मंगलवार, 24 दिसंबर 2024

पाप का समृद्ध संसार




 



                धक्कों से मैं भी परेशान हूँ  । मेरी यह परेशानी नयी नहीं है। प्रायः सर्दी का मौसम शुरू होते ही यह खतरा मंडराने लगता है। घर वाले धक्का मार मार के मुझे बाथरूम में ठूँस देते हैं। बाल्टी में भरा ठंडा पानी ऐसा चेंटता है ना कि रूह संसद की तरह हिल जाती है। मन बहिर्गमन के लिए हूम हूम करता है पर दरवाजे के बाहर खड़ी सभापति ‘प्लीज बैठ जाओ और नहा लो’ की रट लगाये रहती है ।  मैं तो कहता हूँ नए साल में एक नया क़ानून यह भी बनना चाहिए कि सर्दी के मौसम में किसीको जबरन नहलाना शारीरिक शोषण और धक्का मारना शारीरिक प्रताड़ना माना जाएगा । अबकी चार सौ पार हो गए तो देख लेना सबसे स्नान पीड़ित यही मांग उठाएंगे।


                हमारे देश में नहाना एक परम्परा है और जरूरत भी । नहाने के लिए श्रद्धालु कुम्भ तक में पहुँच जाते हैं । मानते हैं कि पाप धूल गए, यह परंपरा है । सुलझी हुई आत्मा वाले कुछ लोग अपने बूढ़े माँ- बाप को कुम्भ में खपाने आते हैं और हाथोंहाथ पाप धो कर लौट जाते हैं, यह जरूरत है । किसी ने कहा है कि 'राम तेरी गंगा मैली हो गई पापियों के पाप धोते धोते '। बात अपने आप में साफ है कि जितने भी नहा रहे हैं उसका कारण मात्र शारीरिक सफाई नहीं है। संसार भर ने देखा कि करोड़ों खर्च हो गए, महीनों कोशिश की लेकिन गंगा साफ नहीं हुईं। आदमी का पाप गंगा में गहराई तक पैठा हुआ है, ऊपर होता तो बुलडोजर से धराशायी  करवाया जा सकता था । सुना है गंगा ने सक्षम अधिकारी से कहा कि मुझे साफ करने की अपेक्षा लोगों को पाप करने से रोको, मैं अपने आप साफ हो जाऊँगी। सक्षम ने अक्षम होते हुए 'सॉरी ' कहा और फिर पलट कर नहीं देखा। ज्यादातर लोग भूल जाते हैं, जिम्मेदार याद नहीं करना चाहते हैं, गंगा नाक दबाये बहती रहती है । किसीने सफाई अभियान को धक्का नहीं मारा लेकिन आइसीयू से बाहर निकल ही नहीं रहा है। पता नहीं जिंदा भी है या मर गया । चलो अपन तो कुम्भ में देखते हैं, पता नहीं कोई सफाई अभियान को मेले में छोड़ गया हो ।


                  इधर आम आदमी, जिसके पास खाने पहनने को नहीं है, जो पाँच किलो मुफ्त राशन के भरोसे घर में पड़ा है, जिसके पास सही गलत कोई रोजगार नहीं है, सडक पर निकलता है तो गुंडों से डरता है, वर्दी वाला दिख जाए तो क़ानून के डर से काँपता है, प्रभु दर्शन को जाए तो अपवित्रता के डर दूर खड़ा रहता है ! वो पाप करने कहाँ जाएगा कोई गुंजाइश है ?! पाप करने के लिए भी सामर्थ्य होना चाहिए। छोटा मोटा लल्लू पंजू पाप के समृद्ध संसार में फिट नहीं बैठता है । वो कहते हैं ना हाथ पैर में दम नहीं और हम किसी से काम नहीं । ऐसा आदमी नहा भी ले तो समझो पाप ही करेगा। उसके लिए तो पीने को पानी मिल जाए तो बहुत है। गरीब का दिल बड़ा होता है, पीने भर को मुफ्त पानी मिल जाए तो सरकार बनवा देता है दन्न से ।

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