रविवार, 3 मई 2020

अगले जनम मोहे खंबानी कीजों


भारत में हर आदमी शादी करने के लिए पैदा होता है । दरअसल पैदा होना एक पैदाइशी कर्ज है जिसे उतरे बिना मोक्ष नहीं मिलता है । इस तरह बात साफ है कि शादी मोक्ष का द्वार है और पत्नी मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करने वाली देवी । मोक्ष का मतलब तो आप जानते ही होंगे ? कोई बात नहीं, हम बता देते हैं । मोक्ष वह स्थिति है जिसमें व्यक्ति को दोबारा पैदा होने की जरूरत नहीं पड़ती है । आदमी पापमुक्त हो तो उसे जन्म मरण के चक्र से छुट्टी मिल जाती है । लेकिन पापी संसार में आ कर कोई पाप से अछूता कैसे रह सकता है । उसे बार बार जन्म लेना पड़ता है, लेकिन इसमें बड़ा जोखिम है । आज भारत में पैदा हुए, बहुत अच्छा । लेकिन कल चीन या अफ्रीका में पैदा होना पड़ गया तो !! वैसे ही अपने देसी आदमी को लेंगवेज प्राबलम कितना बड़ी होती है । आज हिन्दू हैं अच्छा, ब्राह्मण हैं और भी अच्छा लेकिन कल ऊपर वाला कौन सी जात में डाल के फेंक दे, कुछ कहा जा सकता है ! कहते हैं  कि करमों वरमों के हिसाब से जनम मिलता है । मिसिर जी सोच रहे हैं कि अब तक तो करम का अच्छा बुरा होना अपुन ही डिसाइड करते आ रहे हैं । लेकिन भैया लोकतन्त्र है, कुछ कहा नहीं जा सकता किसके सिर पगड़ी साज जाए । भाग्य गरीबों गुरबों का होता है और अमीरों का तो पुरुषार्थ होता है । लेकिन दिक्कत ये है कि पैदाइश के मामले में यह नियम लागू नहीं होता है । कुछ दिन पहले पान की दुकान पर यासीन मियां मिले, कह रहे थे कि मुझे सपने में घाट, मंदिर, घंटे, आरती दिखते हैं । ऐसा लगता है कि पिछले जनम में मैं पंडित था बनारस में । सुन कर मिसिर जी ऐसे बेचैन हुए कि अभी तक वैसे ही सिर खुजा रहे हैं । भगवान का भरोसा बस कहने भर को ही है, वरना दुनिया के ये हाल होते । सोच रहे हैं कि कहीं उन्हें भगवान ने गलती से दाढ़ी टोपी में डाल दिया तो क्या होगा !! मेंढक की तरह कूदते रहेंगे जैसे यासीन मियां कूद रहे हैं दिन में इधर रात में उधर ।
देखिए भाई, आत्मा को फिर फिर पैदा तो होना पड़ेगा । उससे बचने का कोई रास्ता नहीं है । सो समझदार आदमी तो यही चाहेगा कि अगले जनम में वो एशिया के सबसे अमीर आदमी के यहाँ पैदा हो । नहीं सबसे अमीर तो टॉप टेन वाले किसी बंदे के यहाँ जरूर । मिसराइन ने सुना तो बमक गई । बोलीं यहाँ कौन बात की कमी है !! हम चुटकी काटते है क्या तुम्हें !! कुंडली में मंगल दोष तुम्हारे, भुगतते रहे हम !
“ शांत देवी, हम तो तुम्हारे बारे में चिंतन कर रहे थे । सात जनम के लिए साथ लगी हुई हो ना । हम अगर टॉप टेन में पैदा हो गए तो असल सुखी तुम ही रहोगी । तुम वर्ष के साढ़े तीन सौ व्रत उपवास करने वाली, भगवान की सगी हो । उपाय बताओ कि कैसे मिसिर से खंबानी हो जाएँ अगले जनम में ।“
वे बोलीं – “हेअनाथ, यह तो संभव नहीं है । महाभारत के बाद एक दंपति के यहाँ सौ पुत्र पैदा होना बंद हो गए हैं । अमीर घराने कि स्त्रियाँ भी जान गई हैं कि एक सन्तान पैदा करने के बाद उनका फीगर बिगड़ सकता है ।“
“तो हे देवी, किसी दूसरे धर्म में, किसी दूसरे देश में, पशु पक्षी या जन्तु के रूप में पैदा हो कर मैं तुम्हारा अगला जन्म खराब नहीं कारना चाहता हूँ ।“
“हेअनाथ, तुम क्या चाहते हो ?”
“मेरी इच्छा है यही कुल, यही गोत्र, यही नगर, यही लोग ।“ मिसिर जी बोले ।
“तथास्तु, .... यही गोत्र, यही नगर, यही लोग मिलेंगे । .... किन्तु हेअनाथ, आप स्त्री बन कर पैदा होगे ।“
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