" यार तुम यह बताओ कि दुनिया में क्या मियां बीवी में झगड़ा नहीं होता है!
और कौन बीवी झगड़ा होने पर अपने आदमी को कचरा घोषित कर देती है!!" श्यामराव बारतोड़े ने आते ही शिकायत छोड़ी ।
" आपका झगड़ा हुआ क्या!? "
" हुआ नहीं रे चल रहा है। तीन हफ्ते हो गए। दोनों तरफ से बम और मिसाइलें चल
रहे हैं। उसका मायका अमेरिका है और हम पड़ोसियों पर निर्भर हैं। पड़ोसी कमबख्त मजा
पूरा लेते हैं लेकिन मदद कुछ नहीं करते। तुम भी पड़ौसी हो !"
" झगड़ा किस बात पर हुआ? "
" यह तो पता नहीं, भूल भाल गए। लेकिन कोई ना कोई बात तो होगी ही झगड़े की। हमारे
यहाँ तो शुरुआत की जरूरत रहती है बस, उसके बाद तो कश्मीर से
कन्याकुमारी तक पूरा भारत नप जाता है। "
" तो आप भी यार बारतोड़े ! दीवार से सिर क्यों मारते हो हमेशा। उस रास्ते पर
जाना ही क्यों जिसमें आपके कचरे हो जाते हैं।... अभी आप कचरे का कुछ कह रहे थे।
"
" हाँ, झगड़े में हम बाहर आ कर चिल्लाते
है । इस्टाइल है हमारा । पिछले हप्ते उसने मुझे कचरा घोषित कर दिया। घोषणा इतनी
जोर की थी कि आसपास के सारे लोगों ने सुन लिया। मोहल्ले भर के बच्चे अब मुझे कचरा-अंकल
बोलने लग गए हैं । कल मिसेस ढाईघोड़े आई तो वह बार-बार मुझे कचरा भाई साहब कह रही
थी। सुबह जब कचरा गाड़ी आती है तो लोग घरों से झांक कर देखते हैं मुझको । "
" आप भी यार कचरा
भाऊ, ... जरा पॉजिटिव सोचा करो। कचरा कोई
मामूली चीज नहीं होती है आजकल। बिजली बनाते हैं उससे। बचपन में आपने वह पाठ भी तो
पढ़ा होगा स्कूल में, ' घूरे से सोना बनाओ '। घूरा मतलब कचरा ही तो होता है।"
" देखो मुझे लग रहा है कि अब तुम मेरे मजे ले रहे हो! तुम पर गुजरती तो
तुम्हें पता चलता। इस तरह किसी का मजाक नहीं उड़ाते। कल को तुम्हारे यहाँ भी
मिसाइलें उड़ सकती हैं । "
" छोटी मोटी बातों को नजरअंदाज कर दिया करो भाई बारतोड़े इसी में भलाई है।
"
" मेरे अकेले के नजअंदाज करने से कुछ थोड़ी होता है। कल किसीको फोन लगा कर
कह रही थी कि अखबार में जाहिर सूचना छपवा दो कि श्यामराव बारतोड़े कचरा आदमी है, इससे सावधान रहें। इस तरह
तो सारा शहर मुझे कचरे के नाम से जाने लगेगा। "
" अरे तुम टेंशन मत लो यार। दस दिनों में फेमस हो जाओगे, हाथ आगे बढ़ा के
कहना मजे में – माय सेल्फ श्यामराव बारतोड़े कचरा नको । "
" अरे भैया आज बाल बाल बचा में। वो सुबह कचरे की गाड़ी में डालने पर आमादा
थी । वह तो अच्छा हुआ कि कचरे वाले ने पूछा कि गीले में डालूँ या सूखे में। यह कुछ
समझ नहीं पाई और कचरे की गाड़ी आगे बढ़ गई। "
" तुम तो ऐतिहासिक आदमी हो गए यार बारतोड़े । मैं तो समझता था कि भारत में
अभी तक सिर्फ एक ही आदमी का कचरा हुआ है और अभी तक हो रहा है। जबकि उस बेचारे की
शादी भी नहीं हुई है। "
" उसकी छोड़ो मेरी बताओ कल फिर गाड़ी वाला आएगा और कहीं इन्होंने मुझे गीले
या सूखे में डालना तय कर लिया तो!"
" गीले में डलवाए तो तुम मना कर देना एकदम साफ-साफ। ठंड का मौसम है यार।
सूखे में रहोगे तो सुखी रहोगे। "
" मैं तुम्हारे पास इसलिए आया हूँ कि कल जब कचरे की गाड़ी आए तो तुम आ जाना
यार। पड़ोसी भी उसकी तरफ है कहीं कचरे में डलवा ही ना दे।"
" तुम भी यार आदमी हो या फटा पजामा!!"
" तुम भी कैसे आदमी हो!! कुछ खाने-पीने को पूछो घर का। बाहर का खा खा के
मेरा पेट कचरा हुआ जा रहा है। "
" बारतोड़े इससे पहले कि तुम खुद अपना कचरा कर लो माफी मांग लो चुपचाप । माफी
मांगने से कोई छोटा नहीं हो जाता। सॉरी ही बोल दो। सॉरी की कोई वैल्यू है क्या
आजकल । लोग पीक की तरह कहीं भी थूक देते हैं। "
" वह नहीं मानेगी
पुतीन कहीं की। कोई बड़ा मध्यस्थ लगेगा तभी बात बनेगी। ... दिल्ली में कोई पहचान
है क्या ?“
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