सोमवार, 11 अक्तूबर 2021

बड़े आदमी, बड़ा काम



                         जो बड़े बड़े काम करता है वो बड़ा आदमी होता है . बड़े कामों की दुश्मनी प्रायः कानून से होती है . इसलिए बड़े आदमी को पहले कानून की नब्ज पकड़ना पड़ती है . नब्ज कानून के हकीमों के हाथ में होती है . कानून के हकीम वरिष्ठ, अनुभवी और प्रसिद्ध लोग होते हैं . कानून के बाज़ार में उन्हें कानून का जादूगर भी कहा जाता है . कानून का बाज़ार तफरी का स्थान नहीं है कि “दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ , बाज़ार से गुजरा हूँ खरीदार नहीं हूँ “ कह कर निकल जाये कोई .  सुना है कि इस बाज़ार में जो एक बार घुसा वो तभी चलन से बाहर होता है जब नोट की तरह जगह जगह से कटा-फटा और चिपकाया गया हो . आम आदमी के लिए जो कानून बर्बादी का कारण बनता है वही बड़े आदमी के लिए ‘जीपीएस’ का काम करता है . पीसी सरकार स्टेज से हाथी गायब कर देता था, बड़ा आदमी सरकार से बड़ा होता है और रेलें, हवाई जहाज वगैरह तक गायब कर देता है . बड़ा आदमी हार नहीं मानता है और लगा रहता है . सफलता उसे ही मिलती है जो लगा रहे . जादू लगातार रियाज यानी प्रेक्टिस मांगता है . कहते हैं बेवकूफों की कमी नहीं ज़माने में, एक ढूँढो हजार मिलते हैं . ये पंक्तियाँ जादू की जान हैं . कुछ लोग खुद पॉलिटिक्स नहीं करते, वो लोगों को पाल लेते हैं . पालना ज्यादा सुविधाजनक होता है . जब बोटियों से गोटियाँ चलती हों तो खुद मगजमारी करने की क्या जरुरत है ! आप कह सकते हैं कि असल बड़े आदमी यही होते हैं . 

                 कभी कभी बड़े आदमी को गिरफ़्तारी का सामना भी करना पड़ता है . थोड़ी बहुत काली भेड़ें हर सिस्टम में होती हैं ! होना भी चाहिए, इससे कानून, सिस्टम और सरकार को इज्जत मिलती है . राजनीति  कितनी ही बदचलन क्यों न हो ये काली भेड़ें उसकी मांग का लाल सिन्दूर होती हैं . इसीलिए उन्हें गिरफ्तार करने के समय सफ़ेद भेड़ों को अपनी बगलें झांकना पड़ती है . साहब का सर अगर शुरुर्मुर्ग हो रहा हो तो साहब की सूखे कुएँ सी बगल भी उन्हें ही झांकना पड़ती है .  साहब की बड़ी साइज़ की बगल झाँकने पर सिपाही को करीबी होने का सुख और गर्व का भाव हो सकता है . सिपाही रोबोट जैसा होता है, साहब का कुछ भी झांकते वक्त गर्व  महसूस करना उसकी ड्यूटी है . अभ्यास अच्छा हो तो बगलें झाँकने में पुलिस भी अच्छा परफोर्म करती है . ट्रेनिंग में उन्हें ‘दायें-बाएं-थम’ बार बार कराया जाता है तो इसके कुछ जरुरी कारण होते हैं लोकतंत्र में . कब कौन स्वयंसिद्ध कुर्सी पकड़ ले कोई भरोसा नहीं होता है . स्वयंसिद्धपन एक गॉड-गिफ्टेड प्रतिभा होती है जो शिखर पर भी पहुँच जाओ तो भी जाती नहीं है . जानकार जानते हैं कि स्वयंसिद्धपन उसके जींस में हैं . उसे वित्त मंत्रालय दे दो या शिक्षा मंत्रालय, वो काम नहीं करेगा, उसके जींस करेंगे... यानी गॉड करेंगे . गॉड सबका होता है . गॉड जो भी करता है अच्छा ही करता है . इसमे किसी को शक नहीं होना चाहिए . इसलिए बड़े आदमी को शक की निगाह से देखना पाप है . फिर भी रस्मी तौर पर बड़ा आदमी गिरफ्तार होता है तो प्रसिद्धि मिलती है . बड़े आदमी के लिए प्रसिद्धि पूँजी होती है, जिसे देख कर बैंकें अपना सब कुछ खोल कर चरणों में गिर जाती हैं . और बड़ा आदमी देश की प्रतिष्ठा के लिए, विकास के लिए, सहयोगी सरकार के लिए लगातार बड़े काम करते जाता है . जे-हिन .

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