सोमवार, 5 अगस्त 2013

खाद्य सुरक्षा बिल यानी ‘खाने-योग्य’ की सुरक्षा का बिल

             सरकार ने पहले बीवी-बच्चों को प्यार किया और नगद ‘डेली पाकेट-मनी’ दी। फिर अपने नाते-रिश्ते  वालों की खैर-खबर दुरुस्त की। बाहरी कक्ष में आए और कुछ यार दोस्तों का कर्ज उतारा, कुछ पर कर्ज लादा। उसके बाद सहयोगी महकमों के लोगों से हाथ मिलाए, और बही-खाते भी। गिव एण्ड टेक रिलेशन यानी व्यवहार का ध्यान खासतौर पर रखना पड़ता है। बाहर यानी दालान में मीडिया कैमरा ताने खड़ा था। मेकअप और शेरवानीनुमा कोट ठीक करवा कर वे मुस्कराते हुए प्रकट हुए। लोगों में हलचल हुई, उन्होंने कहा - ‘‘ सवाल बाद में ..... पहले बताइये जलपान लिया आप लोगों ने ? ’’
उत्तर ‘हां’ में मिलने के बाद उन्होंने सेकरेटरी की ओर सवालिया नजरों से देखा। सेकरेटरी ने बंधे हाथ जवाब दिया - ‘‘ गिफ्ट भी दे दिए हैं सर ..... काफी पसंद किए गए हैं। ’’ सुनकर सरकार प्रसन्न हुए।
‘‘ सर खाद्य सुरक्षा बिल के बारे में आप क्या कहना चाहते हैं? ’’ पहला सवाल आया।
‘‘ अच्छा बिल है, मैं तो कहूंगा कि बहुत जरूरी बिल है। आजादी के बाद ही पास करा लिया जाना चाहिए था। ..... एक बार यह बिल पास हो जाए तो रोज रोज का झंझट खत्म समझो। ’’ सरकार ने उत्तर दिया।
‘‘ सर, खाद्य सुरक्षा बिल में महत्वपूर्ण प्रावधान क्या है ? ’’ दूसरा सवाल।
‘‘ देखिए, खाद्य का मतलब होता है ‘खाने योग्य’ । अगर एक बार ‘सुरक्षा-कानून’ बन जाए तो खाने-योग्य रकम के मामले में सरकार पर कोई अंगुली नहीं उठा सकेगा। विरोधियों का अनर्गल प्रलाप बंद हो जाएगा और जनता गुमराह नहीं होगी। ’’
‘‘ क्या आप मानते हैं कि इस बिल से अनाज की सुरक्षा का भी थोड़ा बहुत संबंध है ?’’
‘‘ अनाज !! ..... अनाज क्यों ?!!’’
‘‘ जनता खाद्य सुरक्षा का मतलब अनाज सुरक्षा से समझ रही है ! ’’
‘‘ अच्छा !! ... वो भी सही हैं।..... व्यवस्था के अंतिम बिन्दु पर अनाज ही होता है इसलिए जनता अनाज समझे इसमें कोई बुराई नहीं है। लेकिन योजना एक लंबे रास्ते की तरह होती है। इसमें ‘खाने-योग्य’ शब्द का महत्व हमारे आध्यात्म की तरह बहुत गहरा है। सामान्यजन इसे नहीं समझ सकते हैं। .... एक बार ‘खाने-योग्य’ को सुरक्षित कर लेने का कानूनी अधिकार मिल जाए तो देशसेवक छाती ठोक कर अदालत के सामने भी जा सकेगें । ’’
‘‘ देशसेवक अभी भी ‘खाने-योग्य’ को खा रहे हैं तो क्या वे गैरकानूनी काम नहीं कर रहे हें ?’’
‘‘ सरकार जनभावना को समझती है। जनता नहीं चाहती कि देषसेवकों को सरेआम भ्रष्ट कहा जाए। एक बार यह बिल पास हो गया तो नेता कानून का सम्मान भी करने लगेगें और किसीको शिकायत का मौका नहीं देंगे। ’’
‘‘ लेकिन सर,  लगता है आप कन्फ्यूज हो रहे हैं कि .....’’
‘‘ हमें कोई कन्फ्यूजन नहीं है, सरकार कभी कन्फ्यूज नहीं होती है ..... खैर छोड़िए। .... आप लोग जाते वक्त गिफ्ट ले कर जाइएगा।’’
‘‘ गिफ्ट तो मिल गया है सर !’’
‘‘ वो तो वेलकम गिफ्ट था .... ये रिटर्न गिफ्ट है । ’’
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