चार-पांच बार फोन लगाया तब कहीं जा कर घंटी बजी . और बजी तो ऐसी बजी कि बजती ही रही . आखिर उधर से किसी ने फोन उठाया, -‘हेलो ..’
“हाँ
हेलो, ... हऊँ गनपत बोल रियो हूँ खजूर खेडी से ... जे राम जी की तमारे. में कंईं
के रिया हूँ कि अपने इन्जेसन चिये, वो कंईं केवे राम-देसी-वीर, कोरोनो को इन्जेसन.
वाटसेप पे तमारो नंबर आई रियो हे कि तम बेचीं रिया हो भाव का भाव में. भोत अच्छो काम
करी रिओ हो तम .”
“मिल
जाएगा, पेशेंट कहाँ भर्ती है ?” उधर से आवाज आई.
“भरती
काँ करी रिया हें !! जागो-ई नी हे कंईंपे . ओर तम देखो के अस्पताल में बेड-ई मिले
हे बस . इलाज तो कोई हे नि करोनो को. खली बेड काई पईसा ले रिया हे सबे. तो बेड तो
अपना घरेज हे. तम तो इन्जेसन को भाव बोलो. कितरा को हे ?”
“पच्चीस
हजार का है.”
“अरे
भई ! सेकड़ा का भाव बतई रिया हो कंईं ! !”
“सेकड़ा
का नहीं एक का भाव है.”
“तमारे
मेसेज में तो लिख्यो थो कि भाव का भाव मेंई दई रिया हो ! ...”
“पच्चीस
हजार में खरीदा है दादा हमने, भाव के भाव में ही दे रहे हैं. कोरोना बाज़ार में आओ
तो पता चलेगा तुमको भाव ... पैंतीस हजार में भी नहीं मिल रहा है .”
“एक
के साथै एक फीरी हे कंईं ?”
“ये
तेल-साबुन नहीं है दा साब, इंजेक्शन है रेमडेसिविर. जिंदगी बचती है इससे. संजीवनी
बूटी है.”
“अरे
मारकीट में सब जागो पे मिल रिया हे हो. तम ठीक भाव लगाओ तो लई लाँ, असो कंईं करो. ठीक
भाव लगाव तम .”
“ भाव
ठीक है दादा, पच्चीस का ही मिलेगा .”
“म्हारा
छोरा होन जाए सेर में रोज, भाव मालम हे मके. इत्तो भाव नी हे.”
“तो
जहाँ ठीक भाव में मिल रहा है वहाँ से ले लो, मेरे पास नहीं है .” फोन कट गया.
घरवाली
पास ही बैठी थी. गनपत बोले –“लुटेरा होन हें सेरवाला. आपण बी जावां सेर में तो अपनो
नाज ओर सब्जी भाजी कम भाव में लई ले ओर काटी पिटी ले तो पईसा बी कम मिले ! चोट्टा होन
बड़ी बड़ी बिल्डिंग बनई ने बैठ्या हे पन पेट नी भरयो.”
“सबके
देखि रिया हे राम जी. अपने कईं करनो, जो करेगा वो भरेगा.” पत्नी ने तसल्ली दी .
“देखजे
अबी फिर करेगा फोन कि ले लो बीस में. ... बीस में दे तो ले लाँ कंईं ?”
“हूँ
कंईं केऊँ ... जसा तमारी समज पड़े. ... एक इन्जेसन में हुई जायगो ? ... कम तो नी
पड़ेगा ? ... बेन-बेटी होन के बुलावगा तो सबे आयगा फिर . ”
“पुर
जाएगा हो... यां अपने सरकारी अस्पताल की नरस को बोल दांगा कि लगई दे थोड़ो थोड़ो सबको.
कोरोनो माता हे ये तो, हाथ जोड़ लांगा, माथा टेकी दांगा, मानी जाएगी. देवी देवता होन
फूल नी फूल की पाँखडी से-ई राजी हुई जाए. मनक में सरदा होनी चिये बस .” गनपत ने
ऊपर देख कर हाथ जोड़े.
“पांच
छोरी अने पांच जंवई दस तो येई हुई ग्या. ओर बच्चा होन को ले के अई ओर उनके नी लगवावगा
तो बुरा मानेगा सब .सबके लगवाई रिया हो तो उनके बी लगवाई दो .”
“गेली
की गेली रेगी तू तो, रोज टीवी देखे पन समजे कुछ नी. चिल्ला चिल्ला के बोली रिया कि
पेतालीस से उप्पर वाला को लगवानों जरुरी हे . अट्ठारा साल से कम के बच्चा होन को
जरुरत नी हे इन्जेसन की .”
“
अब म्हारे कंईं मालम ! क़ज़ा कसी बेमारी बनई हो भगवान ! उम्मर देखी ने चेंटे ओ बई !
... दो जन अपन बी तो हाँ, अपने नी लगेगा कंईं ?” घरवाली ने पूछा .
“अपने
कईं करनो अब ! नाती-पोता सब देखि लिया, अब कईं काम अपनो ! ...एं ?”
“लगी
जाए तो लगई लो, तीरथ करी लांगा संगे संगे ... पुरी जाएगा एक इन्जेसन ?”
“तू
फिकर मत कर ... नरस से बोली दांगा के पानी मिलई दे थोड़ो सो. अपनों ब्योहार अच्छो
हे उके संगे. अरे परसाद जसो हुई जायगो न वा. करोना माता का मान राइ जायगो तो अपनों
घर छोड़ी देगी और कंईं. धरम को काम सोची समजी ने करनो पड़े. घर की बात हे कोई हिसाब
तो देनो नी हे सरकार को.”
“दस
दस में देता तो अपन दो लई लेता मजे में, भाई-भावज को बी बुलवाई लेती में तो .”
“
फोन तो आयो नी अब लक ... फिर लगाऊं कंईं ?”
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मालवी मन का सांते मुद्दा की बात की दी तमने।
जवाब देंहटाएंमालवी मन का सांते मुद्दा की बात की दी तमने।
जवाब देंहटाएंज़ोरदार, मज़ेदार, असरदार राम-देसी-वीर जिसने इन दर्दीले दिनों में भी हर पाठक को गुदगुदा दिया होगा , धन्यवाद सर !
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