जिस वक्त
देश में आतंकी हमला हुआ और हमारे जवानों के
शहीद हो जाने से लोग आहत थे, तब उनका बयान आया कि “ भईया, मेरे खिलाफ मुकदमा इसलिए दर्ज करवाए
जा रहे हैं क्योंकि में देश के गरीबों, बेरोजगार युवाओं और किसानों के हक के लिए लड़ रहा हूँ .” किसी ने बीच में बोल कर याद दिलाया कि देश के हमारे सिपाही सीमा पर लड़
रहे हैं. आप क्या कहना चाहेंगे ?
वे बोले –“ आतंकी हमले हों या चुनाव सर पर हों,
जवाबदार लोगों को लडना ही पड़ता है. दोनों इज्जत के लिए जी जान लगा देते हैं .
लेकिन एक के साथ सरकार होती है, देश होता है और दूसरे के साथ पार्टी के लोग भी
नहीं होते हैं . आसानी से समझा जा सकता है कि बड़ी लड़ाई कौन लड़ रहा है. .... देखो
भईया, ऐसा है कि आपके प्रधानमंत्री जी करते तो बड़ी बड़ी बातें हैं लेकिन अभी तक
अच्छे दिन आये नहीं हैं . आरोप नहीं लगा रहा हूँ, पूरे यकीन के साथ कह रहा हूँ , मेरे तो नहीं आये हैं.
आपकी आप लोग जानें. लेकिन पार्टी कार्यालय में किसी ने मुझे बताया कि जनता के भी
अच्छे दिन अभी नहीं आये हैं. सच बात तो ये है कि हम भी नहीं चाहते हैं कि जब तक हम
सत्ता में नहीं आते किसी के अच्छे दिन आयें . मम्मी कहती है कि एक बार तुम कुर्सी
पर बैठ जाओ तो हमारे अच्छे दिन आ जायेंगे. रोज रोज के मुकदमों से वो भी बहुत तंग आ
चुकी हैं. मम्मी को मैं कहता हूँ कि देखो भईया मै पूरे प्रयास कर रहा हूँ. प्रयास
करना बड़ी बात है, हार-जीत तो जनता के हाथ में होती है.
एक
पत्रकार ने पूछा - “ कुंवर जी,
गरीबों, बेरोजगारों और किसानों के लिए आपके पास क्या योजनाएं हैं ? “
“देखो
ऐसा है, गरीबों को हम कहेंगे कि भईया गरीब लोगों, तुम सबसे पहले अपनी सोच बदलो. जो
लोग सोच नहीं बदलते वो आलरेडी गरीब होते हैं , गरीब बने रहते हैं. सोचने के लिए हम
उन्हें चाकलेट की सुविधा देंगे. आप जानते होंगे कि चाकलेट खाने से सोचने कि छमता
बढ़ जाती है. ... आप मुझे देखिये , आज मैं
जो भी हूँ चाकलेट के कारण हूँ. अगर हमारी सरकार बनी तो हम चाकलेट को टेक्स फ्री कर
देंगे. गरीबों, किसानो और बेरोजगारों को चाकलेट फ्री बाँटेंगे .... ”
“लेकिन सर,
कुछ सरकारें लेपटाप और स्मार्ट फोन फ्री बाँट रही हैं !!”
किसी ने सवाल दागा .
“ देखो
भईया, आप लोग भी अपनी सोच बदलो. लेपटोप और स्मार्ट फोन कोई खा सकता है क्या ? खाने
से सोच बदलती है. जिनको खाने के बारे में ठीक ठीक ज्ञान नहीं है वही राजनीति को भी
गन्दी कहते हैं. सब खाएंगे तो सोच बदलेगी, देश बदलेगा. जनता को हम खाना सिखाएंगे
और इसकी शुरुवात चाकलेट से करेंगे. हमारा देश साधू-संतों और फकीरों का देश है.
उनके पास खाने पहनने को नहीं होता है
लेकिन मस्त रहते हैं. ऐसा सोच के कारण होता है. एक बार पार्टी ने नारा दिया था कि
गरीबी-हटाओ, अब हमारा नारा होगा अपनी सोच-बदलो.
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