मंगलवार, 7 सितंबर 2021

शांतिवन में प्लास्टिक





शांतिवन में सब संतोषप्रद चल रहा हैं । लोग खुशहाल हैं, सबके पास रोजगार है, फेक्टरियों में भारी उत्पादन हो रहा है । बाज़ार में गज़ब की रौनक हैं । लोग सोना भी भाजीपाले की तरह खरीद रहे हैं । और भाजीपाले का तो पूछो मत, किसानों की उम्र लंबी हुई जा रही है । टेक्स ऐच्छिक होने के बावजूद भरपल्ले जमा हो रहा है । देश की सीमाओं से शहनाई की आवाज़े आती हैं । स्त्रियाँ सुरक्षित हैं, बलात्कार शब्द डिक्शनरी से हटा दिया गया है । खुले में बच्चा भी शौच करे तो उसे शालीनता से स्वर्ग पहुंचाया जाता है । जनता को शांतिवन सरकार से कोई शिकायत नहीं है । जिन्हें शिकायत होती भी है तो वे उसे कन्या-भ्रूण की तरह पैदा होते ही मार देते हैं । जिधर निकल जाते हैं हुजूर-हुजूर के नारे लगाने लगते हैं । शांतिवन से और क्या चाहिए हुजूर को !! .....  तभी दूध में मक्खी ! हुजूर ने देखा कि माहौल में प्लास्टिक की मार ज्यादा है । खुद उनकी पार्टी प्लास्टिक नेताओं से भरती जा रही है । चुनाव के समय डिस्पोसेबल कार्यकर्ताओं की भरमार रही । सोचा था यूज एण्ड थ्रो माटेरियल है कोई सिरदर्द नहीं रहेगा । लेकिन अब देखिए ! यहाँ वहाँ बिखरे शांतिवन का पर्यावरण खराब कर रहे हैं । प्लास्टिक के हृदय-सम्राटों से पार्टी के दिल पर लोड पड़ने लगा है । जाहिर है प्लास्टिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है । मन ही मन उन्होने तय किया कि प्लास्टिक को चलन से बाहर करना ही पड़ेगा ।
(देखिए भई, पहले चेतावनी जैसा कुछ सुन लीजिए । तकनीकी विकास ने दुनिया को इतना छोटा और एक-सा बना दिया है कि आप पीपलपुर की बात करो तो वह नीमनगर पर भी पूरी उतरती है । नाइजीरिया का आदमी भी लगता है जैसे पड़ौसी है अपना । हुजूरों को देखें तो सिर्फ नाम ही अलग होते हैं, मिजाज में सारे इतिहास के पन्नों में टंके राजे रजवाडों से कम नहीं हैं ।  बात कहीं से भी शुरू की जाए लगता है वहीं जा रही है जहां दिमागी परहेज किए एक भीड़ तैयार बैठी है । लब्बोलुआब यह कि कोई गलतफहमी अगर पैदा होती है तो ज़िम्मेदारी श्रीमान आपकी है । इधर जुलूस जो है खंबा बचा के चल रहा है ।)
हुजूर ने प्लास्टिक को लेकर बैठक आहूत की । बोले कि प्लास्टिक के कारण शांतिवन के पर्यावरण को बिगड़ने नहीं दिया जाएगा । पार्टी गीला-सूखा, बूढ़ा-जवान कचरा अलग अलग करने के प्रति गंभीर है । वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि सूखा कचरा यानि प्लास्टिक की उम्र बहुत लंबी होती है । वह कुछ नहीं करे, काम नहीं आए तो भी शांतिवन की धरती पर उसका बना रहना पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है । नीचे के लेबल पर ज़्यादातर सिंगल यूज थैली या डिस्पोज़ेबल कप प्लेटें होती हैं । सुना है ये एक पार्टी से दूसरी पार्टी में रिसायकल हो जाती हैं ! प्लास्टिक जितना रिसायकल होता है उतना पर्यावरण को हानि पहुँचता है । जमीनी जुड़ाव की अब चिंता नहीं है । टीवी और रेडियो से हुजूर खुद सीधे वोटर तक अपनी पहुँच बना लेंगे । शराब भी बांटना पड़ी तो प्लास्टिक में नहीं कुल्हड़ में दी जाएगी । प्लास्टिक चाहे किसी भी रूप में हो अब प्रतिबंधित रहेगा ।
“सारे प्लास्टिक प्रतिबंधित मत कीजिए हुजूर ।“  पार्टी प्रवक्ता गोलू बतरा जी ने टोका । बोले- हमारी राजनीति प्लास्टिक पर ही चल रही है । टीवी पर पार्टी की ओर से प्लास्टिक बहसें, हुजूर के प्लास्टिक-वादे, शांतिवन कल्याण की प्लास्टिक योजनाएँ कैसे सुर्खियों में आएंगी, तमाम प्लास्टिक घोषणाओं और जुमलों के बिना हमारी तो मुश्किल हो जाएगी । युवाओं की ताजा फेसबुकिया-वाट्सएपिया पीढ़ी प्लास्टिक सपनों के सहारे खड़ी है । उनका क्या होगा ? इसके अलावा पूरा समाज अब प्लास्टिक सम्बन्धों में जी रहा है । धर्म, आस्था, विश्वास; घर, परिवार, पड़ौस, अपने पराए सब तो प्लास्टिक है !! और तो और हमारा वोटर भी तो प्लास्टिक है हुजूर, बरसों तक वापरेंगे ... सड़ेगा नहीं ।
हुजूर ने कहा - “प्लास्टिक पर्यावरण के लिए जरूरी है” ।
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