रविवार, 3 नवंबर 2024

अगले जनम कुत्ता बिल्ली बन लेंगे पर वो नहीं बनेंगे


 


 

                  देखो बाबूजी वैज्ञानिक ज्ञान तो गया तेल लेने अपने को इसकी किसी चीज से मतलब नहीं। अपन तो एक ही बात जानते हैं कि पुराने जमाने में जो था वो खरा सोना था। आज के जमाने में वैसा कुछ हो ही नहीं सकता है। और जो होता दिख रहा है वह भी यह समझ लो कि पुराने जमाने की नकल है। पहले के जमाने में विमान थे भगवान आते जाते थे । आकाश मार्ग में लगातार ट्रैफिक चलता रहता था। लोगों के हाथों में इतनी शक्ति होती थी कि जिसका कोई जवाब ही नहीं। लोग पर्वत भी उठा लेते थे एक हाथ से । साधु संत श्राप दे कर मार देते थे और मौका आए तो जिंदा भी कर देते थे। ये बात आज के साइंस में नहीं है। बिना रेडियो और बिजली के आकाशवाणी होती थी और सब लोग सुना करते थे। कोई अच्छा काम करे तो ऊपर से पुष्प वर्षा होती थी। क्या ऐसा हो सकता है आज के जमाने में!! नहीं ना?
              चमत्कारों का समय था जनाब चमत्कारों का। कोई महान आत्मा तथास्तु कह दे तो वह काम हो जाता था फट्ट से । आज आप नेताओं को लेकर भटकते रहो, पैसा फूँकते रहो तो भी काम नहीं होता। पहले थोड़ी बहुत तपस्या करो तो भगवान स्वयं प्रकट हो जाते थे और आपको कोई ना कोई वरदान दे जाते थे। वह तो अच्छा है कि आज लोगों को समझ में आ गया है और भगवान के भजन पूजन में लग गए हैं। बाबा लोग कहट हैं कि सच्ची श्रद्धा होगी तो सब की मनोकामना भी पूरी होगी। और अगर झूठे होंगे तो दंड मिलेगा। कथा सुनी होगी ना, सोने से भरी हुई नाव फूल-पत्र बन जाती है और अगर कोई दिल से प्रायश्चित कर ले तो फूल-पत्र से भरी नाव सोने से भर जाती है। इस बात को मानना पड़ेगा कि होता वही है जो प्रभु की इच्छा हो। सही है कि नहीं ?
                नौकरी वोकरी के पीछे मत भागो। सैलरी या वेतन बड़ा नहीं होता है, बड़ा होता है संतोष । यानी आत्मिक शांति और आनंद । एक अंटा लगाओ भाँग का और मस्त हो जाओ चकाचक । अपुन टन्न दुनिया जाए भाड़ में । टन्न आदमी यानी संतोषीआदमी सबसे सुखी ।  कुछ समझ में आ रहा है तुमको कि नहीं। लोग मक्खी मच्छरों की तरह टपक रहे हैं टपाटप टपाटप। लेकिन मान के चलो कि ठसाठस जनसंख्या ताकत है देश की। कोई लड़ेगा तो झोंक देंगे आँख मूँद के । जहाँ एक की जरूरत होगी वहाँ पाँच लगा देंगे। समझ क्या रखा है दुनिया ने हमको। हम हैं तभी न हमारा हजारों साल का सिस्टम है । जो सिस्टम का नहीं वह किसी काम का नहीं। जो एक नहीं होगा वह वन पीस भी नहीं रहेगा। और जो हमारी बात नहीं मानेगा उसे तो हम ही वन पीस नहीं रहने देंगे, यह बात ध्यान रखना। इस समय समाज हार्डकोर स्टेज में है। सबको मिलकर काम करना है जरूरत पड़े तो। विपत्ति के समय कोई छोटा नहीं कोई बड़ा नहीं। कोई सवर्ण नहीं कोई अछूत नहीं। सब एक है। यह जागरण का समय है। जागो जागो सब लोग जागो। सोते हुए लोगों जागो, और जगे हुए लोगों तुम और जागो। यह जागरण काल है। हम ना सोएँगे ना सोने देंगे।
             कुछ सेकेंड के लिए उन्होंने मुंह बंद किया तो कहने का मौका मिल गया - "अच्छे विचार हैं आपके, क्या आप पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं? "
               "क्यों नहीं करेंगे !! ... पुस्तकों में कहा गया है कि आत्मा अमर है और वह शरीर बदलती है। अर्थात आत्मा एक शरीर से दूसरे शरीर में चली जाती है।"
            "एक शरीर से दूसरे शरीर में जाने का क्या मतलब है? "
            "कर्म के हिसाब से आदमी को शरीर मिलता है। कर्म अच्छे होंगे तो अच्छा शरीर मिलेगा, कर्म अच्छे नहीं होंगे तो नहीं मिलेगा। मतलब आदमी का कर्म खराब है तो वह पशु, पक्षी, कीट-पतंगा कुछ भी बन सकता है।" वे बोले।
            "मतलब मरने वाले को मानव शरीर भी मिल सकता है?"
            "क्यों नहीं मिल सकता। मनुष्य एक शरीर छोड़ता है दूसरा शरीर उसे मानव का भी मिल सकता है। "
             "कौन से मानव का मिलेगा? "
             "कोई से भी मानव का मिल सकता है।"
             "यानी दूसरे जन्म में किसी हिंदू को मुसलमान या ईसाई या सिख का शरीर मिल सकता है?"
             " वैसे तो नहीं हो सकता लेकिन... हो भी सकता है।"
             "आज आप 'इस' धर्म में है कल अगर मरने के बाद 'उस' धर्म में पैदा हो गए तो क्या करेंगे !?"
            " हम 'उस' धर्म में क्यों पैदा होंगे !! कोई घर का राज है क्या कि किसी को कहीं भी पैदा कर दो !!"
           "मान लीजिए ईश्वर ने आपके कर्म के हिसाब से आपको 'उस' धर्म में पैदा कर ही दिया तो आपको इस धर्म का विरोध करना पड़ेगा !"
          " !! एँ !! ... “

          “अगले जनम में धरम बदला तो क्या करोगे ?”

          “ !! कुत्ता बिल्ली बन जाएँगे पर वो नहीं बनेंगे जो तुम बता रहे हो  ... चलो निकाल लो तो यहाँ से । जाने काँ-काँ से आ जाते हैं ! “

 

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