गुरुवार, 10 जुलाई 2025

खाली डब्बे खाली बोतल


 


 

             बूढों के मामले में आजकल बड़ी गफ़लत चल रही है। हर बूढ़े को कहा जा रहा है कि तुम अपने आप को जवान समझो। दोस्त बनाओ, मॉर्निंग वाक पर जाओ, जो मन में आए देखो, हँसो-बोलो गुनगुनाओ। उम्र कुछ नहीं सिर्फ एक नंबर है। बाल झर रहे हैं ! कोई बात नहीं सबके झरते हैं। चश्मा सबको लगता है। दाँत तो होठों के परदे में हैं, किसको पता दत्तक हैं या सगे वाले। बाल रंग लो तो मन भी अंदर से रंगीन हो जाता है और किसीको पता भी नहीं चलता है। होना उतना जरूरी नहीं है जितना कि मान लिया जाना। कितने ही लोग हैं जिन्हें जमाना करोड़पति मानता है लेकिन गले तक कर्ज में डूबे हुए हैं बेचारे। ज्ञानी कहते हैं इस धरती पर हम एक किरदार हैं, जो रोल हमने चुना है वो निभा रहे हैं। तो अंदर से आप कुछ भी हो, किरदार में अपने को जवान समझो। सिर्फ समझना ही तो है, कुछ करना थोड़ी है। पार्क में देखो कितने पिचहत्तर-पारी हैं जो पचासा जी रहे हैं। स्त्रियों से सीखो। किसी को आंटी बोल दो फिर देखो कैसे तबियत से एक पत्थर उठाके आसमान में छेद कर देती हैं ! मानती है दुनिया, मनाने वाला चाहिए। 

                    लोग चमत्कार को नमस्कार करते हैं। और आज के समय में मेकअप से बड़ा चमत्कार दूसरा नहीं। मेकअप वाले धरती पर दूसरे भगवान हैं जो घर और संसार को रहने सहने लायक बनाते हैं। तो सारी महिमा मेकअप की है। मेकअप औरतों और बूढ़े आदमियों की जरुरी जरुरत है। मेकअप बढ़िया हो तो रावण भी साधु दिखने लग जाता है। मेकअप वाला आदमी बूढ़ा नहीं होता। लगता है कि लोग बाल ही देखते हैं। बाल काले भक्क होना चाहिए, चाहे चेहरा चपटा चूसा आम हो। बाल देखो या दिल देखो, जवानी की रीडिंग इधर ही मिलती है। करवाने वाले चेहरे पर भी काम करवा लेते हैं और 52 साल का फिल्मी आदमी भी 25 का दिख सकता है। जानकार बताते हैं कि देश भी मेकअप से चल रहा है। पुल अच्छे दिखाना चाहिए, सड़कें लम्बी दिखनी चाहिए, आंकड़े अच्छे होना चाहिए, भाषण बढ़िया देना चाहिए, वादे ऊंची आवाज में करना चाहिए वगैरह । मेकअप का तो सिद्धांत ही है कि अच्छा दिखे बसहो गया।  सूरत अच्छी दिखना चाहिए फिर चाहे चेहरा फुंसियों और पिंपल से भरा हो।  आजकल तो लोग तारीफ भी इतनी करते हैं कि अच्छे भले बेशर्म आदमी को भी बगलें झांकना पड़े। इसे शाब्दिक या जुबानी मेकअप कहते हैं। पैसा सरकारी हो तो आप उसे यहां वहां फेंक कर फोकट फंड में अपना मेकअप कर सकते हैं। मेकअप सिर्फ चढ़ाना या थोपना भर नहीं है, उतारना भी है ।  सब जानते हैं कि साहब बूढ़े हैं, साहब भी जानते हैं कि वे बूढ़े हैं। भगवान तो जानते ही है कि साहब बूढ़े हैं। साहब क़ी बेगम तो भरी बैठी हैं कि साहब ब्लेक डॉग कि खाली बोतल हैं। जींस और टी शर्ट भी अपना काम नहीं कर पा रही है। लेकिन दिल है कि मानता ही नहीं । किसी शायर ने लिखा है  - वक्त का काफिला आता है गुजर जाता है ; आदमी अपनी ही मंजिल पर ठहर जाता है ।

------

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें