पूरे मुल्क में मशीनगनें एक एक लड़ाके को लटकाए यहाँ से वहां भटक रही हैं . मशीनगनें जानती हैं कि उसके कन्धों पर एक ऐसा शख्स सवार है जो चिड़ियों से डरता है . दरअसल उन्हें पता है चिड़ियों के हौसले और उड़ान . दुनिया भर में वे जमीन से आसमान तक नाप रही हैं . उनसे आँख मिलाते खौफ होता है और उससे ज्यादा शरम आती है . हाथ में अगर मशीनगन न हो तो सर उनके कदमों में रखना पड़ सकता है . इसलिए जरुरी है कि चिड़ियाएँ परदे में रहें या घरों में कैद, पिंजरों में बंद रखी जाएँ या बेड़ियों में जकड़ी जाएँ . चिड़ियों की न चोंच होनी चाहिए न ही पंख . चिड़ियों के लिए मुल्क पोल्ट्री फॉर्म से ज्यादा कुछ नहीं है . अंडे दें, चूजे निकालें यही उनका फर्ज है . अगर वे शिक्षित हुईं तो पंख फैला सकती हैं, उड़ सकती हैं, अपने अधिकारों को पहचान सकती हैं, उसके लिए लड़ भी सकती हैं . शिक्षा और समझ के मैदान में लड़ाके उनका मुकाबला नहीं कर सकते हैं .
लड़ाकों की अपनी तरह की कोशिश ये रहती है कि किसी तरह बराबरी बनी रहे . जाहिलों
के लिए खातूनों का भी जाहिल होना जरुरी है . इसी को प्रापर मैच कहा जाता है . उन्हें
अपनी पसंद के मर्द से प्रेम नहीं करने दिया जायेगा . वे निजाम द्वरा तय किये आदमी
से ही मोहब्बत करेंगी . किसी औरत को सार्वजानिक रूप से कोड़े खाने का शौक हो तो वे किसी
और मर्द से ताल्लुख रखेंगी और अपनी ख्वाहिश पूरी करेंगी . समाज में बदचलनी नहीं
फैले इसलिए उन्हें संगसार भी किया जा सकता है ताकि वे एक नेक काम में मिसाल बन
सकें . अगर दुनिया भर में औरत को इन्सान समझा जाता है तो इसके लिए लड़ाके जिम्मेदार
नहीं हैं . दूसरों को चाहिए कि हमसे सीखें और अपनी गलतियों को सुधारें . औरतों का
स्कूल जाना सबसे पहले बंद किया जायेगा . एक मलाला सर दर्द बनी अगर पूरा मुल्क मलालाओं
से भर गया तो !! यह सोच कर ही रूह कांप जाती है . दुनिया में जहाँ जहाँ भी औरतों
को बराबरी का दर्जा देने की बेवकूफी की गयी है वहां मर्दों का हाल देखिये क्या है !!
दाढ़ी तक नहीं रख पाते हैं ! तो क्या इज्जत है उनकी ! वो तो अच्छा है कि पुरखों ने
औरतों को गुलाम बनाने की शानदार रवायत हमें बख्शी है . दीन ओ मजहब के साथ और
सपोर्ट से बिरादरान के इरादे मजबूत रहते हैं . अगर मालिक ने ही औरतों को बराबरी का
हक़ दिया होता तो उनके भी दाढ़ी होती . जिन्हें पैदा ही गैर बराबरी के साथ किया है
तो उसे बनाये रखना कौन सा गुनाह है ! अब वे कहीं नौकरी नहीं करेंगी, घर से बहार
निकलते वक्त किसी मर्द के साथ होंगीं, अकेले नहीं घूमेंगी फिरेंगी . लोग पूछते हैं
कि लड़ाकों के रहते औरतों को किसका डर ?! तो जान लो कि लड़ाकों में भी भूखे प्यासे
होते हैं . इनसे बचने का एक ही तरीका है कानून को मानों .
लड़ाकों को जंगल में रहना पसंद है . किसी भी तरह की सभ्यता उनकी दुश्मन है .
मालिक ने पूरी धरती को जंगल बनाया था . लोगों ने साइंस के जरिये तरक्की की, जो कि
गलत है . पढ़े लिखे, समझदार और शांतिप्रिय लोग ही नहीं उनकी मूर्तियाँ भी लड़ाकों को
बर्दाश्त नहीं हैं . मूर्तियाँ तोड़ी जाएँगी, लोग मारे जायेंगे और जंगल का रुतबा
फिर कायम किया जायेगा . जंग, जंगल और जमीन ही लड़ाकों का सपना है . वे पूछना चाहते
हैं कि दुनिया भर में लोग एक दूसरे से इंसानी रिश्ता रखते हैं तो मशीनगन और गोला
बारूद किसलिए बनाया है !! इनका क्या उपयोग
हैं ? जो इस वक्त शांति और अमन की रट
लगाये हैं वो बताएं कि हमें हथियार किसने दिए ! तुमने अपना बिजनेस किया, हम
अपना कर रहे हैं . जब तक जंगल में एक एक चिड़िया को नकाब नहीं पहना देते हमारा काम
जरी रहेगा . और हाँ, एक अपील है दोस्त मुल्कों से, लड़ाकों के लिए खूब सारे हथियार
और आर्थिक मदद तुरंत मुहय्या करवाएं, दवाएं और वेक्सिन वगैरह भी .
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वर्तमान संदर्भ में औऱ भी सटीक लगा। बहुत खूब जवाहर चौधरी जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद डॉ हिंदुस्तानी जी ।
जवाब देंहटाएंA big hunter on the thick skinned people.
जवाब देंहटाएंThanks dilip ji.
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