार को सब कुछ में बदलने की कला का नाम ही राजनीति है । जय महाजंगल । “
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