मंगलवार, 14 जून 2022

शांतिपूर्वक तमतमाता देश


 

बयान करोना की तरह फैला . आठ दस दिन में एक के बाद एक कई मुल्क चपेट में आते  गए . संक्रमितों में आरंभिक लक्षण तेजी से उभरे . पता चला कि दिमाग में गरमी और बुखार के चलते हर चपेटित तप रहा है . आँखों के आगे काले के साथ लाल भी छाने लगता है . जिनके पास दिमाग है उनकी नसें चटकने लगी हैं . मन चीखने चिल्लाने का होता है लेकिन मौका नहीं मिल रहा है . रूस और यूक्रेन का युद्ध क्या हुआ तमाम मुल्क सदमें और शांति की लपेट में आ कर दुबक गए लगते हैं . लग रहा है सबने शांति को छाती से बांध कर अपना हिस्सा बना लिया  है . बावजूद इसके लोग तमतमा रहे हैं लेकिन शांतिपूर्वक .

इधर सोशल मिडिया में भारी तमतमाहट मची हुई है . डेढ़-दो जीबी का कोटा है तो जिद भी है रात होने से पहले खर्च करने की . लगता है फोन में लगे रहना ही सच्ची देश सेवा है . दिक्कत ये हैं कि लोगों की सोच नहीं बदल रही है . सोच बदले तो देश आगे बढे . सोचना भी सही दिशा में होना चाहिए . वरना रिस्क ये है कि सोचें इधर वाले और आगे बढ़ जाएँ उधर वाले . दीवारों के कान होते ही थे अब पत्थरों के पांव भी होने लगे हैं . जोखिम हर काम में होता है. देशभक्त होने के नाते मुझे भी लगता है कि मेरे आलावा सब सो रहे हैं . और अगर लोग सोते रहे तो गजब हो जाने वाला है . इस समय सोये हुओ को जगाना एक तरह की क्रांति है . काम असान भी बहुत हो गया है, बस एक बटन दबाया और फट से तमाम लोगों को जगा दिया . बैटरी चार्ज हो और डेढ़ जीबी डाटा हो तो संडास में बैठे बैठे भी जनजागरण किया जा सकता है . देशभक्ति के इससे अच्छे दिन और क्या हो सकते हैं !  

बलदेव बादलवंशी जी कई ग्रुप्स में जुड़े हुए हैं. उनका सारा दिन बरसते हुए बीतता है . शुरू शुरू में कुछ समय शांत भी रहते थे . लेकिन बाद में जैसे जैसे स्कोप दिखा फुल टाइम तमतमाने लगे . सुबह बिस्तर बाद में छोड़ते हैं, तमतमाते पहले हैं . डाक्टर ने कहा इतना तमतमाओगे तो किसी दिन भी लम्बे निकल जाओगे . कोविड काल के बाद से शोकसभा का चलन भी कम हो गया है . महंगाई इतनी ज्यादा है कि अख़बार में फोटो वाला शोक विज्ञापन भी नहीं देते हैं लोग . यह समय लम्बे निकल लेने के लिए ठीक नहीं है . इसलिए सोच समझ के शांति से तमतमाया करो . कठिन काम नहीं है . किसी कवि ने कहा है ‘करत करत अभ्यास के जड़ मति होत सुजन;  रसरी आवत जात के सिल पर पड़त निसान ‘ . कोशिश करोगे तो सिख जाओगे, यह भी अनुलोम विलोम जैसा ही है .

बलदेव बदलवंशी जी टीवी, बहस, समाचार और सोशल मिडिया सब पर भिड़े हुए हैं और बीपी की गोली खा खा कर तमतमा रहे हैं . शांतिपूर्वक तमतमाने की कला को साध लिया है उन्होंने . किसीने दंगे का विडिओ भेजा, देखा लोग नारे लगा रहे हैं, पत्थर फैंक रहे हैं, चट से दो घूंट ठंडा पानी पिया  और पट से तमतमा लिए .  किसी ने भड़काऊ भाषण दिया, नेताओं को गरियाया, कोसा, चुनौतियाँ दी, देखा और मुँह से दो चार गाली निकल कर शांतिपूर्वक तमतमा लिए . सारा देश शांतिपूर्वक तमतमा रहा है, उन्होंने मुझे भी तमतमाने के लिए कहा है .उनके कहे से मुख्यधारा में आने के लिए मैं भी अब ज्यादा पानी पीने लगा हूँ .

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