शनिवार, 23 नवंबर 2024

श्यामराव बारतोड़े का कचरा


 




           " यार तुम यह बताओ कि दुनिया में क्या मियां बीवी में झगड़ा नहीं होता है! और कौन बीवी झगड़ा होने पर अपने आदमी को कचरा घोषित कर देती है!!" श्यामराव  बारतोड़े  ने आते ही शिकायत छोड़ी ।
           " आपका झगड़ा हुआ क्या!? "
           " हुआ नहीं रे चल रहा है। तीन हफ्ते हो गए। दोनों तरफ से बम और मिसाइलें चल रहे हैं। उसका मायका अमेरिका है और हम पड़ोसियों पर निर्भर हैं। पड़ोसी कमबख्त मजा पूरा लेते हैं लेकिन मदद कुछ नहीं करते। तुम भी पड़ौसी हो !"
          " झगड़ा किस बात पर हुआ? "
          " यह तो पता नहीं, भूल भाल गए। लेकिन कोई ना कोई बात तो होगी ही झगड़े की। हमारे यहाँ तो शुरुआत की जरूरत रहती है बस, उसके बाद तो कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरा भारत नप जाता है। "
         " तो आप भी यार बारतोड़े ! दीवार से सिर क्यों मारते हो हमेशा। उस रास्ते पर जाना ही क्यों जिसमें आपके कचरे हो जाते हैं।... अभी आप कचरे का कुछ कह रहे थे। "
            " हाँ,  झगड़े में हम बाहर आ कर चिल्लाते है । इस्टाइल है हमारा । पिछले हप्ते उसने मुझे कचरा घोषित कर दिया। घोषणा इतनी जोर की थी कि आसपास के सारे लोगों ने सुन लिया। मोहल्ले भर के बच्चे अब मुझे कचरा-अंकल बोलने लग गए हैं । कल मिसेस ढाईघोड़े आई तो वह बार-बार मुझे कचरा भाई साहब कह रही थी। सुबह जब कचरा गाड़ी आती है तो लोग घरों से झांक कर देखते हैं मुझको । "
            " आप भी यार कचरा भाऊ, ...  जरा पॉजिटिव सोचा करो। कचरा कोई मामूली चीज नहीं होती है आजकल। बिजली बनाते हैं उससे। बचपन में आपने वह पाठ भी तो पढ़ा होगा स्कूल में, ' घूरे से सोना बनाओ '। घूरा मतलब कचरा ही तो होता है।"
             " देखो मुझे लग रहा है कि अब तुम मेरे मजे ले रहे हो! तुम पर गुजरती तो तुम्हें पता चलता। इस तरह किसी का मजाक नहीं उड़ाते। कल को तुम्हारे यहाँ भी मिसाइलें उड़ सकती हैं । "
            " छोटी मोटी बातों को नजरअंदाज कर दिया करो भाई बारतोड़े इसी में भलाई है। "
            " मेरे अकेले के नजअंदाज करने से कुछ थोड़ी होता है। कल किसीको फोन लगा कर कह रही थी कि अखबार में जाहिर सूचना छपवा दो कि श्यामराव  बारतोड़े कचरा आदमी है, इससे सावधान रहें। इस तरह तो सारा शहर मुझे कचरे के नाम से जाने लगेगा। "
           " अरे तुम टेंशन मत लो यार। दस दिनों में फेमस हो जाओगे, हाथ आगे बढ़ा के कहना मजे में – माय सेल्फ श्यामराव बारतोड़े कचरा नको । "
           " अरे भैया आज बाल बाल बचा में। वो सुबह कचरे की गाड़ी में डालने पर आमादा थी । वह तो अच्छा हुआ कि कचरे वाले ने पूछा कि गीले में डालूँ या सूखे में। यह कुछ समझ नहीं पाई और कचरे की गाड़ी आगे बढ़ गई। "
           " तुम तो ऐतिहासिक आदमी हो गए यार बारतोड़े । मैं तो समझता था कि भारत में अभी तक सिर्फ एक ही आदमी का कचरा हुआ है और अभी तक हो रहा है। जबकि उस बेचारे की शादी भी नहीं हुई है। "
            " उसकी छोड़ो मेरी बताओ कल फिर गाड़ी वाला आएगा और कहीं इन्होंने मुझे गीले या सूखे में डालना तय कर लिया तो!"
             " गीले में डलवाए तो तुम मना कर देना एकदम साफ-साफ। ठंड का मौसम है यार। सूखे में रहोगे तो सुखी रहोगे। "
             " मैं तुम्हारे पास इसलिए आया हूँ कि कल जब कचरे की गाड़ी आए तो तुम आ जाना यार। पड़ोसी भी उसकी तरफ है कहीं कचरे में डलवा ही ना दे।"
             " तुम भी यार आदमी हो या फटा पजामा!!"
             " तुम भी कैसे आदमी हो!! कुछ खाने-पीने को पूछो घर का। बाहर का खा खा के मेरा पेट कचरा हुआ जा रहा है। "
            " बारतोड़े इससे पहले कि तुम खुद अपना कचरा कर लो माफी मांग लो चुपचाप । माफी मांगने से कोई छोटा नहीं हो जाता। सॉरी ही बोल दो। सॉरी की कोई वैल्यू है क्या आजकल । लोग पीक की तरह कहीं भी थूक देते हैं। "
            " वह नहीं मानेगी पुतीन कहीं की। कोई बड़ा मध्यस्थ लगेगा तभी बात बनेगी। ... दिल्ली में कोई पहचान है क्या ?“

