बुधवार, 7 अगस्त 2013

अमीरी की मानसिक स्थिति में गरीब

                                  
यह देश के राजनैतिक इतिहास की पहली घटना नहीं है जब हुजूर गरीबों के लिए चिंतित हुए हों। दिल्ली की गलियां जानती हैं कि बुरे वक्त में गरीब ही काम आता है। जब भी चुनाव आने वाले होते हैं गरीब चिंता के केन्द्र में अपने आप आ जाते हैं। लेकिन जिस नई फिलासफी के साथ इस बार आए आए हैं वो अद्भुत है। गरीबों को नहीं पता था कि उनकी गरीबी एक मानसिक स्थिति मात्र है। सुनते ही उनको सांप सूंघ गया, अभी तक जो गरीब थे अब मानसिक रोगी भी हो गए। गरीब को अपत्ती हो सकती है, पर हुजूर जो कहें मानना पड़ेगा। आज की तारीख में हुजूर बड़े मनोवैज्ञानिक हैं। अभी तक गरीबी का कारण किस्मत को मानते हुए माथा ठोंकते आ रहे हैं, अब पता चला कि कारण माथे के इन साइडहै। माथे में क्या है ये तो गरीब ने कभी देखा ही नहीं। अच्छा हुआ हुजूर ने देख लिया और बता दिया कि गरीबी यहां है। अगर लोग अपने आप को अमीर मानने लगेगें तभी तो वे अमीर जैसा महसूस करेंगे। भूख के लिए चिंता छोड़ वे डायटिंग और जीरो-फीगर के महत्व को सकझेंगे। नंगे रहने को फैशन मानेंगे और शान का अनुभव करेंगे। अपनी बेकारी और बेराजगारी को हॉलिडेकी तरह इंज्वाय करेंगे। हर दूसरा मानसिक-गरीब अपने बच्चों के नाम अनिल-मुकेश रख कर खरबों के औद्योगिक साम्राज्य का मनोवैज्ञानिक आनंद लेगा। ऐसे में जब हुजूर चुनावी सभा में या टीवी पर भाषण देते हुए कहेंगे कि गरीब देश का मालिक हैतो उनमें मालिक होने की ट्रु-फीलिंगआ जाएगी। इससे गरीबों का आत्मविश्वस् बिना किसी सरकारी योजना के बढ़ जाएगा और वह दो रोटी कम खाएगा। हजूर जानते हैं कि गरीब को केलोरी की नहीं लोरी की जरूरत है। गरीबी का दुःख जागने वालों को होता है, सोए हुओं के लिए सपने काफी होते हैं। और सपनों का संबंध मानसिकता से होता है। एक बार गरीबों की          मानसिकता कब्जे में आ जाए तो सपने दिखाना हुजूर के बांए हाथ का काम है। अमीर होना हर किसी का सपना है। गरीबों के सामने भी सपनों का एक पेकेजहोना चाहिए। इससे एक माहौल बनेगा अमीरी का और एक झटके में देश की सत्तर प्रतिशत जनता चट्ट-से अमीर हो जाएगी।
गरीबी को मानसिक स्थिति बताते ही हुजूर के जलवागाह में सबसे पहले अमीरों का शिष्टमंडल पहुंचा। अमीरों के झुंड को शिष्टमंडल कहा जाता है क्योंकि वे व्यवस्था को मारने के लिए पुष्पगुच्छों के हथियार ले कर शिष्टतापूर्वक पहुंचते हैं। हुजूर की बंदगी के बाद बोले-‘‘ सरकार हम लोग मानसिक रूप से गरीब हैं। अब चूंकि गरीब मानसिक रूप से अमीर होने जा रहे हैं और उनके लिए चलाई जा रही तमाम कल्याणकारी योजनाएं बेकार होने जा रही हैं सो हम देशसेवा के लिए आगे आने के लिए तत्पर हैं। देश के दस प्रतिशत अमीर अगर मानसिकरूप से गरीब होंगे तो आपको भी गरीबी घटाने का सुख मिलेगा। ’’ हुजूर मोगांबो की तरह खुश हुए। हुजूर के लिए खुशी बड़ी चीज है।
तो सज्जनो, अबकी बार जीत गए तो हुजूर अगली पंचवर्षीय योजना में गरीबी दूर करने के लिए हर झुग्गी-बस्ती में मानसिक चिकित्सालय खुलवाएंगे। ना भी खुलवाएं, अगर उनको लगे कि ये मानसिक गरीबी उनके हाथ मजबूत करती रहेगी। हुजूर वलीअहद हैं, उन्हें आगे का सोचना और बहुत आगे का इंतजाम करना जरूरी है।

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