“देखो
प्यारे, हम तुम्हारे मामा हैं । और तुम ये ठीक से समझ लो और गांठ बांध लो कि मामा
तो मामा ही होता है । तुमसे आगे हैं और हमेशा रहेंगे । इसमे कोई शंका कुशंका हो तो
अभी बोल दो समझा देंगे । बाद में न कहना कि मामा ने ठीक से समझया नहीं इसलिए गलती
कर गए । है कोई आशंका ? ... नहीं है ना ... तो बात सुनो हमारी । जैसा कहते रहेंगे
तुमको वैसा ही करते रहना है । मंत्री बना दिया है मजे करो और फीता काटते रहो । बस
यही काम है तुम्हारा ... फीता काटो । ध्यान लगा के फीता काटना सीख लो पहले ।“ नए मंत्री
बने भांजे से मामा ने कहा ।
“फीता
काटने में क्या सीखना है !? मामा जी कमाल करते है आप भी ! अरे कैंची उठा कर फीता
काटना है इसमे कौन सी फिजिक्स पढ़ना होती है !” भांजे ने कुछ चिढ़ते हुए कहा ।
मामा को
इसी उत्तर की उम्मीद थी । बोले - “बेटा ‘फीता-कटर’ होने और फीता काटने में बहुत
अंतर होता है । कैंची उठा कर ही फीता काटना है तो काटते रहिये घर में बैठ कर दरजी
की तरह । राजनीति में फीता काटना टेक्नीकल भी है और आर्ट भी है । इसमें फिजिक्स नहीं
केमिस्ट्री का सही होना जरुरी है । राजनीति
केमिस्ट्री से चलती है । एचटू-ओ का फार्मूला इधर भी है पर इससे पानी नहीं
पैसा बनता है ।“
“एचटू-ओ !!
कुछ समझे नहीं इधर एचटू-ओ कहाँ है ?!”
“एचटू मतलब
हिस्सा दो और ओ का मतलब है आर्डर लो ।
हिस्सा दो आर्डर लो । यही केमिस्ट्री है पॉलिटिक्स की । वो कहावत सुनी होगी
ना, ‘घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खायेगा क्या ?’ यही बात गधों पर भी लागू होती है
।“
“कहना क्या
चाहते हैं ! हम गधे हैं !” भांजे ने आपत्ति ली ।
“गांठ बांध
लो, राजनीति घोड़ों का काम नहीं है । घोड़े गृहस्थी की गाड़ी खींचने के काम आते हैं ।
जिसे स्कूल में मास्टर लोग और खुद उसके घर वाले बचपन से ही ‘गधा है, गधा है’ कहते
आये हैं वही आगे चल कर राजनीति करता है । एक नहीं सौ उदहारण देख लो ।“ मामा ने समझया ।
“यह समझ
में नहीं आया कि फीता काटने से गधे का क्या सम्बन्ध !”
“नहीं समझ
में आया तो मान लो कि ठीक रस्ते पर हो । देखो ऐसा नहीं करना है कि किसी ने कहा और
पहुँच गए मुस्कराते हुए फोटू खिंचवाने । पहले देखो ठेका कितने का है, हिस्सा कितना
होगा । हर प्रोजेक्ट में चार या पांच चेक से पेमेंट होता है तो फीते भी चार-पांच बार
कटेंगे ।“
“क्या यार
मामा ! एक प्रोजेक्ट में कौन चार-पांच बार फीते कटवाएगा ! लोग बेवकूफ नहीं हैं ।“
“लोग अगर
बेवकूफ नहीं होते तो क्या हम तुम कुछ कर पाते ! किसी ने कहा कि मैं रातदिन मेहनत
करता हूँ, सभाओं सभाओं चीखता हूँ, जरुरत पड़ने पर दुलत्ती भी झाड़ता रहता हूँ । बस
हो गया अपना काम । ... रहा सवाल फीते कटवाने का तो फीता काटने का मतलब हमेशा कैंची
से फीता काटना ही नहीं होता है । उदहारण से समझो । माना कि कोई सड़क बनाने का ठेका
हुआ है । आप तय करके पहले चेक पर भूमि पूजन कर आइये, दूसरे चेक पर सीमेंट की पहली
बोरी को काट आइये, तीसरे पर सड़क का निरीक्षण कीजिये, चौथे पर उद्घाटन और पांचवे पर
सड़क का नामकरण कर दीजिये । ये हो गया । फीता ऐसे काटें ।
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