सोमवार, 11 मई 2020

लोटी स्नान


“देखिए भाई साब, अब से आप लोग आधी बाल्टी पानी में नहाया करें । पानी बचना है ना अपने को ? जानते हैं ना कि धरती में पानी बहुत नीचे चला गया है ।“ आधी बाल्टी मुहीम के अगुआ भोला भाई जल बचाओ दल के साथ हर घर जा रहे हैं ।
“आप यह बात ध्यान रखिए कि आधी बाल्टी से नहाना एक तरह का कौशल है ।“
“इन्हें पानी से नहाने की क्या जरूरत  !! देखते नहीं पीएचडी हैं, ज्ञान की बाल्टी लबालब भरी हुई है । उसी में गोता लगाएँ, नहाएँ धोएँ किसी को दिक्कत है कोई ?  सिंग साब ने वर्मा जी को देखते ही चिकोटी काटी ।
“डाकसाब देश हित के लिए आधी बाल्टी से नहाना होगा आपको ।“ भोला भाई बोले ।
“आधी बाल्टी पानी बचाने से क्या होगा !?”  वर्मा जी बोले ।
“आप जानते हैं कि देश की जनसंख्या एक सौ छत्तीस करोड़ है । अगर सब लोग आधी बाल्टी से नहाएँ तो 68 करोड़ बाल्टी पानी बचेगा ।“
“नहाने की जरूरत ही क्या है । अगर नहीं नहाएँ तो पूरे एक सौ छत्तीस करोड़ बाल्टी पानी बचेगा । क्यो वर्मा जी ?“ सिंग साब ने फिर चिकोटी का इस्तेमाल किया ।
“नहाने पर पानी बर्बाद होता है या बचता है पहले इस बात को साफ कर लें ।“
“इसमें साफ क्या करना ! नहाने से पानी बर्बाद होता है और नहीं नहाने से बचता है । साधारण सी बात है ।“
“तो हम पानी बचाने की मुहिम पर हैं या बर्बाद करने की ?” सिंग साब ने गरदन पकड़ी ।
“बेशक पानी बचाने की मुहीम पर ।“
“ध्यान रहे कि आप लोगों को आधी बाल्टी पानी से नहाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं ।“
तो इसमें गलत क्या है ! राष्ट्र हित में यह जरूरी है । मैं तो कहना चाहूँगा कि आधी बाल्टी स्नान का कानून बना कर सख्ती से लागू करना चाहिए ।“
“जो लोग सप्ताह में एक बार नहा कर देश को मजबूत बना रहे हैं उनके बारे में क्या योजना है ? ... क्या वे प्रति सप्ताह साढ़े तीन बाल्टी का उपयोग कर सकते हैं ?”
“मैं एक दिन छोड़ कर नहाता हूँ और दाढ़ी भी एक दिन छोड़ कर बनाता हूँ । ये एक कला है ... इस बात को समझिए ।“ गंगवानी बोले ।
“इसमें कला कि क्या बात है भाई साब !?”
“जिस दिन दाढ़ी बनाता हूँ उस दिन नहाता नहीं हूँ लेकिन नहाया हुआ लगता हूँ । ये कला नहीं है ?”
“लेकिन जिस दिन नहाते होंगे उस दिन तो पूरी बाल्टी पानी बर्बाद करते होंगे ।“
“तो इसमें गलत क्या है सांई ! एवरेज तो बराबर पंद्रह बाल्टी महीने का निकला ना ।“
“देखिए देश के बारे में सोचिए । जब भी नहाएँ यानी एक दिन छोड़ कर या सात दिनों में । हमें आधी बाल्टी से ही नहाना है । देश हित के काम में एवरेज कि चतुराई न करें ।“
“पांडे जी दिन में दो बार नहाते हैं उसका क्या !? पूछिए उनसे । बताइये पांडे जी, आप दिन में दो बार नहीं नहाते हैं ?”
“देखो भाई, बात को समझो । तांबे की एक लोटी में हम तैंतीस कोटी देवी देवताओं को नहला देते हैं तो हम कोई अलग थोड़ी हैं । दिन में दस बार भी नहाएँ नहलाएँ तो भी लोटी का पानी खत्म नहीं होता है ।“
“अरे इस बात पर तो ध्यान ही नहीं गया ! क्यों नहीं सब लोग लोटी स्नान कर देश मजबूत बनाएँ । “
यह नहीं हो सकता है ।“ पांडे जी बोले । “देवस्नान आमजन के लिए नहीं है ।“
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