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मंगलवार, 12 नवंबर 2024

साहित्य समारोह में एक्सपोजर


 


 


           “देखिए मीडिया का मैं बड़ा रेस्पेक्ट करती हूँ ये आप जानते हैं । आप लोगों के आगे मैं कभी कुछ नहीं छुपाया। तो ये मान कर चलिए कि आज भी कुछ नहीं छुपाऊँगी। कुछ लोग आए थे मेरे पास। बहुत रिक्वेस्ट किया, कुछ डील वील भी की। यू नो हम आर्टिस्ट लोगों के कुछ कमिटमेंट होते हैं, कुछ एथिक्स होते हैं इसलिए हर जगह जाना पड़ता है। साहित्य का क्या मीनिंग है यह मुझे नहीं मालूम। हाँ साहित्य नाम का एक बॉयफ्रेंड जरुर था मेरा, लेकिन अब वह नहीं है ब्रेकअप हो गया। और मुझे तो उन्होंने फेस्टिवल में बुलाया है तो कुछ सोच समझ के ही बुलाया होगा । बोले कि वहाँ खूब एक्सपोजर मिलता है। आज के टाइम में एक्सपोजर कितना जरूरी है यह तो आप लोग जानते हैं। और फिर उन्होंने बताया कि तुम पहली उर्फी नहीं हो जो वहाँ शिरकत करोगी। उर्फी का मतलब क्या होता है यह तो आपको पता होगा। इस मतलब है मशहूर। वैसे तो मैं पहले से मशहूर हूँ । तो यह भी हो सकता है कि मेरे जाने से फेस्टिवल को एक्स्पोज़र मिले। मैं मानती हूँ कि मेरे जैसे परसन को थोड़ी चैरिटी भी करना चाहिए। मेरी वजह से कोई चर्चा में आता है, उसके टिकट विकट बिक जाते हैं, कुछ कमाई हो जाती है तो इसमें बुराई क्या है। इंसान दुनिया में आया है तो उसे कुछ भले काम भी करना चाहिए।“
" मैडम आपको पता है साहित्य का मतलब कविता कहानी वगैरह होता है? " एक मीडिया पर्सन ने पूछ लिया।
" ऐसा क्या!! अच्छा!... हाँ पता है मेरे को। बहुत से पोएट्स को मैं जानती हूँ । बहुत से तो मुझे देखकर ही कविता लिखते हैं। एक पोएट हैं उनके रूम में मेरी बहुत सारी फोटो लगी है। बहुत लिखते हैं वो। अब देखिएगा, जब लोग मुझे लाइव देखेंगे तो सोचिए कितना लिखेंगे।"
" आप स्कूल गई है क्या कभी? " दूसरे मीडिया मैन ने पूछा।
" हाँ ... जाती रहती हूँ मैं। प्रोग्राम की सिलसिले में जाना पड़ता है। अभी पिछले महीने ही गई थी। "
" किसने बुलाया था आपको? "
" ऑबवियसली स्कूल वालों ने बुलाया था... और किसने बुलाया!!" मैडम तुनकी।
" अच्छा प्रिंसिपल ने बुलाया होगा? "
" नहीं... लड़कों ने बुलवाया था। फेयरवेल पार्टी थी सीनियरों की। "
" मैडम आप साहित्य समारोह में जाने वाली हैं। वहाँ आपको कुछ बोलना भी पड़ेगा। क्या बोलेंगी आप वहाँ ? "
" डायलॉग दिए हैं उन्होंने। अभी प्रेक्टिस करना है मुझे। आपको तो पता है हमें डायलॉग ही बोलने पड़ते हैं। देखिए इंडस्ट्री में टिकना है तो चैलेंज लेना पड़ते हैं । एक आर्टिस्ट को अपना बेस्ट देने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। "
" मैडम क्या आपको पता है कि पिछले वर्षों में गुलजार साहब जावेद साहब जैसे बड़े गीतकार वहाँ शिरकत कर चुके हैं।"
" तभी मैं कहूँ कि मुझे क्यों बुलाया है इन्होंने !! दोनों कितना लंबा लंबा कुर्ता पहनते हैं।भूल सुधार तो सबको करना पड़ता है ना । “
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रविवार, 3 नवंबर 2024

