“देखो यार
राम परसाद अभी हमने सोचा नहीं है कि नया साल कैसे मनावें । पिछली बार जो तुम्हारे
साथ मनाया था उसे आज तक हम भूले नहीं हैं । हालाँकि हमने कोशिश बहुत की कि भूल
जाएँ पर सफल नहीं हुए । गलत मत समझ लेना, हमारा मतलब है कि तुमने खूब इंज्वॉय किया
यह हम नहीं भूल पाते हैं । इंज्वॉय तो हमने भी किया था, जब तक कि बिल नहीं देना
पड़ा था जीएसटी के साथ । नए साल की ख़ुशी में तुम पर्स घर पर ही भूल आये थे ... याद
है ना ? उस दिन लगा कि कमबख्त हमारी यादाश्त अच्छी क्यों है । हम मूरख हैं बैठे
बिठाये हेप्पी न्यू ईयर हो गया हमारा । वो तो अच्छा हुआ घर में किसी को पता नहीं
चला वरना किस किस को बताते कि हम पर क्या गुजरी नए साल में । ... चलो वो बात तो आई
गयी हुई । वो क्या है ना अपने यहाँ रिवाज है कि नया साल आता है तो सब लोग अपना
भविष्यफल पढ़ते हैं । कल हमने भी पढ़ लिया ।
हमारे लिए साफ लिखा था कि पिछली गलतियाँ नहीं दोहराएँ । पीने-खाने के मामले में
सावधान रहें और मुफ्तखोर यार दोस्तों से बच कर रहें । सो इस बार मजबूरी है राम
परसाद । अव्वल तो हम मना ही कर रहे हैं सबको, लेकिन नहीं माने तो इस बार पूरी याद
से हम पर्स भूलने वाले हैं । क्या कहते हो ?”
“हम पर्स
भूल आये थे क्या !? अच्छा !!” राम परसाद बोले ।
“वैसे देख
लो इस बार चौतरफा माहौल ये है कि एक जनवरी हमारा नया साल नहीं है । दुनिया का हो
तो हो उससे हमको क्या है । दुनिया से हमें क्या लेना देना, मेड इन चाइना, मेड इन
जापान अलग बात है । ये इकोनामिक्स का मामला है संस्कृति का नहीं । हम दुनिया के
साथ नहीं देस के साथ रहेंगे, संस्कृति बड़ी चीज है भाई । तो राम परसाद जान लेओ कि
इस बार नया साल सेलिब्रेट नहीं करने वाले हैं । हमारा तो तुम्हारे लिए भी यही
सुझाव है कि नए साल के नाम पर कुछ मत मनाओ । पीयो-खाओ मजे में और लोगों बताओ कि ये
जो आ रहा है ना नया साल वो हमारा नहीं है । हम इसे नहीं मानते हैं, और इसकी
बेइज्जती के लिए पी-खा रहे हैं । लोग भले ही हेप्पी न्यू इयर मना रहे हों पर हम
इन्सल्ट न्यू इयर मना लेंगे । दूसरो की इन्सल्ट करने में कितना आनंद आता है यह
टीवी के लोकप्रिय सीरियलों से सबको पता है । तो राम परसाद, करो यार तुम भी नए साल
की इन्सल्ट का जश्न । तो बताओ किधर आ जाएँ ? आखिर तुम्हारी बात तो रखना ही पड़ेगी,
लंगोटिया हो ना हमारे । और फिर लिए दिए का
हिसाब यहीं होता है संसार में । अपने दिए को ले लेना तो व्यवहार है समाज का । तुम तो जानते हो कोई प्रेम से बुलाये तो हम मना
नहीं कर पाते हैं ।“
राम परसाद बोले – “ अरे यार हम तो वैसे ही पूछ रहे थे । दरअसल इस बार हम भी राष्ट्रवादी बन गए हैं । नया साल नहीं मनाने वाले हैं । चिकन अलग चीज है, अंडे वाला केक खा कर हेप्पी न्यू इयर बोल कर अपने को भ्रष्ट थोड़ी करेंगे । किसी को पता पड़ गया तो कैसे शुद्धिकरण हो जाएगा पता नहीं । हमारे मोहल्ले में भजन संध्या रखी है और भंडारा भी है । इधर ही आ जाओ, भजन-भंडारा हो जायेगा और तुम्हारा लेन देन भी बराबर हो जाएगा ।“ ----X -----
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