सोमवार, 6 सितंबर 2021

कहो जी तुम क्या क्या खरीदोगे !





                बाबूजी तुम क्या क्या खरीदोगे !? यहाँ तो हर चीज बिकती है . ये दुनिया है बाज़ार बाबू, नगद उधार मिलेगा, अपना हो या कि ना हो, ... पर मिलेगा . घर के सामने की आधी सड़क ले लो, पीछे गली हो तो पूरी ले लो . छोटी बड़ी सब मिलेगी . एयरपोर्ट ले लो, हवाई जहाज बिकाऊ हैं , चाहो तो आधा आसमान लेलो, इन्वेस्टमेंट अच्छा है . रेल लेलो, मेल लेलो, पटरियां और प्लेटफार्म  लेलो. गाड़ी मिल जाएगी सुपरफास्ट, साथ में ड्रायवर ध्रतराष्ट्र लेलो . स्कूल की इमारतें सरकारी, खाली पड़े मैदान चुन लो, एक दो नहीं दस बीस लेलो . अस्पताल मिल जायेंगे घटे दरों पर, दवा की दुकान लेलो . स्कूटर, सीमेंट, पम्पस की फेक्ट्रियां मिलेंगी चालू हालत में . शिपिंग, स्पात, इलेक्ट्रोनिक्स के चलते संस्थान लेलो . बैंक, बीमा, टेलीकाम, ऊर्जा सब मिलेगा . सोचो मत, ऐसा मौका फिर कब मिलेगा . दुनिया फानी है, कुर्सी आनी  जानी है .

चाहो तो बर्फीले पहाड़ खरीदो, नगदी हो तो नदियाँ तालाब तुम्हारे . खेल के स्टेडियम मिलेंगे, छोटे बड़े खिलाड़ी लेलो .  मुरब्बा बनाओ, आचार डालो;  विद्वान्, बुद्धिजीवी, चतुर सायाने लेलो. राजनीति नहीं है जी खेला है, लोकतंत्र का मेला है . रेडियो टीवी लेलो, खबरों से कर लो मनमानी. हवा लेलो, सांसें लेलो या ले लो सागर का पानी . सस्ता महंगा मत देखो, घर जाने का भाव देखो . महल कचहरी, सील सिक्के, सेना लेलो सरदार लेलो . तोंद सहित पुलिस मिलेगी, बिना इशारे नहीं हिलेगी . वर्दी वाला हेड लेलो, सावन भादौ जेठ लेलो . नया पुराना गाँधी लोगे ? या बादल बरसात आँधी लोगे ? सेल है सब मिलेगा, औने पौने में भी चलेगा, कोई माल मुफ्त नहीं मिलेगा . बापू की धोती, चप्पल और चश्मा है ... दाम लगाओ . लाठी बकरी नहीं मिलेगी, चाहो तो ‘हे राम’ लेलो . राम की चिड़िया है जी और खेत भी राम का, खा-लो चिड़िया भर पेट, ... चिड़िया मिलेगी, चहक मिलेगी . सूखी गीली तंदूरी खनक मिलेगी . हजम करने को बाबा की पुड़िया है . डरो मत जनता गूंगी बहरी बुढ़िया है . घोड़ा, हाथी, ऊंट लेलो, वजीर बिक चुका है, प्यादे धोले काले लेलो . शकुनी वाले पासे लेलो, भरी सभा में तन कर खेलो . खरीदो कि बाज़ार खुल गए, नगद लेलो, क़िस्त करवा लो, वजन धरो उधार भी मिलेगा . नहीं कुछ है अगर, अपने हो मगर तो उपहार मिलेगा . मंदी का माहौल है पता है, बस राम नाम जपना है पराया माल अपना है .  

                  आप पूछेंगे कि किस हैसियत से बेच रहे हैं आप ! तो जान लो कि चरवाहा जितनी देर बकरियां चराता है जंगली जानवरों से रक्षा की जिम्मेदारी उसकी होती है . इस वक्त वो मालिक होता है बकरियों का . परन्तु चरवाहे से बकरियों की रक्षा कौन करेगा इसके बारे में कानून मौन है . किसकी हिम्मत सवाल करे, माई का लाल कौन है ! नगदीकरण या मोनेटाईजेशन एक सुन्दर शब्द है . इसमें संपत्ति का स्वामित्व बेचने वाले के पास रहता है ... यानी  बिकता कुछ नहीं है बस सेवा का नगदीकरण हो जाता है . जैसे काल गर्ल का कुछ नहीं जाता, वह बस सुख का नगदीकरण या मोनेटाईजेशन कर लेती है . अपराध नहीं है मोनेटाईजेशन, अपनी सोच को बड़ा करो . असल में ये संसार बाज़ार है, लेन देन ही जिन्दा रहने का प्रमाण होता है यहाँ . और यह भी तो देखो कि बेचना हर किसी को कहाँ आता है . मीठा बोल कर बेचने वालों की मिर्ची भी बिक जाती है और जो मौन रहते हैं उनका गुड भी नहीं बिकता है , कुर्सी अलग चली जाती है . बेचना एक कला है, लोग धरती पर बैठे चाँद पर छोटे बड़े प्लाट तक बेच रहे  हैं . हम आगे बढ़ेंगे तरक्की करेंगे, पाऊच में पेक कर सूरज की रौशनी भी बेचेंगे .

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