देवी बोलीं – “ये आलू नहीं है जी, आलू महादेव हैं । सवा महीना हो गया है, बताओ किसके
सहारे हो ?... भगवान के या आलू के ?
देख लेना जब नारे लगाने की छूट मिलेगी तो लोग यही बोलेंगे – हर हर आलू, घर घर आलू । “
वक्त
वक्त की बात है । पूजा-पाठ के समय
अगरबत्ती खोंसने के लिए कुछ नहीं मिलता था तो आलू कट कर स्टैंड बना लेते थे और
उसमें अगरबत्ती खोंस कर भगवान के चरणों के पास रख देते थे । अब देखिए ! ईश्वर की
सोहबत और ज़िम्मेदारी वाली भूमिका क्या मिली आलू खुद महादेव हो गए ! माना कि उनके
कारण किचन आबाद है, सरकार चल रही है, तो भईया आलू महाराज
कहो । महाराज भी कोई छोटी बात नहीं है आज की डेट में । ये नहीं कर सकते तो आलू का
परसाद चढ़ा दो चिप्स बना कर । लेकिन ये आलू महादेव क्यों ! कल को भगवान माइंड कर गए तो !
असल बात ये है कि महीने
भर से पति की सूरत नॉनस्टाप देख देख कर देश की आधी आबादी का मूड जो है धमाधम करने
के लिए हुमक रहा है । समाजशास्त्रियों का कहना है कि इस बार करवा चौथ के व्रत पर भारी
उलटफेर की आशंका प्रबल है । जो मुए करोना से बच जाएंगे उन्हें करवा से निबटना होगा
। अंदर घुमड़ रही आवाज बार बार लीक हो रही है कि ‘काम के न काज के, दुश्मन अनाज के’ । ऐसे माहौल में किसी भी किस्म का हस्तक्षेप करना अपने हाथ में सुतली बम
फोड़ना है । फिर भी इतना तो कह ही दिया कि – “लोग सुनेंगे कि आलू पर जल चढ़ाया तो
क्या कहेंगे !!”
“जय
जय आलू महादेव कहेंगे और क्या । पता है,
हम लौह-लक्ष्मियों ने तय किया है कि मोहल्ले में एक मंदिर बनेगा आलू महादेव का ।“
वे बोलीं ।
“ आलू महादेव का मंदिर !! कोई नहीं आएगा ।“ हमने दावे
से कहा ।
बोलीं- “समोसे का परसाद चढ़ेगा तब
नहीं आएगा कोई ?”
“ओह
, फिर तो सोचना पड़ेगा ।“
एक
बार फिर जोखिम लेते हुए कहा - “देखो देवी, तुम आलू के बारे में नहीं जानती हो । आलू को भगवान बनाने से भक्तों की
भावनाएँ आहात हो जाएंगी ।“
वे बोलीं – “बिलकुल नहीं होंगी ।
कल अगर कांग्रेस अपना चुनाव चिन्ह आलू बना ले तो देख लेना दन्न से सरकार बना लेगी
। वैज्ञानिक कह रहे हैं कि कोरोना लंबा चलेगा । अब कोरंटाइन तो बार बार होंगे इसलिए आने वाला समय को लोग लोकतन्त्र नहीं
आलूतन्त्र कहेंगे । जिस देश में अस्सी प्रतिशत लोग गरीब हों और आलू पर निर्भर हों
वहाँ आलू ही भगवान है ।“ वे अड़ गईं ।
“शांति
शांति, ... देवी अगर गरीबों का सहारा
आलू है, तो आलू कामरेड हुआ । उसे अकेला उबाल के खा जाओ या
टीवी की बहस में पका पका के । या किसी भी अल्पमत सब्जी में डाल दो बहुमत में आ जाए
। सब करो पर इसे भगवान मत बनाओ प्लीज, ... भगवान बनते ही वो दक्षिण
पंथी हो जाएगा । उसकी पहचान नष्ट हो जाएगी । ममता दीदी को पता चला तो ‘आमार शोनार आलू
... आमार शोनार आलू’ गा गा कर दिल्ली हिला देंगी ।“
“तुम
चिंता मत करो, दिल्ली आलू से नहीं प्याज से
हिलती है । इतना भी नहीं समझते क्या !!“
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