सोमवार, 25 अगस्त 2014

गुलाबजामुन नहीं खाए

       

           कुछ लोग सरकार का विरोध करने के लिए गधे को गुलाबजामुन खिलाना चाह रहे थे लेकिन वह राजी नहीं था। दरअसल गधा बुद्धिजीवी-टाइप था। उसका विश्वास  हरामखोरी में नहीं परिश्रम में रहा है। उसके बाप ने कहा था कि बेटा गधे खानदानी होते हैं, मेहनत करके अपना और इंसानों का पेट भरते हैं। इसलिए वह ऐसे मामलों में नहीं पड़ता है जिसमें राजनीति की बू आती हो।
            विरोध प्रदर्शन  का नेतृत्व कर रहे आदमी ने गधे के कान में फुसफुसा कर कहा-- मैं युवा-हृदय-सम्राट हूं। मेरे भाई मीडिया वाले खड़े हैं, मेरी इज्जत आपके हाथ में है, प्लीज गुलाबजामुन खा कर मुझे आशीर्वाद दीजिए। 
                     गधे ने गरदन हिला दी। उसे पता है कि गरज वाले दिन ये लोग वोटरों को भी गुलाबजामुन पेश करते हैं। वह यह भी जानता है कि जरूरत के समय ये लोग किसीको भी बाप बनाने से भी नहीं चूकते हैं। वोटरों को भी बाप बना लेते हैं, पैर छूते हैं लेकिन बाद में खुद बाप बन जाते हैं। उसके बाप को इंसानों ने कई बार बाप बनाया और ‘पिताजी-पिताजी’ कह कर खूब मेहनत करवाई लेकिन काम निकलने के बाद डंडे से ही सेवा की। 
                 हृदय-सम्राट ने गधे के पक्ष में नारे लगवाना शुरू कर दिया। ‘ये सरकार है अंधों की, सुनता नहीं कोई बंदों की।’, ‘गधे खा रहे गुलाबजामुन, सरकार दिखा रही कानून’। गधे के गले में माला डाल दी गई। एक कार्यकर्ता ने गधे के गले में एक तख्ती पहना दी, जिस पर लिखा है ‘सरकार का जमाई’। ढोल बजने लगे, जैसे अक्सर हमारे यहां जमाई राजा के प्रथमागमन पर बजते हैं। एक युवा नेत्री दीपक और थाली ले कर प्रकट हुई और गधे की आरती उतारने लगी। उसे लगा कि अब वह जीजाजी बालेगी। लेकिन कमबख्त नहीं बोली, नेग भी नहीं मांगा तो उसे राहत महसूस हुई। गधा बुद्धिजीवी और प्रगतिशील किस्म का था और उसे आडंबर कतई पसंद नहीं था। वह इस बात के पक्ष में था कि जमाई को ससुराल वालों का शोषण नहीं करना चाहिए और दहेज या कीमती सामान नहीं लेना चाहिए। इसलिए जब मीडिया के कैमरों के साथ दोबारा उसके सामने गुलाबजामुन लाए गए तो उसने दृढतापूर्वक इंकार कर दिया। लोगों में निराशा  छा गई। लोग बात करने लगे कि गधा पार्टी की किरकिरी किए दे रहा है। कल अखबार में हेडलाइन न बन जाए वरना मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहेंगे। 
                    सुना है कि चैरासी लाख योनियों में गधे की योनी ठीक इंसान के पहले वाली होती है। यानी गधे का शरीर छोड़ कर वह तुरंत बाद में इंसान बनता है। साफ है कि जमाई बनने और गुलाबजामुन खाने के लिए वह थोड़ा-सा इंतजार कर सकता है। युवा-हृदय-सम्राट ने एक बार और कोशिश  की, गधे को पुचकारा, उसकी पीठ पर हाथ फेरा, कान में कहा कि हमारा राज आया तो तुझे पुरस्कार भी देंगे। किन्तु कोई असर नहीं हुआ तो उन्होंने गधे को एक लात जमा दी। गधे को गुस्सा आया, सोचा ये काम अब तक मुझे कर देना चाहिए था, उसने अपनी पिछली टांगे उठाई ही थी कि चारों तरफ से उस पर लात पड़ने लगी। गिरता पड़ता वह भाग लिया। लेकिन खुश  था कि मौका मिलने पर भी उसने गुलाबजामुन नहीं खाए। उसने पलट कर देखा कि लूट मची थी, गधे गुलाबजामुन खा रहे थे। 
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