शनिवार, 9 जनवरी 2021

राज्य का सुखविधान

 




जब दुख का पानी सर से ऊपर जाने लगा तो राजा ने राज्य में सुख काल लगाने की घोषणा कर दी । हाथों हाथ एक कानून पास करके राज्य का नाम 'सुखपुरम' रख दिया । इसी कानून में कहा गया कि प्रजा को अब दुखी होने या रहने की आज्ञा नहीं है । दुख अब राज्य के नियंत्रण में रखा जाएगा ।  दुख-मंत्री अपने महकमें और पुलिस की मदद से इस पर सख्त निगाह रखेंगे । जो प्रजाजन बाकायदा यानी आपदा या दुर्घटना के कारण दुखी होंगे उन्हें राज्य की ओर से सांत्वना मिलेगी। लेकिन इसके बाद भी वह दुखी रहे तो सजा का प्रावधान किया गया है । शौकीन दुखियारों, बेवजह दुखियारों  या आदतन दुखीयारों को दुगना टैक्स देना होगा । जो विपक्ष के बहकावे में आकर दुखी होंगे उन पर सरचार्ज भी लगेगा । जो लोग इश्क करके दुखी होंगे उन पर मुकदमा चलेगा और सजा दोनों पार्टी को मिलेगी। किसी परिजन के देहांत पर उसके निकटतम लोगों को तीन दिन दुखी होने की विशेष इजाजत मिल सकेगी  । इसके लिए उन्हें अपनी न्यायसंगत निकटता का उल्लेख करते हुए दुखी होने की लिखित अनुमति थानेदार से लेना होगी । अखबारों की खबर पढ़कर, टीवी देखते हुए दुखी होने पर सुखकाल में पूर्ण प्रतिबंध रहेगा । अखबारों में शोक- समाचार तत्काल प्रभाव से बंद कर दिए गए हैं । निधन का समाचार "प्रभु मिलन गमन" शीर्षक से ही दिया जा सकेगा । प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़ भूकंप आदि के संदर्भ में राज्य की रियाया को आधा दिन दुखी होने की इजाजत रहेगी । इन अवसरों पर कारपोरेट जगत भी अगर चाहे तो पांच दस मिनट दुखी होने का प्रस्ताव पास कर सकता है । जो गरीब अपनी गरीबी का बहाना बनाकर दुखी होते रंगे हाथ पकड़े जाएंगे उनके बीपीएल कार्ड तुरंत जब्त कर लिए जाएंगे  । लेखक कवि यदि दुखान्तक रचनाएं लिखेंगे तो उन पर स्वयं दुखी होने और दूसरों को दुख से संक्रमित करने की दो धाराओं के अंतर्गत मुकदमा चलेगा । सजा के तौर पर उन्हें मंच पर बुलाकर सबके सामने संक्रमणश्री या संक्रमणभूषण अपमान से जल्लाद के हाथों अपमानित किया जाएगा।

स्त्रियों के दुखी होने को राज्य गम्भीरता से लेने जा रहा है और इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है । क्योंकि राज्य मानता है कि जहां स्त्रियां सुखी होती हैं वहाँ स्वर्ग का वास होता है । लेकिन राज्य स्त्रियों को उदारता पूर्वक श्रृंगार करने और ईर्ष्या करने का मौलिक अधिकार प्रदान करता है ।

रोजमर्रा की छोटी मोटी बातें जैसे महंगाई, मिलावट , भ्रष्टाचार, रेप,  चोरी, हत्या वगैरह के मामले में जनता को सीधे अपने अपने ईश्वर से शिकायत करने की छूट रहेगी । राज्य जनता और ईश्वर के बीच  किसी भी मामले पर गौर नहीं करेगा । राज्य दृढ़ता पूर्वक मानता है कि ईश्वर जो करता है अच्छा ही करता है । जो लोग मानते हैं कि ईश्वर नहीं है उन्हें मानना होगा कि महंगाई, मिलावट, भ्रष्टाचार आदि भी नहीं है । ऐसे लोग यदि विनम्रतापूर्वक भी अपना असंतोष व्यक्त करते हैं तो सीधे सरकार की निगरानी में लिए जाएंगे और जरूरत समझे जाने पर सख्ती से सुखी किए जाएंगे । राज्य जनहित के अरमान और ख्वाहिशें रखने जा रहा है अतः प्रजा को निजी स्तर पर कोई ख्वाहिश या अरमान रखने की इजाजत नहीं होगी ।  क्योंकि इससे दम निकलता है ।  ग़ालिब कह गए हैं कि "हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले ; बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी कम निकले" । इसलिए प्रजा समझ जाए और कानून का पालन करे ।

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*जवाहर चौधरी
BH 26 सुखलिया
(भारतमाता मंदिर के पास)
इंदौर- 452010

फोन - 9406701670

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