अभी
तक ये बकवास खबर मिडिया में चल रही है कि एक सभ्य हवाई-यात्री ने चलते विमान में एक
इन्सान पर पेशाब कर दिया ! सोचने वाली बात है कि कोई अपनी इच्छा से, जानबूझ के तो
करता नहीं । हो गयी तो हो गयी, नेचरल काल है जी कभी भी आ सकता है । इसमें कौन सा
पहाड़ टूट पड़ा ! शराब पी कर किसी को होश रह जाये तो काहे की शराब ! एं !? शराब
अमीरों का शौक है । चार पैग के बाद तो जमीन पर खड़ा आदमी उड़ने लगता है । जो आदमी
आलरेडी उड़ रहा हो उसका तो कहना ही क्या ! डबल उड़ान यानी डबल इंजन । बोले तो पवार
शहंशाई, मन आएगा वहां करेगा । पोल्टिक्स और उड़न में कोई खास अंतर नहीं है । नीचे
देखो तो सब छोटे लगते हैं, चींटियों के समान । क्या आदमी क्या औरत । समुद्र भी घर
का टब नजर आता है । कानून का डर जमीन पर होता है । जो जमीन पर है ही नहीं उसके लिए
कौन सा नियम-कानून और कैसी नैतिकता । अभी सुना होगा कि रुपया कमजोर नहीं हुआ, डॉलर
मजबूत हुआ । मान लिया था ना सबने ? इसी तरह किसी कुत्ते ने खम्बे पर नहीं मूता,
खम्बा ही धार के बीच में आ गया, मान लो । ऐसे में समझदार लेब्राडोर क्या करे
बेचारा । समझ रहे हैं ना आप ? कोई सीरियस मैटर नहीं है । बड़े बड़े लोगों के जीवन
में ऐसी छोटी छोटी बातें होती रहती हैं ।
भले
आदमियों का भी पक्ष देखना चाहिए मिडिया को । एक तो बेचारा महंगा टिकिट ले कर
यात्रा कर रहा था । कुछ पैसा वसूल हो जाये इसलिए पीना
पड़ी ।
मूल रूप से तो वह देश का गौरव बढ़ाने की कोशिश में था कि ये घटना हो गयी । देखिये
साहब नागरिक अधिकारों का यह मतलब तो नहीं कि शरीफ आदमी की विवशता के बीच कोई आ
जाये और हफ़्तों तक सुर्ख़ियों में बना रहे ! देश इस समय आत्मनिर्भरता के प्रति
गंभीर है । जो जहाँ है वहीँ से आत्मनिर्भर हो लेने का अधिकारी है । बस या
ट्रेन में हो या फिर प्लेन में ही क्यों न हो उसकी निष्ठा में कोई कमी नहीं आना
चाहिए । आपदा में अवसर का मन्त्र है हमारे पास तो फिर सोचना क्या ! बड़े लोगों की
बगलगीरी कुछ सावधानियों की मांग करती है । अगले को चाहिए था कि रेनकोट पहन कर बैठे ।
तरल पदार्थ किसी के भी ऊपर गिरेगा तो कपड़े गीले होंगे ही । हाँ शिकायत यह हो सकती
है कि गीले कपड़ों में सफर कैसे करे कोई ! तब सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि
यात्री को सूखे कपड़े तुरंत मुहैया करवाए । कोर्ट को भी इसका संज्ञान लेना चाहिए और
निर्देश देना चाहिए कि हर टिकिट पर वैधानिक चेतावनी लिखवाये कि ‘पड़ौसी के किये पर विमान
और शराब कंपनी जिम्मेदारी नहीं होगी’ ।
सब
जानते हैं ग्राहक भगवान होता है । हवा में उड़ने वाले यानी वायु भ्रमण करने वाले तो
होते ही हैं, आज से नहीं अनंतकाल से । रावण साहब को देखिये, सीताहरण के लिए विमान
ले कर आये थे । तो जोर जबरदस्ती, अनैतिकता, मनमर्जी कोई नयी बात नहीं है । हाँ, इस
बात से कोई आपत्ति नहीं है कि विमान में दारू परोसने से पहले प्रभारी अधिकारी यह
सुनिश्चित कर ले कि ग्राहक देव ने डायपर पहना है या नहीं । नहीं पहना हो तो पहले
पहना दे । इसके साथ यह भी ध्यान रखे कि ब्लेक डॉग नहीं दे कोई कुत्ता छाप दे ताकि वह भला आदमी पी कर बेहोश पड़ा रहे । जो भी सम्बंधित हो आगे से ध्यान रखना आप लोग । तो गलती आपकी
है, चलो सॉरी बोलो फटाफट ।
------
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें