बुधवार, 11 जून 2014

अच्छे समय का रोड-शो

           
         सुबह सबेरे लोगों ने देखा कि दीवारों पर पोस्टर चिपके हैं और झुण्ड के झुण्ड लोग उन्हें पढ़ रहे हैं तो रनवीरसिंह भी उधर दौड़ चले। लिखा था कि नागरिक खुशियां मनाएं, नाचें गाएं, क्योंकि अच्छा समय आ गया है। बाजार को हमेशा  अच्छे समय की लगी पड़ी रहती है सो उससे कहा गया है कि वो चौपन इंच तक सीना तान ले और सेंसेक्स की तरह उछल उछल कर आसमान नापने की कोशिश करें। दफ्तरों में प्रतिदिन कुर्सी-नमस्कारासन होगा जो दिल्ली की ओर मुख कर किया जाएगा। प्रभातफेरियां अच्छे समय का बिगुल बजाती दिनभर निकलेंगी। शिवालों में बुरे दिनों की भस्म से विशेष  आरतियां होंगी। पंडित दूध से काया को धोएंगे, चोटी को गो-घृत से सींचेंगे और मंत्रोच्चार से अच्छे समय का अभिषेक करेंगे। मौलवी-मुल्ला जयपुरी मेंहदी से अपनी दाढ़ी को गहरा रंगेंगे ताकि मालूम हो कि इधर भी अच्छा समय आ गया है। ज्योतिषी-कथावाचक अपनी पुरानी पोथियों को नए लाल रेशमी वस्त्र में बंध कर तैयार रहें, अच्छा समय एकदम आ ही गया है। विध्नहर्ता, लंबोदर देव से प्रार्थना की गई है कि वे शीघ्रतिशीघ्र दुग्धपान के लिए उपलब्ध हों। गली-गली भजन कीर्तन और भोजन-भण्डारे होंगे इसके बाद भी कोई भूख से मरा तो जिम्मेदारी उसके भाग्य की होगी। हर आम और खास, अमीर और गरीब शादी-ब्याह पूरे घूमघाम से यानी शानोशौकत से करेगा ताकि हवाएं इन संदेशों  से भर उठें कि अच्छा समय आ गया है। इसके लिए बैंके भारी से भारी लोन देने के लिए दौड़ पड़ेंगी। जिनके पास पेट्रोल  के पैसे नहीं हैं उन्हें आॅडी कार के लिए लोन मिलेगा। मंगते-भिखारी भी पांच लाख तक की कार एक रुपए के डाउन पेमेंट पर खरीद सकेंगे। लोन न चुका पाने की स्थिति में मोक्ष और मुक्ति दोनों का लाभ लेने की स्वतंत्रता होगी। साधु महात्मा कुपित हो कर किसी भी पापी को श्राप दे सकेंगे और संस्कृति रक्षक उसे लागू करके उनके सम्मान की रक्षा करेंगे। अच्छा समय आ गया है इसलिए स्कूल कालेजों में छुट्टी रहेगी, विश्वविद्यालय बंद रहेंगे। प्रोफेसर लोग योग गुरुओं से अनुलोम-विलोम और बटर फ्लाय वगैरह सीखेंगे और आत्मशुद्धि करेंगे। डाक्टरों को मरीज के रक्त परीक्षण, मल-मूत्र परीक्षण के साथ जन्मकुण्डली परीक्षण भी कराना होगा। दवा की दुकानों में दवा के साथ गंडे-ताबीज, नगीने-अंगूठियां, तांबे-पीतल के तंत्र आदि भी जनता के कल्याण के लिए उपलब्ध रखें जाएंगे। कवियों, लेखकों, साहित्यकारों को कलम चलाने की मनाही होगी, हल चला कर वे उत्पादक  कार्य में संलग्न किए जाएंगे जो एक तरह का रचनात्मक कार्य ही है। केवल वे लेखक छुट्टे घूम सकेंगे जो अच्छे समय को बढ़ावा देंगे। इसी तरह कलाकारों को भी विकास कार्यों में लगाया जाएगा, वगैरह।
‘‘ क्या सचमुच अच्छा समय आ गया है !!’’ रनवीर सिंह ने पूछा।
‘‘ इसी बात का डर था कि कहीं इस बार अच्छा समय न आ जाए।’’ सुच्चादास ने मायूस सा जवाब दिया।
‘‘ जब भीड़ अच्छे समय के लिए आमादा हो तो हम आप दो-चार वोटों से रोक नहीं सकते हैं। ’’
‘‘ जब रोक नहीं सकते हैं तो समझदारी इसी में है कि अच्छे समय का स्वागत् हम भी कर दें। ’’
दोनों टहलते हुए दूर निकल आए। दिन चढ़ने लगा। वातावरण में एक तरह की हलचल थी। पूछा - ‘‘ क्या बात है भाई ! सारे लोग भाग क्यों रहे हैं ? ’’
‘‘ तुम्हें पता नहीं !! अच्छा समय आ गया है। ‘‘ 
लोग भागे चले जा रहे थे मानो अच्छा समय उन्हें दबोचने के लिए पीछे दौड़ा चला आ रहा है। दोनों को कुछ समझ में नहीं आया। करें क्या आखिर ! अगर भागना जरूरी है तो किधर भागें ! अच्छा समय तो सब तरफ आया होगा। 
चैराहे पर पुलिस वाले ने कुछ लोगों को रोक लिया। बताया कि वे लाल बत्ती में चैराहा क्रास किए हैं सो बाकायदा चालान बनेगा। उनमें से एक कुर्ता-पायजामा युक्त ब्रान्डेड नेता अपना पचास इंची सीना बजाते हुए आगे बढ़ा, - ‘‘ अबे हाट, .... बड़ा आया चालान बनाने वाला। हमें लाल बत्ती बताएगा ! अब अच्छा समय आ गया है। .... चल फर्शी-सलाम कर जल्दी से। ’’
सब एक साथ चिल्ला पड़े। पुलिस वाला अकेला पड़ कर घिर गया। लोगों ने देखा कि वह पुटपाथ की फर्शी  तक झुक कर सलाम कर रहा है। 
‘‘ अरे !! ये कैसा समय आ गया सुच्चा !!’’
‘‘ चुप ..... धीरे से निकल ले .... अच्छे समय का रोड-शो  चल रहा है।’’
                                                                 ----

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें