मंगलवार, 31 मार्च 2020

कर्फ़्यू में गधे



गधे भी हमारी तरह ईश्वर की देन हैं और दुनिया में सब जगह पाए जाते हैं । लेकिन हिंदुस्तानी गदहों की बात सबसे अलग है । जो गधे चौपाए हैं वो नहीं जानते कि वे गधे हैं, और जो दो पाए हैं वो नहीं मानते कि वे गदहे हैं । किन्तु आधार कार्ड बनने के बाद से सरकार जानती है कि देश में कितने प्रतिशत गदहे हैं । पिछले दिनों जनता कर्फ़्यू लगाया गया । जनता घरों में थी और तमाम गदहे सड़क पर घूम रहे थे । सारे जोश में थे, कुछ उछ्ल रहे थे कुछ रेंक रहे थे । कोई बंद देखने निकाला था तो कोई समोसा खाने । गदहों को लग रहा था कि जंगल के राजा वही हैं । भियाजी के पट्ठे हैं, रेंक देंगे तो सरकार हिल जाएगी ससुरी । कई गदहे नारे रेंक भी रहे थे, जैसे  “जब तक सूरज चाँद रहेगा, गदहों का राज रहेगा ।“ माहौल में एक खास किस्म की गरमी थी जिसे गदहा गरमी कहा गया है ।
एक ने दूसरे से पूछा – तुम कहाँ रहते हो ?
“दुबई में ।“ वह बोला ।
“टहलने के लिए यहाँ आ तक गए !?!”
“आते जाते रहते हैं । कहना मत किसी से । तुम्हें बता दिया है, भाई हो ना इसलिए ।“ 
“यहाँ तो ऊटपटाँग हरकतें हो रही हैं । देखिए ना, बार बार हाथ धोने को कहते हैं ! इन्हें कौन बताए कि गदहे लीद करने के बाद भी कभी ठीक से हाथ नहीं धोते हैं । हफ्ता पंद्रह दिन से पहले नहाते नहीं हैं तो हाथ क्या धोएँगे, वो भी दिन में दस बार !!”
“सब बकवास है । ऊपर वाले ने गदहों की जितनी लिखी है, उतनी ही मिलेगी ।  हाथ धोने से अगर जिंदगी मिलती तो हमारे पुरखे कभी से नहाना सीख गए होते ।“
पुलिस ने गदहों को रोका तो फिर नारा रेंक दिया – जो हमसे टकराएगा, दो लत्तियाँ खाएगा । उन्होने लत्तियाँ उछाल उछाल कर अपना परिचय दिया । पुलिस विवश थी, क्या करती, बाद में उसे मजबूरन अपना परिचय देना पड़ा । गदहे सूजे हुए पुट्ठे ले कर घर लौटे । एक गदहे ने फोन लगा कर अपने नेता को बताया कि भियाजी, हम राजबाड़ा जा रहे थे तो पुलिस ने हमको पीटा डंडे से, दोनों साइड सुजा दी । हमने आपका नाम बताया तो और दो डंडे और पड़ गए । आप आ जाओ जल्दी से बेसबॉल बेट ले के ।
उधर से आवाज आई – “ अबे गदहों, तुम लोग गए क्यों राजबाड़ा  !!”
“भंडारे बंद हैं भैया । इसलिए करोना-समोसा खाने गए थे ।“ गदहे ने भंडारे की याद दिलाई ।
“किसने कहा कि करोना खाने की चीज है !?
“भियाजी बड़े लोग रूपिया- पईसा, प्लाट, जमीन, मकान, दुकान सब खा जाते हैं तो हमने सोचा चलो अपन करोना खा के देखते हैं । “ 
“गदहों कब अकल आएगी तुम लोगों को । करोना एक बीमारी है और गदहों को भी हो सकती है । बाहर निकलने से उसके किटाणु चिपक जाते हैं बदन से । पुलिस ने वही किटाणु मारे हैं डंडों से । बच गए तुम लोग वरना अगले चुनाव में तुम्हारे नाम की भी बोगस वोटिंग करवाना पड़ती । अब चुपचाप घर जाओ और सिंकाई करवाओ ।“
“भिया जी, झंडू बाम का इंतजाम करवा देते .... ।“
“ गदहों को झंडू बाम कौन लगता बे ! अपने को मलाइका समझते हो क्या ! “
जो सरकार की नहीं सुनते, प्रशासन कि नहीं सुनते और पुलिस जबान से समझाए तो नहीं समझते लेकिन डांडा चलने पर ही समझते हैं  ऐसे गदहे हमारे शहर की पहचान हैं । अबकी बार आपको कहीं दिखें तो उनके साथ सेल्फी जरूर ले लेना ।
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