शनिवार, 18 सितंबर 2021

पुराना कोट



 



                हवेली में कई चीजें सहेज कर रखी गईं थीं . बारहसिंघे और हिरन की गरदन, भूसा भरा बाघ, नीलकंठ पक्षी, चीते की खाल वगैरह . एक एक चीज वे तफसील बयाँ करते हुए दिखा रहे थे . शीशे के बड़े बाक्स में टंगा कोट दिखाते हुए बोले – “ ये हमारे परदादा का कोट है . निशानी है उनकी . विरासत है हमारे लिए .”

मेहमान ने भी रूचि से देखा . –“ काफी पुराना है ... बहुत ध्यान रखना पड़ता होगा ! साफ सफाई भी बड़ा मेहनत का काम होता होगा ?”

“साफ सफाई में मेहनत !! ... जनाब हाथ भी नहीं लगा सकता है कोई इसे . बस दूर से ही देख लेते हैं दिन में चार पांच बार . जैसा था वैसा ही बनाये रखा है . जरा सा भी बदला या दुरुस्त किया हुआ नहीं है . ओरिजनल ... अनटच रखा है . “ उनका सीना चौड़ा हो रहा था .

“बहुत बड़ी बात है ये, किसी चीज को वैसे का वैसा बनाये रखना . ... बटन की जगह लकड़ियाँ  लगी हैं . वो भी शायद ख़राब हो चली हैं .” आगंतुक ने कहा .

“पुराने ज़माने में लकड़ियाँ ही लगती थीं .  और ये ख़राब नहीं हैं, उनका कलर ऐसा है कि लगता है ख़राब हो गयी हैं . “

“अगर ड्रायक्लिनिंग वगैरह करवा लें  तो और बेहतर लगेगा .”

“कहा ना ... हाथ भी नहीं लगा सकता है कोई ! ... जैसा है वैसा ही रखना हमारी जिम्मेदारी है . हमें पहनना थोड़ी है, बस इससे प्रेरणा लेना है . छेड़छाड़ हमें बर्दाश्त नहीं होगी . इस मामले में हम कट्टर हैं . विरासत को विरासत की तरह ही रखेंगे . “ वे बोले .

“अच्छा है जी, बड़ा सम्मान रखते हैं आप कोट पर .” अतिथि ने बहस छोड़ते हुए कहा .

“कोट तो तुम्हारे परदादों के पास भी थे !!” उन्होंने सवाल किया .

“हाँ हैं ना .”

“कहाँ रखे हैं ?”

“ रखे कहाँ हैं ... ये पहना हुआ एक तो ... परदादा का ही है .” अतिथि  ने बताया .

“ये तो नया लग रहा है !! ... झूठ बोल रहे हो !”

“परदादा का ही है ... मैं इसे समय समय पर धुलवाता हूँ, जरुरी होने पर दुरुस्त भी करवाता हूँ ताकि पहनने लायक रहे . इसकी झाड़ झटक भी होती है, धूप भी दिखाते हैं ... बटन देखिये नए हैं . समय और जरुरत के हिसाब से थोड़ा बदलाव करते रहने से उपयोगिता बनी रहती है . कोट पुराना  है लेकिन नया भी है ... और सबसे बड़ी बात हम लोग आज भी पहन रहे हैं .

 

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