बुधवार, 8 जुलाई 2015

व्यापम पर स्यापम

                       
  विरोधी दल वाले हाथी-हाथी कहते छाती कूट रहे हैं, जनता भी साफ देख रही थी कि वो हाथी है, मीडिया भी चिल्ला रहा है कि हाथी है लेकिन मंत्री के लिए वह चूहे का बच्चा। उनका कहना था कि आप चीजों को बड़ा करके बता रहे हैं। जिसे हाथी बताया जा रहा है दरअसल वो रस्सी मात्र है। सब जानते हैं कि मेडिकल का क्षेत्र प्रतिभा का क्षेत्र है, वहां उन्हें ही सफलता मिलती है जो प्रतिभाशाली हैं। साठ साल तक लोग ईंट-गारा, डामर-सड़क से अठन्नी-चवन्नी उठाते रहे अगर प्रतिभा होती तो अवसर उस समय भी उपलब्ध थे। उनकी ईर्ष्या साफ दिख रही है, वे विरोध नहीं कर रहे हैं छाती कूट रहे हैं। ‘हाय हम न हुए’, ..... सच बात ये है कि उन्हें पछतावा है। लेकिन जो परिवार पूजन करने को राजनीति कहते हैं वे कुछ नया करने का सोच भी कैसे सकते हैं। आज रस्सी को हाथी बता रहे हैं, कल को जब हाथी जैसा कुछ होगा तो क्या ‘डायनोसार’ चिल्लाएंगे। इससे कुछ नहीं होगा, हम सबको देश  के बारे में सोचना चाहिए। दे से उपर कुछ नहीं है, हमारी माता-बहेनों से उपर कुछ नहीं है। अभी यूपी-बिहार लूटना है, मंदिर बनाना है, गंगा को साफ करना है, उज्जैन में संत-महात्मा आने वाले हैं उन्हें नहलाना है, देव उठ जाएंगे तो लाड़ली लड़कियों के ब्याह कराने हैं। बहुत काम है सरकार के पास, विरोधियों की तरह खाली नहीं बैठे हैं मातृपूजन में मंझीरे बजाते। तो भाइयो और बहनो, प्रदे के विकास के लिए आइये सब मिल कर काम करें। 
                        दूसरे बोले, देखिए हम डरते नहीं किसी से। कानून सबसे उपर है, इसलिए सबसे उप्पर वाले टांड पर बंधा रख दिया है। पार्टी बहुत जिम्मेदारी से काम करती है। जिम्मेदारी हमारी पहचान है। अगर घोटाले या हत्याएं करेंगे तो जिम्मेदारी से करेंगे वरना नहीं करेंगे। जब हम किसी काण्ड की जिम्मेदारी नहीं ले रहे हैं तो इसका साफ मतलब है कि उसमें हमारा हाथ नहीं है। इससे बड़ा प्रमाण और क्या चाहिए किसी को ! जो आया है संसार में वो एक दिन जाएगा, इसके लिए ईश्वर का विधान जिम्मेदार है पार्टी का नहीं। 
                      पीले कपड़ों में फंसे एक और ‘जी’ बोले, - कोई घोटाला नहीं है न कोई षडयंत्र। व्यापम एक संस्कृति है। भरत को राजगद्दी दिलवाने के लिए राम को चौदह वर्ष वन में भटकने  को क्या कहेंगे आप। बस सेम टू सेम हुआ है। कई क्षेत्रों में राम राज्य लाने का वादा तो हमेशा  करते रहे हैं हमारे पुराने नेता भी। इसमें नया क्या है जिस पर इतना हल्ला मचाया जा रहा है। विरोधियों को संस्कृति का ज्ञान नहीं है और वे चाहते हैं कि लोग अधार्मिक हो जाए। लेकिन सरकार भागवत-भंडारे में लगी श्रद्धालु जनता को बरगलाने नहीं देगी। सरकार से भले न डरें पर विरोध करने वालों को यमराज  से अवश्य  डरना चाहिए। अगर परंपरा पर ध्यान दें तो पाएंगे कि सब उसके अनुरूप हो रहा है। कहा गया है समरथ को कोई दोष नहीं। जो समर्थ है उसके लिए सब सुलभ होता रहा है, यही आदर्श  परंपरा है। इसमें इतना चौंकने वाली कोई बात नहीं है। हमारा कहना है कि सब लोग शांत रहें, दिन में सिनेमा और शाम को सीरियल देखें। सुबह योग करें, लंबी सांस भरें और धीरे धीरे छोड़ें । दो-चार दिन में व्यापम गैस से मुक्ति मिल जाएगी। 
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