अगले जनम कुत्ता बिल्ली बन लेंगे पर वो नहीं बनेंगे


 


 

                  देखो बाबूजी वैज्ञानिक ज्ञान तो गया तेल लेने अपने को इसकी किसी चीज से मतलब नहीं। अपन तो एक ही बात जानते हैं कि पुराने जमाने में जो था वो खरा सोना था। आज के जमाने में वैसा कुछ हो ही नहीं सकता है। और जो होता दिख रहा है वह भी यह समझ लो कि पुराने जमाने की नकल है। पहले के जमाने में विमान थे भगवान आते जाते थे । आकाश मार्ग में लगातार ट्रैफिक चलता रहता था। लोगों के हाथों में इतनी शक्ति होती थी कि जिसका कोई जवाब ही नहीं। लोग पर्वत भी उठा लेते थे एक हाथ से । साधु संत श्राप दे कर मार देते थे और मौका आए तो जिंदा भी कर देते थे। ये बात आज के साइंस में नहीं है। बिना रेडियो और बिजली के आकाशवाणी होती थी और सब लोग सुना करते थे। कोई अच्छा काम करे तो ऊपर से पुष्प वर्षा होती थी। क्या ऐसा हो सकता है आज के जमाने में!! नहीं ना?
              चमत्कारों का समय था जनाब चमत्कारों का। कोई महान आत्मा तथास्तु कह दे तो वह काम हो जाता था फट्ट से । आज आप नेताओं को लेकर भटकते रहो, पैसा फूँकते रहो तो भी काम नहीं होता। पहले थोड़ी बहुत तपस्या करो तो भगवान स्वयं प्रकट हो जाते थे और आपको कोई ना कोई वरदान दे जाते थे। वह तो अच्छा है कि आज लोगों को समझ में आ गया है और भगवान के भजन पूजन में लग गए हैं। बाबा लोग कहट हैं कि सच्ची श्रद्धा होगी तो सब की मनोकामना भी पूरी होगी। और अगर झूठे होंगे तो दंड मिलेगा। कथा सुनी होगी ना, सोने से भरी हुई नाव फूल-पत्र बन जाती है और अगर कोई दिल से प्रायश्चित कर ले तो फूल-पत्र से भरी नाव सोने से भर जाती है। इस बात को मानना पड़ेगा कि होता वही है जो प्रभु की इच्छा हो। सही है कि नहीं ?
                नौकरी वोकरी के पीछे मत भागो। सैलरी या वेतन बड़ा नहीं होता है, बड़ा होता है संतोष । यानी आत्मिक शांति और आनंद । एक अंटा लगाओ भाँग का और मस्त हो जाओ चकाचक । अपुन टन्न दुनिया जाए भाड़ में । टन्न आदमी यानी संतोषीआदमी सबसे सुखी ।  कुछ समझ में आ रहा है तुमको कि नहीं। लोग मक्खी मच्छरों की तरह टपक रहे हैं टपाटप टपाटप। लेकिन मान के चलो कि ठसाठस जनसंख्या ताकत है देश की। कोई लड़ेगा तो झोंक देंगे आँख मूँद के । जहाँ एक की जरूरत होगी वहाँ पाँच लगा देंगे। समझ क्या रखा है दुनिया ने हमको। हम हैं तभी न हमारा हजारों साल का सिस्टम है । जो सिस्टम का नहीं वह किसी काम