बुधवार, 9 जून 2021

वेक्सिन का सीज़न है ... भर लो



 

                         


लोग सुख-दुःख बांटे न बांटे, ज्ञान को गति तो मिलती ही है . वे बोले –“ वो क्या है भाई साब, अपने तो बाप-दादे के ज़माने से येई चला आ रहा है . यों समझ लो कि परंपरा है खानदानी . सामान सीजन में अच्छा और सस्ता मिलता है तो सब भर लेते हैं अपन . गेंहूँ के सीज़न में साल भर का गेंहूँ, चावल, दाल, तेल, शकर, मिर्च-मसाले सब . बाद का कोई टेंशन नहीं . ... सोना जब बीस-बावीस के भाव का था तब अपन ने भर लिया था . आज देखो ... जिन्ने नहीं भरा वो पछता रहे हैं . “

“पुराने लोग बहुत सोच समझ कर चलते थे .” हमने सहमति जताई .

“अभी वेक्सिन का सीज़न चल रहा था तो वेक्सिन भर लिए . स्टाक तो कर नहीं सकते थे इसलिए लगवाना पड़े .”

“दोनों डोज लगवा लिये आपने ? ... ये अच्छा किया .”

“दो नहीं चार डोज लगाव लिए हें अब्बी तक . घर में भी सबको तीन तीन डोज हो गए हैं .” उन्होंने छाती चौड़ी करते बताया.

“तीन तीन चार चार !! ये तो संभव ही नहीं है !? कैसे लगवा लिए !?! ... और क्यों लगाव लिए ?”

“जिनके इरादे पक्के होते हैं ना भाई साब उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं हैं अपने देश में . रहा सवाल कि क्यों लगवाए,  तो हमारे यहाँ परंपरा है भरने की .“

“अरे नियम-कायदा, सरकार किसी का तो ख्याल किया होता !!”

“सरकार तो खुद ही कहती है कि लोग परम्पराओं का सम्मान करें .”

“वो दूसरी परम्पराओं के बारे में कहती है ... लेकिन वेक्सिन !! ... आप महान हैं .”

“हमने तो रेमडीसिविर भी भर लिए थे . और टोसी भी .” वे महानता पर मोहर लगते हुए बोले .

“रेमडीसिविर कितने भरे थे !?”

“घर में तेरह मेंबर हैं . सौ इंजेक्शन थे अपने पास .”

“अगर तेरह को ही कोविड हो जाता तो भी आपके लिए अस्सी काफी थे . फिर सौ क्यों !?”

 “हमारे दादा कहते थे कि हमेशा जरुरत से थोडा ज्यादा ही भरना चाहिए . बरकत रहती है घर में . गेंहूँ मैं पंद्रह क्विन्टल भरता हूँ, जरुरत से दो तीन ज्यादा . इसलिए रेमडीसिविर भी थोड़े ज्यादा ही रखे. आदमी को पूरी सावधानी रखना चाहिए . “

“सावधानी रखना ही तो अच्छी बात है . मास्क और सेनेटाईजर का उपयोग करें तो डरने की कोई बात नहीं है .”  

“तो आप क्या समझ रहे हो हमने इस पर ध्यान नहीं दिया !? भाई साब दस हज़ार मास्क की पेटी ले ली थी हमने और सेनेटाईजर के तीन ड्रम भरे पड़े हैं अभी भी . अपन तो बेफिक्र हैं अब तीसरी लहर आए या चौथी ... कोई टेंशन नहीं .”

“भगवान न करे आपको कुछ हो, लेकिन अगर कुछ हो ही गया तो ...”

“तो आक्सीजन के सिलेंडर भी भरे हैं, तीन बेड भी हैं हाईटेक वाले. और क्या चाहिए ?”

“अब तो बस थोड़े डाक्टर और नर्स भर लेते तो कोई कसर बाकी नहीं रहती.”

“अरे ये तो सोचा ही नहीं मैंने !! अभी देखता हूँ कहीं से मिल जाएँ . सुना है कुछ डाक्टर नर्सों को सस्पेंड किया है सरकार ने “.


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