शनिवार, 27 नवंबर 2021

स्नान न करने का क्रेश कोर्स

 





                                   मौसम सर्दी का है, भक्तजन बैठे हैं और स्नानाचार्य लोटासागर जी आज स्नान न करने का क्रेश कोर्स करवा रहे हैं . बोले – कबीर ने कहा है कि “नहाये धोये क्या हुआ, जो मन का मैल न जाए ; मीन सदा जल में रहे, धोये बास न जाए” . अर्थात स्नान निरर्थक है, असल बात मन का मैल है . मन का मैल धोने के लिए किसी से बात करना पड़ती है, किसीके मन की बात सुनना पड़ती है . साहब ने आगे कहा है “निंदक नियरे राखिये, आंगन कुटी छबाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय”. इसे संवाद-स्नान कहते हैं, प्रवचन-स्नान कहते हैं . घर में अगर लड़ने झगड़ने वाली गृहणी हो तो सदा चलने वाला कुम्भ स्नान है .

 सर्दी में लोग प्रायः सप्ताह में एक दो दिन भी नहीं नहाते हैं . यह कोर्स उन लोगों को बल देने वाला है . उन लोगों के लिए भी है जिन्हें अपने लिए नहीं दूसरों के लिए नहाना पड़ जाता है . हालाँकि देश में स्वच्छता अभियान चल रहा है और एक अच्छे नागरिक का फर्ज है कि वह इस अभियान में योगदान दे इसलिए ये उनके लिए भी है जिन्हें देश के लिए जबरन नहाना पड़ता है . कुछ अर्थव्यवस्था के जानकर हैं, वे साबुन-तेल उद्योग को बल देने ले लिए नहाते हैं . ज्यादातर ऐसे हैं जिन्हें  पूजा करना पड़ती है, वे भगवान के लिए नहाते हैं, सोचते हैं नहाये धोये अगरबत्ती लगायेंगे तो बदले में प्रभु पिछले पाप धो देंगे .

                          सब किसी न किसी मजबूरी में नहाते हैं, कोई अपने शरीर के लिए नहीं नहाता है . क्यों नहाएं भई !? अपन हैं कौन ? जानते हो, ठण्ड में शरीर की वजह से आत्मा को कष्ट देना सुपर से ऊपर का पाप है . ये भगवान की ही व्यवस्था है कि कोई कितना ही गन्दा क्यों न हो उसे खुद अपनी बास नहीं आती है . तो बास अपनी नहीं दूसरों की समस्या है, बोले तो अपन को क्या ! लाल, पीली, हरी  किताबों में लिखा है नहाना एक ऐच्छिक कार्य है . आदमी नहाना चाहता है, बस इतना ही काफी है . ज्यादातर लोग पानी से नहाने को नहाना मानते हैं, जबकि ऐसा नहीं है . विद्वानों ने नहाने के कई तरीके बताये हैं . ध्यान-स्नान के आलावा सर्दी के मौसम में सूर्य स्नान और वायु स्नान भी लोकप्रिय है . कुछ समझदार गुप्त स्नान को प्राथमिकता देते हैं . गुप्त स्नान वो स्नान होता है जिसमें वीर पुरुष टॉवेल ले कर बाथरूम में जाता है और कुछ देर अनुलोम विलोम करते हुए बालों पर टॉवेल मारता निकल आता है . अपराधबोध जैसा कुछ लगे तो ऑटो सजेशन पद्दति है, मन को समझाइये कि ‘मन शुद्ध है तो सब शुद्ध है’ . झूठ बोलने या झूठ करने के बाद मुंह बंद रखना चाहिए सो कोई कितना भी कुरेदे चुप रहिये . लेकिन इतनी हिम्मत हर किसी में नहीं होती है सो उपाय दूसरे भी हैं . अगर स्नान करना ही पड़ जाये तो जलसंकट को सर्वोपरि मानिये और जल-स्नान को भी प्राथमिकता दीजिये . संतों ने तीन-मगिया स्नान को इसके लिए सर्वश्रेष्ठ माना है . पहले मग से सर और उपरी बदन भीगा लीजिये, दूसरे मग से मजे में पैर और आदिम स्थान गीले कर लीजिये और तीसरे में खड़े हो कर सर से पांव तक पानी चुपड़ते, हर हर गंगे का घोष करते हुए बाकायदा स्नान संपन्न कर लीजिये . पत्नियाँ अक्सर ऐसे मौके पर ‘कउवा-स्नान’ का ताना देने से नहीं चूकती हैं . देने दीजिये . पत्नियों की तो आदत होती है बकबक करने की . अगर दो बाल्टी पानी से नहा कर आओगे तो भी पानी की बरबादी के नाम पर भाषण पेलेंगी . अभी कुछ दिन हुए, ठण्ड के कारण ड्राय-स्नान कर लिया टेलकम पावडर से तो महंगाई से लगा कर वित्तमंत्री तक तेग चला दी वाग्देवी ने ! बड़ी मुश्किल से समझाया कि भागवान हमें जितना चाहो गरिया लो आपकी प्रायवेट प्रापर्टी हैं पर सरकार को डिस्टर्ब मत करो प्लीज . एक तो इसलिए कि वो लगके चहुँओर विकास पे विकास करवा रही है दनादन, दूसरे क्या पता मीठा मीठा बोलके तुम भी किसी दिन एक ठो पदमसिरी उठा लाओ ठप्पे से . समय कोई कह कर थोड़ी आता है, कब किसे अवसर-स्नान का मौका मिल जाये और कब कौन आम से अदानी हो जाए .

 

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