शांतिवन
में सब संतोषप्रद चल रहा हैं । लोग खुशहाल हैं,
सबके पास रोजगार है, फेक्टरियों में भारी उत्पादन हो रहा है
। बाज़ार में गज़ब की रौनक हैं । लोग सोना भी भाजीपाले की तरह खरीद रहे हैं । और
भाजीपाले का तो पूछो मत, किसानों की उम्र लंबी हुई जा रही है
। टेक्स ऐच्छिक होने के बावजूद भरपल्ले जमा हो रहा है । देश की सीमाओं से शहनाई की
आवाज़े आती हैं । स्त्रियाँ सुरक्षित हैं, बलात्कार शब्द
डिक्शनरी से हटा दिया गया है । खुले में बच्चा भी शौच करे तो उसे शालीनता से
स्वर्ग पहुंचाया जाता है । जनता को शांतिवन सरकार से कोई शिकायत नहीं है । जिन्हें
शिकायत होती भी है तो वे उसे कन्या-भ्रूण की तरह पैदा होते ही मार देते हैं । जिधर
निकल जाते हैं ‘हुजूर-हुजूर’ के नारे
लगाने लगते हैं । शांतिवन से और क्या चाहिए हुजूर को !! ..... तभी दूध में मक्खी ! हुजूर ने देखा कि माहौल में
प्लास्टिक की मार ज्यादा है । खुद उनकी पार्टी प्लास्टिक नेताओं से भरती जा रही है
। चुनाव के समय डिस्पोसेबल कार्यकर्ताओं की भरमार रही । सोचा था यूज एण्ड थ्रो
माटेरियल है कोई सिरदर्द नहीं रहेगा । लेकिन अब देखिए ! यहाँ वहाँ बिखरे शांतिवन
का पर्यावरण खराब कर रहे हैं । प्लास्टिक के हृदय-सम्राटों से पार्टी के दिल पर
लोड पड़ने लगा है । जाहिर है प्लास्टिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है । मन ही मन
उन्होने तय किया कि प्लास्टिक को चलन से बाहर करना ही पड़ेगा ।
(देखिए
भई, पहले चेतावनी जैसा कुछ सुन
लीजिए । तकनीकी विकास ने दुनिया को इतना छोटा और एक-सा बना दिया है कि आप पीपलपुर
की बात करो तो वह नीमनगर पर भी पूरी उतरती है । नाइजीरिया का आदमी भी लगता है जैसे
पड़ौसी है अपना । हुजूरों को देखें तो सिर्फ नाम ही अलग होते हैं, मिजाज में सारे इतिहास के पन्नों में टंके राजे रजवाडों से कम नहीं हैं
। बात कहीं से भी शुरू की जाए लगता है
वहीं जा रही है जहां दिमागी परहेज किए एक भीड़ तैयार बैठी है । लब्बोलुआब यह कि कोई
गलतफहमी अगर पैदा होती है तो ज़िम्मेदारी श्रीमान आपकी है । इधर जुलूस जो है खंबा
बचा के चल रहा है ।)
हुजूर
ने प्लास्टिक को लेकर बैठक आहूत की । बोले कि प्लास्टिक के कारण शांतिवन के
पर्यावरण को बिगड़ने नहीं दिया जाएगा । पार्टी गीला-सूखा, बूढ़ा-जवान कचरा अलग अलग करने के प्रति गंभीर है । वैज्ञानिक शोध बताते
हैं कि सूखा कचरा यानि प्लास्टिक की उम्र बहुत लंबी होती है । वह कुछ नहीं करे, काम नहीं आए तो भी शांतिवन की धरती पर उसका बना रहना पर्यावरण के लिए ठीक
नहीं है । नीचे के लेबल पर ज़्यादातर सिंगल यूज थैली या डिस्पोज़ेबल कप प्लेटें होती
हैं । सुना है ये एक पार्टी से दूसरी पार्टी में रिसायकल हो जाती हैं ! प्लास्टिक
जितना रिसायकल होता है उतना पर्यावरण को हानि पहुँचता है । जमीनी जुड़ाव की अब
चिंता नहीं है । टीवी और रेडियो से हुजूर खुद सीधे वोटर तक अपनी पहुँच बना लेंगे ।
शराब भी बांटना पड़ी तो प्लास्टिक में नहीं कुल्हड़ में दी जाएगी । प्लास्टिक चाहे
किसी भी रूप में हो अब प्रतिबंधित रहेगा ।
“सारे
प्लास्टिक प्रतिबंधित मत कीजिए हुजूर ।“
पार्टी प्रवक्ता गोलू बतरा जी ने टोका । बोले- हमारी राजनीति प्लास्टिक पर
ही चल रही है । टीवी पर पार्टी की ओर से प्लास्टिक बहसें, हुजूर के प्लास्टिक-वादे, शांतिवन कल्याण की
प्लास्टिक योजनाएँ कैसे सुर्खियों में आएंगी, तमाम प्लास्टिक
घोषणाओं और जुमलों के बिना हमारी तो मुश्किल हो जाएगी । युवाओं की ताजा फेसबुकिया-वाट्सएपिया
पीढ़ी प्लास्टिक सपनों के सहारे खड़ी है । उनका क्या होगा ?
इसके अलावा पूरा समाज अब प्लास्टिक सम्बन्धों में जी रहा है । धर्म, आस्था, विश्वास; घर, परिवार, पड़ौस, अपने पराए सब
तो प्लास्टिक है !! और तो और हमारा वोटर भी तो प्लास्टिक है हुजूर, बरसों तक वापरेंगे ... सड़ेगा नहीं ।
हुजूर
ने कहा - “प्लास्टिक पर्यावरण के लिए जरूरी है” ।
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