जी हाँ आप ठीक समझ रहे हैं,
अपना देश सिनेमा प्रधान है और बच्चा बच्चा लव-लंगूर । बजट छोटा हो
या कि बड़ा, हीरो- हीरोइन लवलुहान होने का ही पैसा लेते हैं।
सिनेमा के हिसाब से देखें तो देश में लव के आलावा कुछ होता ही नहीं है। किताबें
उठाएंगे तो ज्यादातर में लव रिसता मिलेगा। धार्मिक किताबों में तो इतना लव है कि
पढ़ने वाला प्रेमी हो पड़े। लेकिन ट्विस्ट ये है कि आप लव पढ़ सकते हैं, परदे पर देख सकते हैं लेकिन कर नहीं सकते हैं। किसीको भी करो, लव करते ही
बवाल मच जाता है। मान्यता है कि भक्त टाइप आदमी लव नहीं करते हैं। और सच्चा भक्त
वह होता है जो दूसरे को भी लव नहीं करने दे। लव करने से समाज कमजोर होता है और
अपने लक्ष्य से भटक जाता है।
‘वे’ बहुत बड़े वाले ‘वे’ हैं । आज ‘वे’
लव के वायरस से बचाव की समझाइश दें रहे हैं -- "देखिये नौजवानों ये समय बहुत
चुनौती भरा है। नई पीढ़ी को पता होना चाहिए कि विकास पथ पर दौड़ रहे समाज के लिए
लव सबसे बड़ी बाधा है। लव के कारण देश और धरम खतरे में है। आप जानते
ही हो लव अंधा होता है, वह विवेक हर लेता है। लोग धरम देखते
हैं न जाति, न छोटा बड़ा देखते हैं न ऊँच नीच बस लव करने लगते
हैं। लव से हजारों साल से चला आ रहा सिस्टम खराब हो रहा है। इसलिए कसम खाओ कि खुद
लव नहीं करोगे और किसीको करने भी नहीं दोगे। इस पवित्र भूमि पर कोई लव नहीं करेगा।
और तो और अपने भगवान, खुदा, गॉड जो भी
हैं उनको भी लव नहीं करना है। इनकी पूजा की जाती है, इनसे
प्रार्थना की जाती है, लव नहीं किया जाता। पूजा करने से
माहौल बनता है और लव करने से बिगड़ता है। हमें माहौल होना बस। माहौल बनने से ही बात
बनती है, सरकार भी बनती है। कुर्सी का खेल बच्चों का खेल
नहीं है। औघड़ श्मशान जगाता है तब उसे शक्ति मिलती है। वह लव करता तो एक बीवी और
चार बच्चों के सिवा और क्या मिलता उसे! इसलिए लव नहीं करना। यह हिदायत है गांठ
बांध लो और माहौल पर फोकस करो। माहौल के लिए कुछ भी करना पड़े वह करो सिवाय लव के।
"
प्रधानजी बड़ी जिम्मेदारी के साथ
मौजूद हैं और पाठ पढ़ा रहे हैं। लव को समाज से पूरी तरह खत्म करने का बीड़ा उन्होंने
उठाया है। वे मानते हैं कि समाज के पतन का कारण लव है। एक बार देश लवहीन हो जाए तो
उनकी टीम चैन की सांस ले। उनके सत्ता में आने के बाद भी लोग अगर लवलीन हैं तो शरम
की बात है। वे बड़ा लक्ष्य ले कर चल रहे हैं और उन्हें सफलता भी मिल रही है। किसी
शायर ने कहा है "मैं अकेला ही चला था जानिब ए मंजिल,
लोग जुड़ते गए कारवाँ बनता गया "।
इधर आई लव फलाँ से लेकर आई लव ढ़िकाँ तक के ढ़ोल
बज रहे हैं। अरे भई सब अपने अपने वाले को लव करें तो किसी को क्या दिक्कत हो सकती
है! कल को कोई आकर आपका दरवाजा पीटने लगे कि तुम अपने बाप से लव करते हो यह बंद
करो। तुम अपने बाप को इसलिए लव नहीं कर सकते क्योंकि
मैं अपने बाप को लव करता हूँ। एक मोहल्ले में दो बाप लवर नहीं हो सकते क्या!! तो
मुद्दा लव का है लेकिन लोग नफरत और गुस्से से भरे हुए हैं। पुलिस तो लव के नाम से
वैसे ही भड़कती है। इसलिए मौका मिलते ही वह लव लफंगों को अच्छी तरह बजा रही है।
असलियत जानने वाले मानते हैं की यहां लव का मतलब लव नहीं पॉलिटिक्स है। ऊपर वाला
भी जानता है की लव-अव कुछ नहीं है, बस माहौल बिगाड़ा जा रहा
है। दावे किए जा रहे हैं कि तेरे लव से मेरा लव बड़ा है। लव नहीं हुआ टीवीतोड़
किरकिट मैच हो गया! हम करेंगे पर तुझे नहीं करने देंगे चाहे सब लवलुहान क्यों न हो
जाएं ।
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