गुरुवार, 20 जनवरी 2022

च्यवनप्राश कैसे खाएं

 




                      खाने के तरीके बहुत हैं . छुरी कांटे से, चम्मच से, हाथ से तो सब समझते हैं लेकिन जानकार बताते हैं कि सही समय पर सही चीजों के साथ खाने से ही लाभ मिलता है . वरना लोटाभर घी पी लीजिये, अपना नाम तक भूल जाइयेगा . राम रसिया जी सब जानते हैं . चलता फिरता गूगल हैं राजधानी का . उन्हीं से पूछ लिया कि च्यवनप्राश कैसे खाएं कि सेहत दुरुस्त हो .

                   “खाने के मामले में नियम कायदा बहुत महत्त्व रखता है . नगद खाने से खुद की ही नहीं घर भर की सेहत टनाटन हो जाती है . और घर की भी क्यों कहें देश भर की सेहत का राज यही है . खाओ और खाने दो . भ्रष्टाचार के बारे में मत सोचो . भ्रष्टाचार का दायरा बहुत बड़ा है . झूठ बोलना, झूठे वादे करना और कुर्सी जीत लेना भी भ्रष्टाचार है . जीतने के बाद सेवा के नाम पर मनमानी करना और भी बड़ा भ्रष्टाचार है . सोचो तो बहुत कुछ है नहीं सोचो तो कुछ भी नहीं . नया जमाना है, इसलिए नयी सोच के साथ आगे बढ़ाना चाहिए . और नयी सोच ये हैं कि ज्यादा सोचने का नहीं . उठो सुबह और आइने के सामने खड़े हो कर तीन बार कहो भ्रष्टाचार का लीगल टेंडर जारी है . बस हो गया, मन पवित्र, आत्मा शुद्ध . सरकार कोई भी हो कानून उन्ही के खिलाफ कार्रवाई करता है जिन्हें खाने का सलीका नहीं है . हर सरकार चाहती है कि अधिकारीयों की शिकायत नहीं मिले . शिकायत मिलने पर कार्रवाई भी करना पड़ती है और भ्रष्टाचार के खिलाफ बयान और भाषण भी देना पड़ता है . रिश्वत देना और ले लेना एक कला है . इस काम में सफल लोग कलाकार कहे जाते हैं .”  राम रसिया जी की ट्रेन एक स्टेशन से छूटती है तो दूसरे स्टेशन पर ही रूकती है . लगता है उन्हें खाना ध्यान रहा च्यवनप्राश भूल गए .

                   “राम रसिया जी आप बड़े जानकार हैं, सो हमने तो बस यह जानना चाहा था कि च्यवनप्राश कैसे खाएं ?” उन्हें  मूल प्रश्न याद दिलाया .

                   “अच्छी बात है, ... पहले सुधार किया जाये . च्यवनप्राश खाया नहीं चाटा जाता है . खाना अलग क्रिया है चाटना अलग . जैसे रिश्वत, खायी जाती है चाटी नहीं  जाती है . सिर्फ दिमाग ही ऐसी चीज है जिसे खाया भी जाता है और चाटा भी जाता है . सेहत के लिए लोग धूप भी खाते हैं किन्तु च्यवनप्राश को चाटना अलग बात है .”

                    “चलिए ठीक है . चाट लेंगे . उसमे क्या है .”

                    “कैसे आदमी हो जी,  चाटने को हलके में मत लो, कोई कुछ कह कर वापस चाट ले तो कुर्सी तक हिल जाती है ससुरी . बदनामी होती है अलग से . चाटने का विधान गहरा है . अनुभव से समझ आता है .” वे फिर राजधानी की राजनीति में घुसे .

                    “ठीक है, मानते हैं .  आप ये बताइए कि हम च्यवनप्राश का सेवन कैसे करें ?”

                    “सत्ता जो है स्वर्ण केशर युक्त च्यवनप्राश है, थोड़ा थोड़ा चाटना पड़ता है . एकदम से चाटेंगे तो हजम नहीं होगा . बिना चम्मच के इसे चाटा नहीं जा सकता है . चम्मच हैं ?”

                     “अभी भी सत्ता को क्यों घसीट रहे हैं !! ... हाँ चम्मच हैं दस बारह ... च्यवनप्राश नहीं है . कौन सा ठीक रहेगा ?”

                      “ खुद चम्मच बनोगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा . चम्मच में ही पहले च्यवनप्राश चिपकता है . किसी झन्नाट विधायक के साथ लग लो . सबसे अच्छा च्यवनप्राश आजकल विधायक ही है . सावधानी और सलीके से चाटोगे तो पौष्टिकता मिलेगी .”

                     “ भाई साहब मैं आंवले से बने च्यवनप्राश की बात कर रहा हूँ ... आप लेन देन के च्यवनप्राश से बाहर नहीं आ रहे हैं !!”

                      “तो लाइए कहाँ है च्यवनप्राश ? डब्बा सामने होगा तभी न बताया जायेगा कि कैसे खाएं . खाने पीने का ज्ञान मुंह जबानी नहीं मिलता है . ... और हाँ, दो डब्बा लाइए, बताने में एक हमसे जूठा हो जायेगा सो हम ही रख लेंगे . ”

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