शनिवार, 30 नवंबर 2019

जबरन जुमला


             

बिना नाम लिए उन्होने फिर किसी को देशभक्त कहा और हँगामा हो गया । टीवी से ले कर अखबारों तक में मचमच हो गई । हर तरफ एक ही बात है कि “हाय-हाय देशभक्त कह दिया “ । चर्चित होने के लिए, मीडिया में छा जाने के लिए लोगों को क्या क्या पापड़ नहीं बेलना पड़ते हैं । अगर कोई दो जुमले बोल कर पीली रौशनी में आ जाए तो क्यों नहीं बोले । उसे पता है कि जरा सी जबान हिला देने से काम चल रहा है तो किसीको जनसेवा का पूरा कत्थक करने कि जरूरत क्या है ! महीने पंद्रह दिनों में बस एक बार बिना नाम लिए देशभक्त बोल दो, हो गया काम । नेता वही जो चर्चित हो, काम करने के लिए तो अफसर होते हैं, महकमें  होते हैं ।  कई बार बोलने का मन नहीं भी होता है तो रिपोर्टर मुँह में माइक घुसेड़ कर जुमले का जन्म करा लेते हैं । कुछ लोग इसको जबरन जुमला मानते हैं, मीडिया वाले हेडलाइन कहते हैं और टीवी वाले टीआरपी । सबको अपने हिस्से का कुछ न कुछ मिल जाता है । ऐसे में इसे विवादास्पद क्यों कहा जाता है इस पर कोर्ट की राय लेना चाहिए ।  
लेकिन पार्टियों का मामला अलग है । सबके महापुरुष अलग हैं । एक पार्टी में जो महापुरुष है वो दूसरी पार्टी में महाअपराधी है । कई बार पार्टियां दिल पर ले लेती हैं । किसी ने समझाया कि भाई देशभक्त एक साथ कई लोग हो सकते हैं । दंगल में दो व्यक्ति कुश्ती लड़ रहे हैं, एक दूसरे को पटक रहे हैं, एक दूसरे के विरुद्ध हैं लेकिन दोनों ही पहलवान कहलाते हैं । जब देशभक्त कहने वाले भोले से पूछ गया तो उन्होने कहा – “हर आदमी की दुनिया अलग होती है, हरेक का स्वर्ग और नरक अलग अलग होता है । मयखाना किसी के लिए स्वर्ग है तो किसी के लिए नरक । डाकू, गुंडे वगैरह किसी के लिए अपराधी हैं तो किसी के लिए रक्षक और सहायक हैं । इसी तरह देशभक्ति को भी समझा जाना चाहिए । मेरा संसार अलग है, मेरा देश अलग है, मेरे वोटर अलग हैं और मेरे देशभक्त भी मेरे वाले हैं । बाकी आप समझदार हैं । “
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