तीनों
पुराने यार हैं, जाहिर है उम्र हो चुकी है . सब खर्च हो गया है सिर्फ यारी बची है
. बैंक के डिपाजिट पर एक परसेंट ज्यादा लेते हुए इन्हें दस बारह साल हो चुके हैं .
पोप सिंग और बाघमारे भाऊ के कान अब काम के नहीं रहे, बजाज स्कूटर की तरह आंगन में
बस खड़े दिखाई देते हैं . अख़बार पढ़ते समय अगर चश्मा टिकाने के काम नहीं आते तो हो
सकता है कोई उन्हें कान-दान करने का सुझाव दे देता . दोनों बहरे हैं लेकिन दिल है
कि मानता नहीं . दोनों को लगता है कि उन्हें आवाज आती है बराबर . कई बार तो नेताओं
के कटाउट से भी उन्हें ‘भाइयो और बहनों’ सुनाई दे जाता है . ऐसे में कौन अपने को
बहरा मानेगा . सुनने की कमी कमी न हुई इज्जत हो गई गोरी की जिसे ढांकना जरुरी है .
दोनों एक दूसरे से अपने अपने विषय पर बोलते रहते हैं और सोचते हैं कि बात कर रहे
हैं . जैसे अक्सर टीवी पर बहस में होता है, सब बोलते हैं, सुनता कोई नहीं और हरेक
को लगता है कि उसने अपनी बात वजनदार तरीके से कही .
तीसरे
अपने कामरेड हरसू भाई हैं, एक ज़माने के ट्रेड यूनियन लीडर यानी जनता चौक के धुरंधर
भाषणबाज. उनके बारे में कहते हैं कि बोलते थे तो रोकना मुश्किल हो जाता था . लाल
झंडा देख कर उनकी ‘ट्रेन’ रुकने के बजाए और तेज दौड़ने लगती थी . उनके साथ ट्रेजेडी
यह कि गला अपने हिस्से का सारा कुछ बोल-बाल कर अब फ्यूज बल्ब की तरह गरदन पर फिजिकली
मौजूद भर है . वे बोल नहीं पाते सुनते सब हैं . यही कारण है कि उनमें दृष्टाभाव
प्रबल हो गया है . अपने को उन्होंने भोले भगवान मान लिया है . रोज भांग का अंटा लगाते
हैं, इनदिनों कुछ ज्यादा ही, जबसे नयी
सरकार आई है . इसका लाभ यह है कि सुनते हैं समझते भी हैं लेकिन जवाबी कार्रवाई नहीं
हो पाती है, बस नीलकंठी हो कर रह जाते हैं
. दोनों बहरों के बीच वे स्लीपिंग पार्टनर की तरह हैं, मतलब करते कुछ नहीं लेकिन
शामिल बराबर हैं . आज भी रोज की तरह तीनों मिल रहे हैं गार्डन में . बैठते ऐसी जगह
हैं जहाँ कोई चौथा न हो .
पोप
सिंग ने कहा – रूस ने भारी करी यार !! किसी की सुन ही नहीं रहा !
“सही
कर रहे हो, महंगाई का तो कुछ पूछो ही मत .
पता है अभी दूध के भाव भी बढ़ गए !” भाऊ ने जवाब दिया .
“कोई
माने या नहीं माने इसमें अमेरिका की खुरापात लगती है .” पोप सिंग ने सर हिलाते हुए
कहा .
“हाँ,
वो तो है, पेट्रोल का भाव रोज बढ़ रहा है और गैस का भी . गरीब आदमी की मुसीबत है .”
“वोई
तो ! यूक्रेन ने बैठे बिठाये मुसीबत ले ली . दूसरों के कहने में आ गया बेचारा .”
“बेंगन
सस्ते हैं हरे वाले . आज वही लाया हूँ मंडी
से . मंडी में थोड़ा हिसाब से मिल जाता है .”
“डर
लगता है यार, सुना है परमाणु की धमकी दे रहा है रूस ! कहीं विश्वयुद्ध न हो जाये .”
“इसीलिए
आज भरता बनवा रहा हूँ . रोज रोज बेंगन की भाजी खाना किसको अच्छा लगता है .”
हरसू
शांत बैठा कॉकटेल का मजा ले रहा है . यह उसका रोज का काम है . शुरू शुरू में उसने
कुछ सुधार की कोशिश की थी लेकिन बाद में वही किया जो वाचाल सरकार के सामने गूंगा
विपक्ष करता है . कान के आरपार हरसू का बिना टोल वाला फोरलेन हाइवे है. साउंड-ट्रेफिक
बिना रूकावट चलता रहता है .
“खबर
है कि सैकड़ों मर गए हैं .” पोप सिंग कुछ याद करते हुए कहा.
भाऊ
ने सहमति जताई – तेल दो सौ से उप्पर है . मैं तो भरते में तेल नहीं डलवाता हूँ . थोडा
लस्सन प्याज हो तो वैसे ही अच्छा लगता है .
“लगता
है युद्ध जल्दी ख़त्म नहीं होगा .लेकिन कोई उपाय भी तो नहीं है .”
“लस्सन
प्याज भी महंगा है, पर थोड़ा डालो तो चल जाता है .”
“चीन
कुछ बोल नहीं रहा है, इसमें कोई रहस्य लगता है तुम्हें ?”
“सही
कह रहे हो, ये सरकार ज्यादा नहीं चलेगी ... स्कूल खुल गए हैं, पिछले साल भर की फीस
मांग रहे हैं, बताओ कहाँ से दूँ !!”
“हमारी
सरकार ने भी तो तटस्थ रहने की नीति अपनाई है . वो किसी से कुछ नहीं बोलेगी .”
“अब
कहाँ बोतल खुलेगी यार ! ... भांग का अंटा
लगाना हो तो चलो. पांच अंटे मंगवा कर रखे हैं मैंने .”
हरसू
में करंट दौड़ा और हाथ के इशारे से दोनों को उठाया कि चलो अंटा लगाते हैं .
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