बुधवार, 20 जनवरी 2021

सातवाँ दांत हिल रहा है

 




पहली बार दांत में दर्द हुआ था तो डाक्टर ने सबसे पहले अक्कल दाढ निकल दी और कहा अब जब भी तकलीफ हो या न भी हो तो कुछ सोचना मत, सीधे चले आना. डाक्टर के पास सीधे चले जाते रहने से उसका आत्मविश्वास बढ़ता है. अब तक छह दांत निकल चुके हैं. डाक्साब का कहना है कि तम्बाकू तो सारे दांतों ने चबाई है, सो न्याय सबके साथ होगा. दंतशाला  में देर हो सकती है मगर अंधेर नहीं. जैसे जैसे नंबर लगेगा बाकी भी निकाले जायेंगे. जिस दिन वे सोलह या इससे काम रह जायेंगे, दंत-सरकार अल्पमत हो जायेगी तो संसद भंग करके राष्ट्रपति शासन यानी डेन्चर लगा दिया जायेगा. चाहे नकली हों पर सलीकेदार दांतों से मुस्कराने का मजा ही कुछ और होता है. कल तेजी से खर्च हो रहे एक नागरिक के सारे दांत निकालने के बाद उनमें बत्तीसी फिट करते हुए डाक्टर ने कहा कि देखिये अंकल जी, अब आप कितने जवान लग रहे हैं ! जब आप मुस्करायेंगे तो मार्निंग वाक करने वाली लड़कियों के अंदर हूम हूम होने लगेगा.

मैं जनता हूँ डाक्टर यही बात एक दिन मुझे भी कहने वाले हैं. मैं तो तब बाल भी रंग लूँगा. मन तो आँख पर चढे चश्मे को भी निकाल फैंकने का है लेकिन आजकल चश्में वालों के प्रति धारणा बदल गयी है. पुराने ज़माने में तो उनकी शादी मुश्किल से होती थी जिन्हें चश्मा लगता था. लेकिन अब मुझे कौन सी शादी करना है !! इश्क लडाने भर को मिल जाये, बस बहुत हुआ. कोरी ऑक्सीजन के लिए रोज सुबह सुबह उठना वैसे भी किसको अच्छा लगता है. कोई टारगेट हो, यानी दिन की शुरुवात ईश्कियाना हो जाये इससे अच्छी बात क्या होगी, ऑफकोर्स इस उम्र में भी .

छह निकल गए हैं, सांतवे को मैं देखता हूँ, मेरी प्रयास से वो भी हिलने की कोशिश कर रहा है. रामभरोसे को, जिसे सब आरबी कहते है, मैंने बताया.

आरबी का ऐसा मानना है कि वो एक सुलझा हुआ आदमी है. सुलझा हुआ आदमी उसे कहते हैं जिसके आसपास उलझे हुए आदमी होते हैं. जैसे कि इस वक्त मैं हूँ. अगर कोई उलझा हुआ नहीं भी होता है तो ये उसे उलझा कर अपनी प्रतिष्ठा की रक्षा कर लेता है. उनका मानना है कि दो सुलझे हुए आदमी साथ नहीं रह सकते चाहे वे पति पत्नी ही क्यों न हों. वे बोले –“ देखो गुरु, सिर्फ नई बत्तीसी लगाने और बाल रंगने से काम नहीं चलने वाला है, तुम्हें च्यवनप्राश भी खाना पड़ेगा. तुम्हारे इश्कियाने के अच्छे दिन तभी आयेंगे.

जिस आदमी की अक्कल दाढ डाक्टर की डस्टबिन में पड़ी हो, और बचे हुए दांत कभी मुलायम कभी माया के हो रहे हों और जिसे अच्छे दिनों की तलब भी हो वह क्या कर सकता है ? पिछली बार तो उसने वोट भी दे कर देख लिया था. लोकतंत्र में विकल्प खुले होते है, आदमी प्रयोगधर्मी हो जाता है, वह कुछ भी कर सकता है. च्यवनप्राश खाना कोई बड़ी बात नहीं है. लेकिन आजकल शुद्ध च्यवनप्राश मिलना कठिन है. मैंने आरबी को कहा तो बोला –“ च्यवनप्राश शुद्ध कैसे हो सकता है !! वो तो एक मिलीजुली सरकार है.  दस-पन्द्रह चीजें एक साथ हों तो वे एक ताकत बनती हैं.

वो तो ठीक है, लेकिन कौन सी चीजें मिलायी जाती हैं सवाल यह है. अगर आलू-रतालू मिला दिए तो चन्द्रशेखरप्राश का क्या मतलब है. इसकी सूचि, अनुपात, आधार वगैरह कुछ तो होगा ?

हाँ हाँ , आधार है ना, पहला सांप्रदायिक ताकतों को दूर रखना और दूसरा कमान मिनिमम प्रोग्राम इसका आधार है. एक तीसरा आधार भी है, अपना काम है बन्ता, भाड़ में जाये जन्ता .

भाई साब मैं च्यवनप्राश के बारे में पूछ रहा हूँ !! मैंने आरबी को याद दिलाया.

मै भी तो च्यवनप्राश के बारे में ही बता रहा हूँ. इससे जब सेहतमंद सरकार बन जाती है तो निजी तौर पर आपको भी उम्मीद रखना चाहिए.

रहने ही दो, मुझे सरकार के चक्कर में पप्पू नहीं बनना है भईया. दांत जा रहे हैं, कुछ निजी अच्छे दिन आ जाएँ तो समझो गंगा नहाये.

अच्छे दिन कहाँ से आते हैं ये देखो, जिसे जमाना पप्पू कहता है उस तक को मालूम है कि सरकार बनेगी तब अच्छे दिन आयेंगे. इस बात को समझो कि अच्छे दिनों का मतलब सरकार होता है और सरकार का मतलब अच्छे दिन. बाकि सब मिथ्या है.

तो इसका मतलब हुआ कि जनता के अच्छे दिन कभी नहीं आयेंगे !?

जो सरकार के साथ हैं उनके अच्छे दिन हैं और जो नहीं हैं उनके नहीं हैं. तय हमें और आपको करना है.

आपने तो  उलझा दिया, कुछ समझ में नहीं आ रहा है !

ये तो अच्छी बात है, इसका मतलब हुआ कि आप सरकार के कामों और नीतियों के समर्थक हैं. देखिये संवाद करने से स्थिति कितनी जल्दी स्पष्ट हो जाती है. इसी को सार्थक संवाद कहते हैं. मुझे तो लगता है कि आपके अच्छे दिन आना शुरू हो गए हैं. आप बस जरा सा मुस्कराइए.

कैसे मुस्कराऊँ, अभी मेरे बहुत से पुराने दांत बाकी  हैं.

मुक्ति पाओ, जीतनी जल्दी हो सके मुक्ति पाओ पुरानी  चीजों से. नए से जुडो और नए को जोड़ो, यही विकास है.

मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि संसकृति विरोधी बातें कर रहे हैं आप !

कोई किसी को किसी का विरोधी नहीं बना सकता है. समय आने पर दांत खुद गिरने लगते हैं, अंततः आपके पास नए डेन्चर और च्यवनप्राश के आलावा कोई विकल्प नहीं रहता है. .... क्या सोच रहे हो ?

कुछ नहीं, सातवाँ  दांत हिल रहा है शायद.

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 *जवाहर चौधरी

BH 26 सुखलिया
(भारतमाता मन्दिर के पास)
इंदौर-452010

फोन-
9406701670
9826361533

 

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