"ना ना ना... ऐसा नहीं हैं कि चुनाव के टाइम पर
ही हम गाँधी को आगे रखते हैं । जब भी जनता के सामने जाना होता है तो गाँधी का मुखौटा
लगाए रखने का राजनीतिक शिष्टाचार हैं। इसमें छुपाने का कुछ नहीं है। अब तो किसी को
शरम भी नहीं आती है। लोग भी मानने लगे हैं कि जब वोट मांगने आया है तो उप्पर से हाथ
जोड़गा और चेहरे से जानीवाकर भी लगेगा ही । " नेता ने
अपने को गाँधीवादी बताने ले लिए सच बोलने का रास्ता पकड़ा ।
" और रावण ! ... वो किधर है ? "
" रावण जी तो नस नस में हैं । उनका कोई मुखौटा थोड़ी
लगाएगा !! देश अपने गौरवशाली अतीत की ओर उम्मीद से देख रहा है । ऐसे में बिना रावण
हुए कोई नेता बन सकता हैं क्या ? नेता के अंदर रावण रॉ-मटेरियल की तरह है और गाँधी पोस्टर मटेरियल। जिसमें रावण
है वही राजनीति में आगे जाता है । ये बात आप मानते हो कि नहीं ? "
" मानेंगे क्यों नहीं ! आप सरकार हैं, आपके झूठ पर
कोई सवाल नहीं कर सकता है, फिर ये तो सच बोल रहे हैं आप । ... अच्छा रावण में क्या
पसंद हैं आपको? "
" ये पूछिए क्या पसंद नहीं हैं। दस सिर, दस मुँह, बीस आँखें, बीस कान !!
इतना जिसके पास हो वो आज की राजनीति में गैंडे से कम नहीं है । "
" एक मिनिट, गैंडा तो जानवर होता है ना ?!"
"तो क्या हममे आप में जान नहीं है !! जिसमें भी
जान होती है वो जानवर होता है। आप भी किसी गलतफहमी में मत रहो, जानवर ही हो ।
" उन्होंने ऐसे कहा मानों जीवविज्ञान का कोई बड़ा सिद्धांत
उद्घाटित कर दिया हो ।
"जी सहमत हैं , ठीक कह रहे हैं। ... रावण को लेकर
कुछ बता रहे थे।"
"देखो ऐसा है, जिसको दस
मुँह मिल जाएं वो राजनीति में मीर है आज की डेट में। एक मुँह को वादों की मशीनगन
बना दो और दूसरे को वादों से मुकरने की तोप । तीसरा मुँह बढ़िया झूठ बोले और चौथा मस्त
बेशरमी से दाँत दिखाए । आजकल रोने का ट्रेंड भी है राजनीति में सो पाँचवा वक्त
जरूरत रोता रहे, छठ्ठा ठठा कर हँसने का काम सम्हाले । सातवाँ
बच्चे देखते ही लाड़ जताए और आठवाँ भीड़ देखते ही भाइयों और बहनों बोले । नौवा मतलब
के लोगों से यारी करे और दसवाँ अपने पुरखों को आँखें दिखाए । हो गए सब बीजी । रावण
के तो दस ही थे, दस और होते तो वापर लेते सबको ।"
“इस बार गांधीजी जयंती और दशहरा एक ही
दिन हैं । दिक्कत तो होने वाली है ।”
“कोई दिक्कत नहीं होगी । व्यवस्था ऐसी
रखेंगे कि दोनों में कोई टकराहट नहीं होगी ।... देखिए शराब की दुकानों का बाहरी शटर
बकायदे बंद रहेगा, जनभावना और परंपरा को देखते हुए पीछे की खिड़की खुली रखी जाएगी ।
माँस की दुकानों पर इससे अच्छी व्यवस्था रहेगी । उस दिन बारह बजे तक कोई हिंसा नहीं
होगी । उसके बाद जीवों को मुक्ति और मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ाया जाएगा । ... मीडिया से
हो ना ?”
“जी हाँ ।“
“तो जाओ फटाफट, चलाओ ब्रेकिंग न्यूज
।“
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सेवा में समर्पित अपना निवालावादी निवेदन;-
जवाब देंहटाएंआपने जो लिखा है वो बेहद शानदार सज-धज के साथ शाल श्रीफल भेंट करते हुए लिखा है.एक सर्वेक्षण के मुताबिक़ आजकल की राजनीति का समाजशास्त्र यही है कि दस सिर वाले गाॅंधीब्रांड रावण ही शिखर पर पहुॅंचते हैं और फिर शिखर पर पहुॅंचे नहीं कि महाज्ञाता की श्रेष्ठता श्रेणी में कबड्डी खेलने लगते हैं.
कबड्डी का क ख ग तक नहीं जानते हैं, लेकिन फ़र्ज़ी डिग्री के फ़र्ज़ी प्रहसन को देशभर में केंद्रीय चर्चा का बहुचर्चित आभासी केंद्र बना देते हैं.
वह दिन दूर नहीं जब लाल क़िले से देश और दुनिया को ये बताया जाएगा कि रावण और गांधी की जन्मस्थली तथा जन्मतिथि एक ही है.
सत्रह सितंबर.बहुत ही छोटा-सा रेल्वे स्टेशन.जहाॅं एक चौकीदार बालक चाय बेचा करता था.
बाक़ी आप सब समझते हैं.आज रावण जलेगा या गांधी?पता नहीं.पता लग जाए तो मुझे भी बताना.मैं इधर अपने अड्डे की लंका में ही धधक रही जूनी-पुरानी भट्टी पर मिलूॅंगा.
कोई शक़?
राजकुमार कुम्भज, इन्दौर.
0731-2543380.
786+687=3714( +/ -)= 0.
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