का नहीं। जो एक नहीं होगा वह वन पीस भी नहीं रहेगा। और जो हमारी बात नहीं मानेगा उसे तो हम ही वन पीस नहीं रहने देंगे, यह बात ध्यान रखना। इस समय समाज हार्डकोर स्टेज में है। सबको मिलकर काम करना है जरूरत पड़े तो। विपत्ति के समय कोई छोटा नहीं कोई बड़ा नहीं। कोई सवर्ण नहीं कोई अछूत नहीं। सब एक है। यह जागरण का समय है। जागो जागो सब लोग जागो। सोते हुए लोगों जागो, और जगे हुए लोगों तुम और जागो। यह जागरण काल है। हम ना सोएँगे ना सोने देंगे।
             कुछ सेकेंड के लिए उन्होंने मुंह बंद किया तो कहने का मौका मिल गया - "अच्छे विचार हैं आपके, क्या आप पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं? "
               "क्यों नहीं करेंगे !! ... पुस्तकों में कहा गया है कि आत्मा अमर है और वह शरीर बदलती है। अर्थात आत्मा एक शरीर से दूसरे शरीर में चली जाती है।"
            "एक शरीर से दूसरे शरीर में जाने का क्या मतलब है? "
            "कर्म के हिसाब से आदमी को शरीर मिलता है। कर्म अच्छे होंगे तो अच्छा शरीर मिलेगा, कर्म अच्छे नहीं होंगे तो नहीं मिलेगा। मतलब आदमी का कर्म खराब है तो वह पशु, पक्षी, कीट-पतंगा कुछ भी बन सकता है।" वे बोले।
            "मतलब मरने वाले को मानव शरीर भी मिल सकता है?"
            "क्यों नहीं मिल सकता। मनुष्य एक शरीर छोड़ता है दूसरा शरीर उसे मानव का भी मिल सकता है। "
             "कौन से मानव का मिलेगा? "
             "कोई से भी मानव का मिल सकता है।"
             "यानी दूसरे जन्म में किसी हिंदू को मुसलमान या ईसाई या सिख का शरीर मिल सकता है?"
             " वैसे तो नहीं हो सकता लेकिन... हो भी सकता है।"
             "आज आप 'इस' धर्म में है कल अगर मरने के बाद 'उस' धर्म में पैदा हो गए तो क्या करेंगे !?"
            " हम 'उस' धर्म में क्यों पैदा होंगे !! कोई घर का राज है क्या कि किसी को कहीं भी पैदा कर दो !!"
           "मान लीजिए ईश्वर ने आपके कर्म के हिसाब से आपको 'उस' धर्म में पैदा कर ही दिया तो आपको इस धर्म का विरोध करना पड़ेगा !"
          " !! एँ !! ... “

          “अगले जनम में धरम बदला तो क्या करोगे ?”

          “ !! कुत्ता बिल्ली बन जाएँगे पर वो नहीं बनेंगे जो तुम बता रहे हो  ... चलो निकाल लो तो यहाँ से । जाने काँ-काँ से आ जाते हैं ! “

 

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