दरअसल उसने
शेर की खाल औढ़ी हुई थी । नीचे वह क्या है यह किसी को पता नहीं था । जंगल के लोग
उसे ‘असली’ समझ रहे थे । इसी भ्रम के चलते वह जंगल का
राजा बना हुआ था । खाल की आदत उसे ऐसी पड़ी कि वह भी अपना असलीपन भूल गया । कुछ समय
बाद उसके यहाँ संतान पैदा हुई । नर्स बेचारी ने बच्चे को गोद में देते हुए मुबारक
कहा । नर्स की आँखों में संदेह के डोरे चमक
रहे थे जिन पर परदा डालने के लिए वह बोली – बच्चा बड़ा सुंदर है , बिलकुल हुजूर पर गया है ।
उसने अपनी
खाल ठीक की और कहा कि “मीडिया वालों से तू
कोई बात नहीं करेगी । और इस बात को याद रख कि शेर के बच्चे शुरू शुरू में मेमने
जैसे ही दिखाई देते हैं । ... तुझे बख्शीश
में वन बीएचके फ्लेट देता हूँ ।“
बात आई गई
हो गई । समय गुजरता गया । अंतिम समय आने पर उसने खाल अपने बेटे को औढ़ा दी और कहा
कि अब तुम जरूरत के अनुसार गुफा से बाहर भी निकला करो । बेटे को लगा कि अब वह शेर
हो गया है । उसने पिता को दहाड़ते देखा था,
उसने भी कोशिश शुरू कर दी । एक दिन घूमते हुए वह गुफा से बाहर निकाला । कुछ दूर
चलाने पर खरबूजे का खेत दिखा । खरबूज उसकी कमजोरी रहे हैं । अभी तक वो दूसरों के
खाए खरबूजों के किस्से सुनता आ रहा था । वह अपने को रोक नहीं सका । खेत में बाड़
लगी थी लेकिन वह कूद गया । ताजे पके खरबूज का स्वाद उसके खनदान में पहली बार किसी
ने लिया । इस सफलता ने उसे सब कुछ भुला दिया । अगले ही क्षण उसकी चिपों चिपों से
जंगल में एक सच गूंज उठा । जो अब तक साथी
और सहयोगी थे उनकी नजरों में राजा गिरने लगा । लोग खाल के नीचे झाँकने लगे ।
मीडिया उसकी लीद के क्लोजप दिखा दिखा कर अपनी टीआरपी बढ़ा रहा था । आखिर वो दिन भी
आ गया जब ब्रेकिंग न्यूज चल पड़ी कि ‘राजा शेर नहीं है’ । तुरंत उसके प्रवक्ता और मीडिया प्रभारी सामने आए,
बोले ‘वो शेर नहीं है लेकिन उसकी खाल तो शेर की है ।इसलिए वह राजा है’, उसे राजा मानों ।
अब लोग खाल से डर रहे हैं ।
अब लोग खाल से डर रहे हैं ।
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