मौन किसी एक पार्टी या
व्यक्ति की बपौती नहीं है. खुल्ला खेल लोकतंत्र का, जो भी मौन का विरोध करता हुआ
कुर्सी कब्ज़ा ले बाद में अधिकार पूर्वक मौन लगा सकता है. मौन राजनीति की लंगोट है.
जिसने बांध ली वो पहलवान. अब अखाडा उसका, दांव उसके, जीत उसकी. पांच साल उसका कोई
कुछ नहीं बिगाड़ सकता है. संविधान में मौन के खिलाफ कोई कानून नहीं है. आदमी कभी
भी, कहीं भी, कुछ भी करके लगा सकता है. मौन लगाने से आदर्श व्यवस्था बनी रहती है.
सबसे ज्यादा बलात्कार हमारे यहाँ होते हैं, चूँकि ज्यादातर मामलों में मौन-संस्कार
प्रभावी रहता है इसलिए व्यवस्था पर कोई आंच नहीं आती है. देवताओं तक ने किया और
मौन लगा गए. आज भी हर तरह के बलात्कार का कारण मौन है. पुलिस मौन धारण किये आदमी
पर खुलेआम लाठीचार्ज भी नहीं करती है, हालाँकि मुंह खुलाने के लिए उसे अपने विशेष
कक्ष में तरह तरह के आसान करवाना पड़ते हैं. अंडरवर्ल्ड और राजनीति में मौन का वैवाहिक
जीवन में करवाचौथ का है.
लेकिन हम यहाँ मौन पर
मौन नहीं लगाएंगे, बात करेंगे. मौन दरअसल एक बहरी चीज है. जो मौन होता है वो ऊपर
से मौन होता है. उसे अंदर इतना शोर चल रहा होता है कि मुक्त भाव से साँस ले तो
चीखें सुनाई पड़ने लगाती हैं. आप जानते ही हैं कि टीवी म्यूट कर देने से अंदर की
आवाजों पर असर नहीं होता है. मौन आदमी म्यूट टीवी होता है, वो नहीं होने की तरह
सिर्फ होता है. आपको संतोष होगा कि ‘हाँ, हमारे पास टीवी है.’ नहीं होता तो कितना खाली खाली लगता.
पिछली बार जब देश का
पदेन मुखिया मौन रहा तो रह किसी ने उनका मजाक बनाया. ईश्वर में मुंह में जुबां दी
है तो इसलिए कि मौन की खिलाफत की जा सके. अब पता चला कि मौन एक कला है. जब खुद
हाईकमान मौन हो तो उसके मौन में सुर ,मिलाना त्याग है. तो मौन एक तरह का त्याग भी
है.
राजनीति को ज्यादातर लोग
गंदा बोलते हैं. वे मौन को नहीं जानते. मौन एक शानदार राजनीति है. सारा देश भी
छाती कूट कूट कर सवाल उछलता रहे और आप मुस्कराते हुए दिल की बात करते रहिये. पांच
साल आराम से निकल जायेंगे. अगर कोई साध ले तो मौन हाईकमान से भी बड़ा होता है,
बशर्ते वह पुत्रमोह से पीड़ित ना हो. मौन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि विरोधी हमेशा
मौन का विरोध करते हैं, और मौनी अक्सर बच जाता है.
समाज बदल रहा है और सोच
भी बदल रही है. दुनिया देख रही है कि मौन एक योग है. आँखे बंद कीजिए, कानों में
अंगुली ठूंस लीजिए, और मुंह कास कर बंद कर लीजिए. अब लंबी सांसें भरिये और धीरे
धीरे छोडिये. ऐसा तब तक करिये जब तक कि सवालों का राम नाम सत्य नहीं हो जाये. कोई
पूछने पर आमादा ही हो तो साफ साफ कहिये कि ‘कोई इस्तीफा नहीं देगा, सब योग करेंगे’. आप भी योग करो, करते रहो, एक
दिन तनावमुक्त हो जाओगे.
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